दिल्ली. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज स्कूली बच्चों के साथ परीक्षा पे चर्चा कार्यक्रम के तहत बात की. गौरतलब है कि पीएम मोदी हर साल परीक्षाओं से पहले बच्चों का मार्गदर्शन करते हैं. इस दौरान छात्रों के सवालों के जवाब देते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि अगर आप बहुत अच्छा भी करेंगे तो समाज के लोग आपसे और नई अपेक्षाएं करेंगे. हम तो राजनीति में हैं. हम कितने ही चुनाव क्यों न जीत लें, लेकिन ऐसा दबाव पैदा किया जाता है कि हमें हारना ही नहीं है. 200 लाए तो 250 क्यों नहीं लाएज्,250 लाएं तो 300 क्यों नहीं लाए, 300 लाएं तो 350 क्यों नहीं लाए, चारों तरफ से दबाव बनाया जाता है.
प्रधानमंत्री ने छात्रों से पूछा कि क्या हमें इन दबावों से दबना चाहिए? पलभर सोचिए कि चारों तरफ से आपको जो कहा जाता है, जो सुनाया जाता है, उसी में अपना समय बर्बाद करेंगे या अपने अंदर झांक कर देखेंगे. पीएम मोदी ने छात्रों से कहा कि आपने क्रिकेट मैच देखा होगा और देखा होगा कि क्रिकेटर चौके और छक्के लगाता है, तो क्या वो ऑडियेंस के डिमांड पर चौके-छक्के लगाता है. ऐसा करता है क्या कोई प्लेयर. ऑडियेंस कितना भी चिल्लाएं, बैट्समैन फोकस रहता है. प्रधानमंत्री ने कहा कि अगर आप भी फोकस्ड रहते हैं तो कभी न कभी आप उन संकटों से बाहर आ जाएंगे. मेरा आग्रह है कि दबावों के दबाव में न रहें. आत्मनिरीक्षण कीजिए और बच्चों को अपने आपको कम नहीं आंकना चाहिए. परिवार को भी इसका ध्यान रखना चाहिए.
पीएम मोदी ने कहा कि छात्रों को किसी एक सामाजिक दायरे में बांधकर नहीं रखना चाहिए. इससे उनका विकास रुक जाता है. बच्चों को यात्रा करने और समाज के हर वर्ग के लोगों के साथ बातचीत करने के लिए माता-पिता को आगे आकर बढ़ावा देना चाहिए. टीचरों को बच्चों को नरमी और प्रेम से समझाना चाहिए. उनको जिम्मेदारी देकर जवाबदेह बनाने की कोशिश करनी चाहिए. कभी भी बच्चों पर डंडे के डर से अनुशासन लादने की कोशिश नहीं की जानी चाहिए. बच्चों के साथ दोस्ताना बर्ताव करना उनको समझने में मदद कर सकता है. उन्होंने कहा कि अपने साथियों के साथ खुद की तुलना और प्रतिस्पर्धा करने की लगातार भावना में न तो अपनी आंतरिक शांति को नष्ट करें और न ही अपनी परीक्षा को अपना जीवन मानें. इनसे परे भी एक जीवन है. जितना अधिक आप सकारात्मक और मुक्त महसूस करेंगे, आप जीवन में उतना ही बेहतर प्रदर्शन करेंगे.
पीएम मोदी ने कहा कि हमको एक स्पेशल नो टेक्नोलॉजी जोन टाइम तय करना चाहिए. जैसे आप में से कई लोग धार्मिक त्योहारों के दौरान उपवास करते हैं, वैसे ही टेक्नोलॉजी से दूर रहने का समय तय होना चाहिए. हमें टेक्नोलॉजी का उपयोग जरूर करना चाहिए, मगर किसी भी तरह इसका गुलाम नहीं बनना है. प्रधानमंत्री ने कहा कि आज भारत में लोग रोजाना औसत 6 घंटे स्क्रीन पर बिताते हैं. जब केवल कॉल करने वाले फोन होते थे तो ये औसत केवल 20 मिनट था. पीएम मोदी ने कहा कि एक आजाद व्यक्तित्व होने के नाते हम सभी को गैजेट की गुलामी से बचना है. टेक्नोलॉजी का उपयोग करना है, लेकिन उसका गुलाम नहीं बनना है.
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-महाराष्ट्र के गवर्नर का का पद छोड़ेंगे भगत सिंह कोश्यारी, पीएम मोदी से जताई है इच्छा
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