सुप्रीम कोर्ट ने बच्चा पैदा करने के लिए रेपिस्ट के पैरोल पर लगाई रोक, हाईकोर्ट ने 15 दिन पत्नी संग रहने की दी थी मंजूरी

सुप्रीम कोर्ट ने बच्चा पैदा करने के लिए रेपिस्ट के पैरोल पर लगाई रोक, हाईकोर्ट ने 15 दिन पत्नी संग रहने की दी थी मंजूरी

प्रेषित समय :19:30:46 PM / Sat, Nov 19th, 2022

जयपुर. खुद का बच्चा पैदा करने के लिए रेपिस्ट को मिली पैरोल को सुप्रीम कोर्ट ने स्टे लगा दिया है. राजस्थान हाईकोर्ट ने 14 अक्टूबर में दिए अपने एक फैसले में गैंगरेप के दोषी को 15 दिन अपनी पत्नी के साथ रहने की इजाजत दी थी. उस समय यह फैसला काफी चर्चित रहा था. रेपिस्ट को पैरोल पर रिहा करने के खिलाफ राजस्थान सरकार सुप्रीम कोर्ट पहुंची और हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती दी. इस पर शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के फैसले पर रोक लगा दी है.

सुप्रीम में जस्टिस एएस बोपन्ना और जस्टिस पीएस नरसिम्हा की बेंच ने स्टे ऑर्डर दिया. सरकार की तरफ से सीनियर एडवोकेट मनीष सिंघवी ने पैरवी की. एडवोकेट सिंघवी ने बताया कि सरकार की तरफ से सुप्रीम कोर्ट में 10 नवंबर को अपील दायर की गई थी.

शुक्रवार को याचिका पर पहली सुनवाई हुई. इसमें हमारी तरफ से दलील दी गई कि राइट टू पैरोल कोई मौलिक अधिकार नहीं है. राजस्थान में यह पहला फैसला है, जिसमें रेप के किसी दोषी को पैरोल मिली है. राजस्थान के पैरोल रूल्स में रेप या गैंगरेप के मामलों में पैरोल नहीं मिल सकती है. न ही ऐसे दोषियों को ओपन जेल में भेजा जा सकता है. इस पर सर्वोच्च अदालत की खंडपीठ ने पैरोल पर रोक लगाते हुए हाईकोर्ट के आदेश पर स्थगन लगा दिया है. वहीं, दूसरे पक्ष के एडवोकेट विश्राम प्रजापति ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट ने नोटिस जारी किया है. हम जवाब पेश करेंगे.

हाईकोर्ट ने सुनाया था यह फैसला

राहुल की शादी साल 2018 में बृजेश देवी से हुई थी. राहुल की पत्नी बृजेश देवी ने बच्चा पैदा करने के अपने मौलिक एवं संवैधानिक अधिकार का हवाला देते हुए अलवर के ष्ठछ्व कोर्ट में 13 जुलाई 2022 को इमरजेंट पैरोल(आपात पैरोल) याचिका लगाई. फिर कुछ दिन के इंतजार के बाद 20 जुलाई, 2022 को हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया. हाईकोर्ट में लगाई याचिका में 30 दिन की पैरोल देने की मांग की गई, लेकिन हाईकोर्ट ने राहुल को 15 दिन के पैरोल पर छोडऩे का आदेश सुनाया.

ये याचिका राहुल की सजा के ठीक एक महीने बाद लगाई गई. याचिका में कहा गया कि पत्नी को प्रेग्नेंसी या दंपती को वंश बढ़ाने के लिए रोकना संविधान के आर्टिकल 14 और 21 की भावना के खिलाफ होगा. अलवर के DJ कोर्ट में याचिका लगाने के बाद 7 दिन तक सुनवाई का इंतजार किया, फिर इसके बाद हाईकोर्ट में याचिका दायर की.

Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-

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