गोपाल लाल कुमावत (जयपुर). गुलाबी नगरी जयपुर में पिछले माह बिड़ला ऑडिटोरियम में ज्योतिष रत्नमय महोत्सव का आयोजन जयपुर के प्रतिष्ठित ज्वेलर के द्वारा किया गया. महोत्सव में देश के कोने-कोने से आए ज्योतिषाचार्यों ने भाग लिया गया. ज्योतिष रत्नमय महोत्सव में विभिन्न विद्धान ज्योतिषाचार्यो ने अपने ज्योतिष ज्ञान के अनुसार कुण्डली मिलान, गृह, नक्षत्र एवं तारों के अनुसार व्यक्तियों पर होने वाले प्रभावो, राशि के अनुसार विभिन्न रंगो के रत्न धारण करने तथा उनसे भविष्य में होने वाले होने वाले लाभों के बारे में जानकारी देना तथा समय के अनुसार प्रश्न पूछने पर प्रश्न कुण्डली बनाकर व्यक्ति को उसके भाग्य, कर्मफल, विवाह, शिक्षा, नौकरी, रोग, दोष, सन्तान एवं उसके जीवन में होने वाली विभिन्न गतिविधियों के संबंध्ां में बताया गया तथा साथ ही व्यक्तियों पर ग्रहो से पड़ने वाले दुष्प्रभावों से बचाव करने के ग्रहों के अनुसार अलग-अलग उपाय भी बताये गये. सम्मेलन का मुख्य उद्देश्य ज्ञान, तप, ज्योतिष विज्ञान एवं योग के माध्यम से हमारे देश भारत को विश्व गुरू बनाने पर विशेष जोर दिया गया हैं. सम्मेलन में अधिक तादाद मे जयपुरवासियों ने भाग लेकर अपनी जन्म कुण्डली दिखाकर उपस्थित ज्योतिषाचार्यो से जानकारी प्राप्त कर लाभान्वित हुवे.
सम्मेलन के दौरान अन्तर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त ज्योतिषी डॉ. पं. सीताराम त्रिपाठी भीलवाड़ा से आये हुऐ थे जिनसे वार्ता की गयी. वार्तानुसार उन्होंने अवगत कराया कि मेरे द्वारा हिमालय की 111 बार यात्रा कर ज्योतिष में अनुसंधान तप साधना करने का रिकार्ड बनाया है. ज्योतिष के साथ-साथ उन्हे हस्तरेखा देखने का भी अच्छा ज्ञान है. श्री त्रिपाठी द्वारा मानव जीवन की सभी समस्याओं को समाधान यथा-विवाह विलम्ब, सन्तान, गृह क्लेश, पति-पत्नी मे अनबन, व्यापार में सफलता, नौकरी, राजनीतिक, आर्थिक सामाजिक, शारीरिक एवं मानसिक सभी समस्याओं का उपाय वैज्ञानिक आधार पर सरल सत्य तरीके से बताया जाता है. श्री त्रिपाठी शंखनिधि विशेषज्ञ वैदिक ज्योतिषी भविष्यवक्ता भी है.
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-विदेशी महिला का जयपुरवासियों को संदेश....
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