माता कात्यायनी के पूजन से भक्तों के भीतर एक अद्भुत शक्ति का संचार होता

माता कात्यायनी के पूजन से भक्तों के भीतर एक अद्भुत शक्ति का संचार होता

प्रेषित समय :22:01:39 PM / Sun, Mar 26th, 2023

27 मार्च 2023 सोमवार नवरात्रा की षष्ठी तिथि है. इसलिए आज के दिन आदिशक्ति माता श्री जगतजननी जगदम्बिका माता श्री दुर्गा देवी के छठे रूप माता श्री कात्यायनी की पूजा-अर्चना की जाती है. महर्षि कात्यायन की तपस्या से प्रसन्न होकर आदिशक्ति ने उनके यहां पुत्री के रूप में जन्म लिया था. इसलिए वही आदिशक्ति जगतजननी माता कात्यायनी कहलाती हैं.

*नवरात्रि में उपवास एवं साधना करनेवाले भक्तों के लिए आज के दिन हमारे पूर्वज ऋषियों द्वारा ऐसा अनुभव किया गया है, कि उनका मन आज आज्ञाचक्र में स्थित होता है. आज माता कात्यायनी की उपासना से साधकों के आज्ञा चक्र जाग्रत होकर सिद्धियों को स्वयंमेव ही प्राप्त हो जाता है. वह इस लोक में स्थित रहकर भी अलौकिक तेज और प्रभाव से युक्त हो जाता है. तथा उसके रोग, शोक, संताप, भय आदि सर्वदा के लिए विनष्ट हो जाते हैं.

* इनका स्वरूप अत्यन्त ही दिव्य और स्वर्ण के समान देदीप्यमान है. इनकी चार भुजायें हैं, इनका दाहिना ऊपर का हाथ अभय मुद्रा में है. तथा नीचे का हाथ वरदमुद्रा में रहता है. बांये ऊपर वाले हाथ में तलवार और निचले हाथ में कमल का फूल लिए रहती हैं. और इनका वाहन सिंह है. आज के दिन साधक का मन आज्ञाचक्र में स्थित होता है. योगसाधना में आज्ञाचक्र का महत्त्वपूर्ण स्थान है.

* इस चक्र में स्थित साधक कात्यायनी के चरणों में अपना सर्वस्व अर्पित कर देता है. पूर्ण आत्मदान करने से साधक को सहजरूप से माँ के दर्शन हो जाते हैं. माँ कात्यायनी की भक्ति से मनुष्य को धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष की प्राप्ति सहज ही हो जाती है. माता की आराधना से भक्त का हर काम सरल एवं सुगम हो जाता है. जिनकी भुजाओं में चन्द्रहास नामक तलवार शोभायमान हो रहा है. श्रेष्ठ सिंह जिसका वाहन है, ऐसी असुर संहारकारिणी देवी कात्यायनी हमारा कल्याण करें.

 * माता दुर्गा के छठा रूप महर्षि कात्यायन की कठिन तपस्या से प्रसन्न होकर उनके यहां पुत्री के रूप में पैदा हुई थीं. महर्षि कात्यायन ने इनका पालन-पोषण किया तथा महर्षि कात्यायन की पुत्री और उन्हीं के द्वारा सर्वप्रथम पूजे जाने के कारण देवी दुर्गा के इस रूप को कात्यायनी कहा गया है. देवी कात्यायनी अमोघ फलदायिनी हैं. इनकी पूजा अर्चना द्वारा भक्तों के सभी संकटों का नाश हो जाता है.

 * माता कात्यायनी के पूजन से भक्तों के भीतर एक अद्भुत शक्ति का संचार होता है. इस दिन साधकों के साधारण पूजन से ही माता कात्यायनी सहज रूप से ही अपने भक्तों को दर्शन दे देती हैं. जो साधक कुण्डलिनी जागृत करने की इच्छा से देवी की अराधना में समर्पित होते हैं. उन्हें दुर्गा पूजा के छठे दिन माँ कात्यायनी जी की सभी प्रकार से विधिवत पूजा अर्चना करनी चाहिए. फिर मन को आज्ञा चक्र में स्थापित करने हेतु माता से प्रार्थना करनी चाहिए.
Astro nirmal
 

Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-

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