जयपुर. वीरांगनाओं के आंदोलन के बीच ही शनिवार को कुछ अन्य शहीदों की वीरांगनाओं ने सीएम अशोक गहलोत से सीएमआर में मुलाकात की. करीब आधा घंटे की मुलाकात के बाद ये वीरांगनाएं मीडिया से मुखातिब हुई. उन्होंने बातचीत में कहा कि अनुकंपा नौकरी सिर्फ वीरांगनाओं या उनके बच्चों की ही दी जानी चाहिए. किसी अन्य रिश्तेदार को नौकरी नहीं दी जानी चाहिए. वीरांगनाओं ने ये भी कहा कि इस नौकरी पर सिर्फ पत्नी या बच्चों का ही हक हैं, ये किसी और को नहीं दिया जा सकता है.
इससे पहले मुलाकात में गहलोत ने कहा कि राज्य सरकार के लिए शहीदों और वीरांगनाओं का सम्मान सर्वोच्च है. शहीदों के आश्रितों को नियमानुसार राजकीय सेवाओं में नियोजित किया जाता रहा है. भविष्य में भी नियमों की पालना की जाएगी. शहीदों के आश्रितों के साथ किसी तरह का अन्याय नहीं होने दिया जाएगा. गहलोत ने कहा कि पूर्व कार्यकाल में शहीदों के लिए कारगिल पैकेज लागू किया था. इस पैकेज के अंतर्गत वर्तमान में शहीदों के परिवार के लिए 25 लाख रुपए, 25 बीघा जमीन, हाउसिंग बोर्ड से आवास तथा आवास ना लेने पर अतिरिक्त 25 लाख रुपए, वीरांगनाओं या उनके बच्चों के लिए नौकरी एवं गर्भवती वीरांगनाओं के बच्चों के लिए नौकरी सुरक्षित करने का प्रावधान है. साथ ही, शहीद के माता-पिता के लिए 5 लाख रुपए की एफ.डी. करवाने, शहीदों की प्रतिमा लगाने तथा किसी एक सार्वजनिक स्थल का शहीदों के नाम से नामकरण करने के प्रावधान भी किए गए थे.
गहलोत ने कहा कि शहीदों से जुडे मामलों का राजनीतिकरण नहीं होना चाहिए. वीरांगना या बच्चों के अलावा परिवार के किसी अन्य सदस्य को नौकरी देने का प्रावधान नियमों में नहीं है. यह मांग सही नहीं है, इससे भविष्य में वीरांगनाओं को अनुचित पारिवारिक एवं सामाजिक दबाव झेलना पड़ सकता है. शहीदों की वीरांगनाओं ने इस अवसर पर राज्य सरकार की ओर से शहीदों के परिवारों को दिए जा रहे पैकेज पर संतुष्टि व्यक्त की. उन्होंने कहा कि राज्य सरकार द्वारा नौकरी केवल शहीद की वीरांगना या बच्चों को ही दी जानी चाहिए.
शहीद हवलदार रमेश कुमार डागर की पत्नी वीरांगना कुसुम ने कहा कि देवर को नौकरी देने की मांग नियमानुसार नहीं है. धरने पर बैठी वीरांगनाओं की यह मांग नाजायज़ है. शहीद के बच्चों की जगह दूसरे पारिवारिक सदस्यों के लिए नौकरी की मांग के दुष्परिणाम अन्य वीरांगनाओं को भी झेलने पड़ते हैं. अनुचित मांगों को लेकर धरना प्रदर्शन से सभी वीरांगनाओं की छवि प्रभावित होती है.
शहीद हवलदार श्याम सुन्दर जाट की पत्नी वीरांगना कृष्णा जाट ने कहा कि नौकरी पाने का अधिकार केवल शहीद के बच्चों को है. देवर, जेठ या अन्य पारिवारिक सदस्यों को नौकरी दिलाने के लिए आंदोलन करना गलत है. इस मामले में राज्य सरकार का रुख संवेदनशील एवं सही है. शहीद लांस नायक मदन सिंह की पत्नी वीरांगना प्रियंका कंवर एवं शहीद हवलदार होशियार सिंह की पत्नी वीरांगना नमिता रामावत ने भी शहीद की वीरांगना एवं बच्चों के स्थान पर अन्य रिश्तेदारों को नौकरी दिलाने के लिए धरना प्रदर्शन को गलत एवं नियमों के विरुद्ध बताया.
आपको बता दें कि इन दिनों जयपुर में तीन वीरांगनाएं आंदोलनरत हैं और वे अपने देवर के लिए नौकरी मांग रही है, आज भाजपा ने भी इस मामले में प्रदर्शन किया था. जबकि राज्य सरकार का कहना हैं कि शहीद की पत्नी या बच्चों को ही नौकरी दी जा सकती है. अन्य को नौकरी देना सरकार के नियमों में नहीं हैं. वहीं राज्यसभा सांसद किरोड़ीलाल मीणा भी इन वीरांगनाओं के साथ आंदोलनरत थे लेकिन कल उन्हें हिरासत में ले लिया. मीणा की इससे तबियत खराब हो गई और उनका एसएमएस में इलाज चल रहा है.
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-Rail News: जयपुर से भोपाल के मध्य दो ट्रिप चलाई जाएगी स्पेशल ट्रेन
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