बिहार सरकार ने बंद किए पटना हाईकोर्ट के सात जजों के जीपीएफ अकाउंट, सीजेआई की कोर्ट में पहुंचा मामला

बिहार सरकार ने बंद किए पटना हाईकोर्ट के सात जजों के जीपीएफ अकाउंट, सीजेआई की कोर्ट में पहुंचा मामला

प्रेषित समय :21:35:32 PM / Wed, Feb 22nd, 2023

दिल्ली. पटना हाईकोर्ट के सात जजों के जीपीएफ अकाउंट बंद किए जाने का मामला सुप्रीम कोर्ट में सीजेआई की अध्यक्षता वाली पीठ के सामने सुनवाई के लिए पहुंचा है. बताया जा रहा है कि मामला जब प्रधान न्यायाधीश न्यायमूर्ति डीवाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति कृष्ण मुरारी और न्यायमूर्ति पी.एस. नरसिम्हा की पीठ के सामने आया तो उन्होंने तुरंत इस सुनवाई की तारीख दे दी. सुप्रीम कोर्ट इस मामले पर शुक्रवार को सुनवाई करेगा. पीठ के समक्ष एक वकील ने इस मामले का उल्लेख करते हुए कहा कि सात न्यायाधीशों के जीपीएफ खाते बंद कर दिए गए हैं और मामले में जल्द सुनवाई की जानी चाहिए.

पटना हाईकोर्ट के सात जजों की तरफ से उनके वकील ने सीजेआई के सामने ये मामला रखा. वकील की तरफ से कहा गया कि सात जजों का जनरल प्राविडेंट फंड अकाउंट बंद कर दिया गया है. इस पर सीजेआई ने तुरंत पूछा कि क्या जजों का जीपीएफ अकाउंट बंद हो गया? रिट किसकी तरफ से दायर की गई है. वकील ने जब बताया कि पटना हाईकोर्ट के सात जज मामले को लेकर उनकी कोर्ट में आए हैं तो सीजेआई ने तुरंत कहा कि मामले को शुक्रवार को सुनवाई के लिए लिस्ट किया जाए.

पटना हाईकोर्ट के जस्टिस शैलेंद्र सिंह, जस्टिस अरुण कुमार झा, जस्टिस जितेंद्र कुमार, जस्टिस आलोक कुमार पांडे, जस्टिस सुनील दत्ता मिश्रा, जस्टिस चंद्र प्रकाश सिंह और जस्टिस चंद्र शेखर झा द्वारा संयुक्त रूप से दायर याचिका को अधिवक्ता प्रेम प्रकाश ने सुप्रीम कोर्ट में पेश किया.

बताया जा रहा है कि बिहार सरकार की ओर से हाल ही में जारी आदेश नें पटना हाईकोर्ट के 7 जजों के जीपीएफ खाते बंद करने का आदेश दिया गया था. इन सभी जजों की न्यायिक सेवा कोटे से 22 जून को नियुक्ति हुई थी. जज बनने के बाद इनके जीपीएफ खातों को बंद कर दिया गया था. सरकार ने ये खाते बंद करने के पीछे दलील दी है कि इन खातों को इसलिए बंद किया गया है, क्योंकि न्यायिक सेवा में उनकी नियुक्ति साल 2005 के बाद हुई थी.

जीपीएफ या जनरल प्रोविडेंट फंड एक तरह का प्रोविडेंट फंड ही होता है, हालांकि इसे सिर्फ सरकारी कर्मचारी ही खुलवा सकते हैं. सरकारी कर्मचारियों को इसमें अपनी सैलरी से कुछ निश्चित रकम जमा करनी होती है. रिटायरमेंट के बाद ये रकम कर्मचारियों को मिलती है. ये एक तरह का रिटायरमेंट फंड होता है.

Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-

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