दिल्ली. सुप्रीम कोर्ट ने अडानी मामले में हिंडनबर्ग की रिपोर्ट की जांच और मौजूदा नियामक तंत्र की बेहतरी पर सुझाव देने के लिए कमेटी के गठन पर अपना फैसला सुनाया. सुप्रीम कोर्ट ने कहा भारतीय निवेशकों की संरक्षण के लिए जांच जरूरी है. सुप्रीम कोर्ट ने पूर्व जज जस्टिस अभय मनोहर सप्रे के नेतृत्व में कमेटी गठित की. वहीं सुप्रीम कोर्ट पहले ही साफ कर चुका था कि कोर्ट अपनी तरफ से कमेटी बनाएगा. सुप्रीम कोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज जस्टिस अभय मनोहर सप्रे के नेतृत्व में कमेटी बनाई. इनके अलावा कमेटी में ओपी भट्ट, जस्टिस जेपी देवधर, केवी कामथ, नंदन निलकेनी, शेखर सुंदरेशन शामिल किए गए हैं.
चीफ जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़, जस्टिस पीएस नरसिम्हा और जेबी पारदीवाला की बेंच ने अपना फैसला सुनाया. इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने सेबी को जांच करने का भी निर्देश दिया कि क्या सेबी के नियमों की धारा 19 का उल्लंघन हुआ है, क्या स्टॉक की कीमतों में कोई हेरफेर हुआ है. सुप्रीम कोर्ट ने सेबी को 2 महीने के भीतर जांच करने और स्टेटस रिपोर्ट पेश करने को कहा.
गौरतलब है कि इससे पहले शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले पर मीडिया कवरेज पर रोक लगाने की मांग वाली याचिका को खारिज कर दी थी. कोर्ट ने कहा कि वह मीडिया को रिपोर्टिंग से नहीं रोक सकता. वहीं कोर्ट ने कहा कि वह इस मामले की जांच के लिए कमेटी के गठन को लेकर अपना फैसला सुरक्षित कर चुकी है और जल्द ही इसे सुनाया जाएगा. ये याचिका एडवोकेट मनोहर लाल शर्मा ने दायर की थी.
इस मामले में अभी तक 4 जनहित याचिकाएं दायर की जा चुकी हैं. एडवोकेट एमएल शर्मा, विशाल तिवारी, कांग्रेस नेता जया ठाकुर और सोशल वर्कर मुकेश कुमार ने ये याचिकाएं दायर की हैं. मामले में पहली सुनवाई चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस पीएस नरसिम्हा और जेबी पारदीवाला ने 10 फरवरी को की थी.
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-सुप्रीम कोर्ट ने रक्षा मंत्रालय को लगाई फटकार, कहा- कानून अपने हाथ में मत लीजिए
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