महासमुंद. छत्तीसगढ़ के महासमुंद जिले के बसना ब्लॉक के छोटे टेमरी स्थित प्राथमिक स्कूल तीन सालों तक कागजों पर ही संचालित होता रहा. बताया जा रहा है कि इस स्कूल में पिछले तीन साल से बच्चों की दर्ज संख्या शून्य है और यहां ताला लटका रहता है. कागजों में स्कूल चल रहा है और इन तीन सालों में यहां पदस्थ शिक्षिका रोज आती रहीं, पढ़ाती रहीं और अटेंडेंस लगाकर चली जातीं.
इस तरह बगैर बच्चों के स्कूल में पढ़ाने के लिए शिक्षिका को हर महीने वेतन जारी किया जाता है. यह सिस्टम की लापरवाही बसना ब्लॉक मुख्यालय से महज तीन किलोमीटर की दूरी पर होती रही. बावजूद इसके अफसरों को इसकी भनक तक नहीं लगी. वहीं ग्रामीणों ने बताया कि शिक्षिका का व्यवहार बच्चों और पालकों के प्रति ठीक नहीं रहता. यही नहीं, जनप्रतिनिधियों के साथ भी शिक्षिका दुर्व्यवहार करती हैं. ऐसे में यदि शिक्षिका को स्कूल से हटाया नहीं गया तो हम अपने बच्चों को स्कूल भेजना बंद कर देंगे. शिकायत पर किसी ने ध्यान नहीं दिया. इससे पालकों ने बच्चों को दूसरे स्कूल भेजना शुरू कर दिया. वर्तमान में छोटे टेमरी गांव के 10 बच्चे बड़े टेमरी और बसना के स्कूलों में पढ़ाई करने जाते हैं.
स्कूल में 3 साल से एक भी बच्चा नहीं है. यही नहीं, सिस्टम की लापरवाही ऐसी रही कि साल 2022 में प्रमोशन पाकर जब शिक्षिका प्रधानपाठक बनीं तो 14 अक्टूबर 2022 को दोबारा उन्हें उसी स्कूल में पदस्थ कर दिया गया. जहां बच्चों की दर्ज संख्या शून्य थी. अब मामला सामने आने के बाद अधिकारी जांच करने की बात कर रहे हैं. यही नहीं आनन-फानन में 3 मार्च 2023 को शिक्षिका का तबादला प्राथमिक स्कूल पसेरलेवा कर दिया गया और 6 मार्च को शिक्षिका रिलीव भी हो गई. इस मामले में गांव के सरपंच मनबोध चौहान ने कहा कि शिक्षिका का व्यवहार ठीक नहीं था. इसलिए हमने टीचर को हटाने लिखित में शिकायत भेजी थी. फिर भी विभाग ने नहीं हटाया और ग्रामीणों ने स्कूल में बच्चों को भेजना बंद कर दिया.
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-छत्तीसगढ़: महासमुंद में ईंट भट्ठे में काम कर रहे पांच मजदूरों की दम घुटने से मौत
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