एमपी का बजट: किसनी ने घोर निराशा जताई तो किसी ने आत्मनिर्भर मध्यप्रदेश की समृद्धि कहा

एमपी का बजट: किसनी ने घोर निराशा जताई तो किसी ने आत्मनिर्भर मध्यप्रदेश की समृद्धि कहा

प्रेषित समय :21:17:03 PM / Wed, Mar 1st, 2023

पलपल संवाददाता, जबलपुर. मध्यप्रदेश सरकार द्वारा पेश किए बजट को लेकर लोगों ने अपनी अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त की है. किसी ने बजट को लेकर कहा कि उद्योगपति व व्यापारी वर्ग में घोर निराशा होना बताया. वहीं किसी ने आत्मनिर्भर मध्यप्रदेश की समृद्धि का बजट बताया है. इसके अलावा एमपी तृतीय कर्मचारी संघ ने बजट को लेकर आक्रोश जताया है.

जबलपुर चेम्बर ऑफ कामर्स- 

बजट को लेकर जबलपुर चेम्बर ऑफ कामर्स के अध्यक्ष प्रेम दुबे ने कहा कि शिवराज सरकार द्वारा पेश किए गये बजट से प्रदेश के उद्योगपति एवं व्यापारी वर्ग में घोर निराशा है. ऐसा प्रतीत होता है कि प्रदेश शासन अर्थव्यवस्था को चलाने वाले व्यवसायी वर्ग के हितों के प्रति संवेदनशील नहीं है. प्रदेश के बजट से क्षेत्रीय असंतुलन बढ़ेगा क्योंकि जबलपुर एवं महाकौशल क्षेत्र के हितार्थ बजट में कुछ भी नहीं है.

चुनावी बजट है-

फेडरेशन ऑफ मध्यप्रदेश चेंबर्स ऑफ कॉमर्स के उपाध्यक्ष हिमांशु खरे ने कहा कि चूंकि इस वर्ष प्रदेश में विधानसभा चुनाव है. इसलिए वित्त मंत्री ने सिर्फ वोटरों के बड़े तबके को आकर्षित करने ढेरों सौगातें दी हैं. उन्होंने कहा कि मुफ्त की योजनाओं पर अंकुश लगना चाहिए जिसका भार ईमानदार कर दाताओं पर आता है तथा वोटों की राजनीति में उलझकर प्रदेश की अर्थव्यवस्था खोखली हो जाती है. उन्होंने बताया कि बजट में जबलपुर में निवेशरत उद्योग एवं संभावित निवेशकों को आकर्षित करने कुछ भी नहीं किया गया हैए न ही औद्योगिक क्षेत्रों के विकास की बात कही गई है और न ही स्थापित होने वाले विभिन्न क्लस्टरों के लिए वित्तीय आवंटन किया गया है. ऐसा प्रतीत होता है कि सिर्फ और सिर्फ चुनाव एवं वोटरों के तबके को ध्यान में रख कर यह बजट लाया गया है.

इन्हे भी राहत नहीं-

जबलपुर चेम्बर के उपाध्यक्ष नरिन्दर सिंह पांधे ने कहा कि बजट से ट्रांसपोर्ट व्यवसाईयों को काफी उम्मीदें थीं जैसे कि डीज़ल की दर को कम करना तथा टोल नाकों पर लिये जाने वाले कर को कम करना जो कि पूरी नहीं हो पाई.

व्यापारिक हितों की अनदेखी-

चेम्बर के कार्यसमिति सदस्य अनिल अग्रवाल, निखिल पाहवा, जितेन्द्र पचौरी, दीपक सेठी, अभिषेक ध्यानी, शशिकांत पांडेय आदि ने प्रदेश के बजट को उपेक्षापूर्ण निरुपित किया है. उन्होंने कहा कि व्यापारी करदाताओं की अनदेखी सरकार ने की है. कोई नया कर नहीं लगाया है लेकिन प्रदेश की अर्थव्यवस्था का भविष्य भी निश्चित नहीं किया है जो कि बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है.

