अभिमनोज. जब बीजेपी का साथ छोड़ कर नीतीश कुमार महागठबंधन की ओर आए थे, तब 2024 के चुनाव और विपक्षी एकता को लेकर बहुत जोश में थे, लेकिन कांग्रेस की ठंडी प्रतिक्रिया ने शायद उनका सियासी जोश ठंडा कर दिया है?
यही वजह है कि विपक्षी एकता के सवाल पर प्रेस से वह कह रहे हैं कि.... मेरी यही इच्छा है कि ज्यादा से ज्यादा विपक्ष एकजुट हो जाए, ताकि हम लोग और मजबूत हो जाएं और 2024 का लोकसभा चुनाव लड़ा जाए, तो.... इस सवाल पर कि- क्या आप कांग्रेस का इंतजार कर रहे हैं? उन्होंने कहा कि- आप लोग जानते ही हैं, कई राउंड हम दिल्ली गए, लोगों के साथ मीटिंग की, हम तब से इंतजार ही कर रहे हैं, हमने तो सब लोगों को कह दिया है कि आप देख लीजिए, तय कर लीजिए, हम लोग उसी के इंतजार में हैं?
दरअसल, राहुल गांधी की सदस्यता रद्द किए जाने के मामले में जहां सारा विपक्ष एक नजर आया, वहीं नीतीश कुमार की कोई प्रतिक्रिया नहीं थी, जिसे लेकर सियासी चर्चाएं गरम थी, इस पर नीतीश कुमार ने कहा कि- कोर्ट का जो भी फैसला होता है, वह उस पर कुछ नहीं बोलते हैं, जब किसी पर कोई मुकदमा होता है, केस होता है तो उस पर भी कुछ नहीं बोलते हैं.
वह बोले- मेरी आदत है, मैं इन सब पर चीजों पर कोई कमेंट नहीं करता, जब किसी की जांच होती है तो हम यही कहते हैं कि ठीक ढंग से जांच होनी चाहिए!
सियासी सयानों का मानना है कि कांग्रेस ने बहुत सियासी झटके खाए हैं, लिहाजा अब वह किसी भी राज्य के नेता को अपने पॉलिटिकल प्लेटफार्म पर आगे आने देना नहीं चाहती है?
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-बिहार में असली सियासी रस्साकशी तो सीएम नीतीश कुमार के वोट बैंक की है?
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