निर्णय सिंधु ग्रंथ के अनुसार भद्रा में अगर होली जलाई जाए तो बड़े भयानक कष्ट का सामना करना पड़ सकता

निर्णय सिंधु ग्रंथ के अनुसार भद्रा में अगर होली जलाई जाए तो बड़े भयानक कष्ट का सामना करना पड़ सकता

प्रेषित समय :19:59:34 PM / Sat, Mar 4th, 2023

पूर्णिमा तिथि 6 मार्च 2023 को शाम 6 बजकर 17 मिनट पर शुरू हो जाएगी और 7 मार्च 2023 मंगलवार 06:09 मिनट तक रहेगी. लेकिन होलिका दहन 7 मार्च 2023 को किया जाएगा. होलिका दहन के लिए शुभ समय 7 मार्च 2023 को शाम 6:48 मिनट से रात 8:51 मिनट  तक है. इसके बाद 8 मार्च को रंगों की होली खेली जाएगी. 

स्मृति सार नामक शास्त्र के मुताबिक जिस वर्ष फाल्गुन की पूर्णिमा तिथि दो दिन के प्रदोष को स्पर्श करे, तब दूसरी पूर्णिमा यानी अगले दिन में होली जलाना चाहिए. इस बार भी पूर्णिमा तिथि 6 मार्च और 7 मार्च दोनों दिन प्रदोष काल को स्‍पर्श कर रही है, ऐसे में 7 मार्च को होलिका दहन करना शुभ होगा.

6 मार्च को होलिका दहन न होने का एक और कारण ये है कि इस दिन 6 मार्च सोमवार में शाम 4:18 मिनट से भद्रा शुरू हो जाएगी और 7 फरवरी 2023 को सुबह 05:15 बजे तक रहेगी. भद्रा का वास भी पृथ्वीलोक में होगा. भद्रा के दौरान किसी भी तरह के शुभ काम करना वर्जित होता है, वरना उसके अशुभ परिणाम झेलने पड़ सकते हैं. निर्णय सिंधु ग्रंथ में लिखा है कि भद्रा में अगर होली जलाई जाए तो देश को बड़ी हानि हो सकती है और देशवासियों को बड़े भयानक कष्ट का सामना करना पड़ सकता है. 7 मार्च की पूर्णिमा तिथि भद्रामुक्‍त होगी, ऐसे में 7 मार्च को ही होलिका दहन किया जाना चाहिए. 

इस बार 7 मार्च को होलिका दहन किया जाएगा. आइए जानते हैं होली के खास अवसर पर आपकी थाली में क्या-क्या सामग्री का होना जरूरी है तथा होली की थाली कैसी होनी चाहिए-

*होलिका पूजन थाली कैसी हो, पूजन सामग्री की सूची-
1. थाली : 
होलिका पूजन के लिए आप चांदी, पीतल, तांबा या स्टील की थाली ले सकते हैं.
*2. पूजन समग्री 
थाली में रोली, 
कुमकुम, 
कच्चा सूत, 
चावल, 
कर्पूर, 
साबूत हल्दी और मूंग रखें. 
इसके बाद थाली में दीपक, फूल और माला भी रखें. 
थाली में 3 नारियल,
कुछ बताशे,  
बिडुकले की माला,
कंडे, भरभोलिये (उपलों की माला),
रंगोली, 
सूत का धागा, 
5 तरह के अनाज, 
चना,
मटर, 
गेहूं, 
अलसी, 
मिठाई, 
फल, 
गुलाल, 
लोटा, 
जल, 
गेहूं की बालियां, 
लाल धागा 
आदि सामग्री भी एकत्रित कर लें.
3. थाली की शुद्धि : एक तांबे के लोटे में जल भरकर उसे पूजा स्थल पर ले जाएं और वहीं पर होलिका पूजन से पहले अपनी थाली पर जल का छिड़काव करके उसे पवित्र और शुद्ध करें. आसपास के क्षेत्र को भी पवित्र और शुद्ध करें.
होलिका दहन की पूजा विधि 
 पूजन करके के पूर्व भगवान गणेश और माता पार्वती की पूजा और आरती करें. फिर सबसे पहले साबूत हल्दी, चावल, मूंग, बताशा, रोली और फूल होलिका पर अर्पित करें. इसके बाद बड़गुल्लों या भरभोलिये की माला अर्पित करें और नारियल भी अर्पित करें और फिर 7 परिक्रमा करते हुए कच्चा सूत होलिका पर बांधें.
होलिका, प्रहलाद और भगवान नृसिंह के मंत्रों का उच्चारण करते हुए पूजन सामग्री से होलिका की पूजा करें. फिर प्रहलाद की और फिर भगवान नृसिंह की पूजा करें. बारी-बारी से तीनों को अक्षत्, फूल, रोली, गंध आदि अर्पित करें. फिर हनुमान जी, शीतला माता, पितरों की पूजा करें.
इसके बाद बाद 7 बार परिक्रमा करते हुए होलिका में कच्चा सूत लपेटें. उसके बाद जल, नारियल, कर्पूर, चना, गन्ना, मटर, गेहूं और अन्य पूजा सामग्री होलिका को चढ़ा देते हैं. उसके बाद अग्नि प्रज्वलित करते हैं. फिर जलती हुई होली की भी पूजा और परिक्रमा करते हैं. दूसरे दिन होली को ठंडी करके के लिए भी उसकी पूजा करते हैं.
*होलिका पूजन मंत्र-
होलिका के लिए मंत्र- ॐ होलिकायै नम:
भक्त प्रह्लाद के लिए मंत्र- ॐ प्रह्लादाय नम:
भगवान नरसिंह के लिए मंत्र- ॐ नृसिंहाय नम:

Astro nirmal
 

Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-

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