नई दिल्ली. मामले पर सुनवाई के दौरान केंद्र से असंतुष्ट और नाराज दिखा. जवाब दाखिल करने के लिए और टाइम मांगने पर सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ ने कहा कि ये शर्मनाक स्थिति है. ऐसा पहले कभी नहीं हुआ कि संविधान पीठ बिना सुनवाई के मामले में अगली तारीख मुकर्रर कर दे. चिदंबरम ने भी सरकार के रवैये को शर्मनाक कहा.
दरअसल, सुप्रीम कोर्ट में नोटबंदी केस की सुनवाई के दौरान बुधवार (9 नवम्बर 2022) को केंद्र ने अदालत से कहा कि हलफनामा दाखिल करने के लिए समय चाहिए. अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमणि ने अदालत से कहा कि केंद्र को हलफनामा दाखिल करने के लिए और समय चाहिए, ताकि हम और बेहतर तरीके से आगे बढ़ सकें. बता दें कि विगत 13 अक्टूबर को कोर्ट ने शीर्ष अदालत के 6 साल पुराने फैसले की समीक्षा करने पर सहमति व्यक्त की थी.
उल्लेखनीय है कि केंद्र सरकार ने 2016 में विमुद्रीकरण यानी नोटबंदी का फैसला लिया था. इस केस में 8 नवंबर, 2016 को पारित सर्कुलर को चुनौती दी गई है. नोटबंदी के छह साल बाद संविधान पीठ इस मामले में सुनवाई कर रही है. नोटबंदी के कारण भारत में 86 प्रतिशत पुराने बैंक नोट अमान्य हो गए थे.
बुधवार को पांच जजों की जिस संविधान पीठ में नोटबंदी मामले की सुनवाई होनी थी, इसमें जस्टिस एस. अब्दुल नजीर, जस्टिस बी.आर. गवई, ए.एस. बोपन्ना, वी. रामसुब्रमण्यम, और बी.वी. नागरत्ना शामिल रहे. न्यायमूर्ति नागरत्ना ने स्थगन अनुरोध पर असंतोष जताते हुए कहा, आम तौर पर, एक संविधान पीठ इस तरह कभी स्थगित नहीं होती है. हम एक बार शुरू करने के बाद कभी भी इस तरह नहीं उठते हैं. यह इस अदालत के लिए बहुत शर्मनाक है.
विपक्षी पार्टी की ओर से पैरवी करने वाले पी चिदंबरम से भी विचार पूछा गया. उन्होंने पीठ से कहा, यह एक शर्मनाक स्थिति है. मैं इसे इस अदालत के विवेक पर छोड़ता हूं. विचार-विमर्श के बाद बेंच ने कहा कि इस मामले में 24 नवंबर को सुनवाई की जाएगी. जस्टिस नजीर ने सख्ती दिखाते हुए कहा, हम इस केस को 24 तारीख को लिस्ट कर रहे हैं. भले ही 25 तारीख को मिस्लेनियस केस की सुनवाई का दिन है, लेकिन संविधान पीठ उस दिन भी नोटबंदी मामले की सुनवाई जारी रखेगी. ये कोर्ट के लिए मिस्लेनियस केस की सुनवाई के दिन नहीं होंगे.
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-सुप्रीम कोर्ट- नोटबंदी मामले की समीक्षा करेगा, केंद्र और आरबीआई से मांगा हलफनामा
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