आत्मनिर्भर मध्यप्रदेश की समृद्धि का बजट है-

भाजपा व्यापारी प्रकोष्ठ के प्रदेश संयोजक शरद अग्रवाल ने बजट को आत्मनिर्भर मध्यप्रदेश की समृद्धि का बजट बताया है. उन्होने बजट को सर्वसमावेशी, सर्वव्यापी बताते हुए मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान और वित्त मंत्री जगदीश देवड़ा को धन्यवाद दिया है. श्री अग्रवाल के मुताबिक मध्यप्रदेश के बजट का आकार बढ़ा है. यह बजट प्रत्येक वर्ग को ध्यान में रख कर पेश किया गया है. किसान, महिलाएं, युवाओं, बच्चों और बुजुर्गों सहित दैनिक रोजगार तथा व्यवसायी आदि प्रत्येक वर्ग का ख्याल रखा गया है. शरद अग्रवाल के अनुसार देश के सकल घरेलू उत्पाद में मध्यप्रदेश का योगदान 3.6 प्रतिशत से बढ़कर अब 4.8 प्रतिशत हो चुका है. वर्ष 2011-12 में प्रति व्यक्ति आय 30 हजार 497 रुपए थी जो अब वर्ष 2022-23 में साढ़े तीन गुना तक बढ़ कर 1 लाख 40 हजार 585 रुपए तक हो गई है.

कर्मचारी विरोधी है बजट-

मध्यप्रदेश तृतीय वर्ग शासकीय कर्मचारी संघ ने जारी विज्ञप्ति में बताया कि राज्य सरकार द्वारा वित्तीय वर्ष 2023-24 प्रस्तुत बजट में राज्य कर्मचारी 10 लाख अपेक्षा कर रहे थे कि पड़ोसी राज्य राजस्थान, छत्तीसगढ की सरकारों का अनुसरण करते हुए राज्य सरकार भी अपने कर्मचारियों को पुरानी पेंशन योजना  31 दिसम्बर  2004 में स्थिति में पुन: ओपीएस लागू करेगी. किन्तु बजट में इसका कोई प्रावधान नहीं किया गया है. इसी प्रकार सातवें वेतनमान अनुसार मकान भाड़ा भत्ता, यात्रा भत्ता,  वाहन भत्ता में कोई बढ़ोत्तरी तथा कर्मचारी स्वास्थ्य बीमा योजना लागू करना,  कोरोनाकाल के मंहगाई भत्ता एरियर्स का कोई प्रावधान नहीं है. पेंशनरों के मंहगाई भत्ते का कोई प्रावधान नहीं है. तृतीय एवं चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों को वृत्ति कर से मुक्त रखने जैसी कर्मचारियों की प्रमुख मांगों का कोई उल्लेख नहीं है. संघ के योगेन्द्र दुबे, अर्वेन्द्र राजपूत, अवधेश तिवारी, अटल उपाध्याय, मुकेश सिंह, मिर्जा मंसूर बेग, आलोक अग्निहोत्री, मनोज सेन, आशुतोष तिवारी, दुर्गेश पाण्डे, बृजेश मिश्रा, संदीप नेमा, सुदेश श्रीवास्तव, पंकज शर्मा, आरके गुलाटी, श्यामनारायण तिवारी, मोहम्मद तारिख, धीरेन्द्र सोनी, राकेश दुबे, गणेश उपाध्याय, महेश कोरी, नितिन शर्मा, प्रणव साहू, राकेश पाण्डे, विनय नामदेव, प्रियांशु शुक्ला, आदित्य दीक्षित, विजय कोष्टी, अभिषेक मिश्रा, सोनल दुबे, देवदत्त शुक्ला, ब्रजेश गोस्वामी, संतोष तिवारी, पवन ताम्रकार आदि ने मुख्यमंत्री से मांग की है कि वित्तीय वर्ष 2023-24 में कर्मचारी के साथ छलाबा बन्द करते हुए ओपीएस योजना लागू की जाए. सातवें वेतनमान के अनुसार भत्तों का पुन: निर्धारित किये जाये अन्यथा संघ राज्य व्यापी आन्दोलन हेतु बाध्य होगा.
 

Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-

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