वर्ष 2023 में कुल मिलाकर दो सूर्य ग्रहण लगने वाले हैं जिनमें साल 2023 का पहला सूर्य ग्रहण 20 अप्रैल, 2023 गुरुवार के दिन होगा जो कि एक हाइब्रिड सूर्य ग्रहण है. इसके अतिरिक्त साल का दूसरा सूर्य ग्रहण 14 अक्टूबर, 2023 शनिवार को होगा.
वैदिक ज्योतिष में सूर्य ग्रहण तब माना जाता है जब सूर्य पर राहु का प्रभाव होता है और इस स्थिति में सूर्य ग्रसित हो जाता है. वैज्ञानिक दृष्टिकोण से तो सूर्य ग्रहण एक खगोलीय घटना है. इसे हम प्रत्यक्ष आंखों से स्पष्ट रूप से देख सकते हैं और धार्मिक रूप से यह एक अशुभ घटना है क्योंकि इस दौरान जगत को ऊर्जा देने वाले सूर्यदेव राहु के प्रभाव में आकर पीड़ित होने लगते हैं.
सौरमंडल में सभी ग्रह सूर्य की परिक्रमा करते हैं और हमारी पृथ्वी पर भी सूर्य की रोशनी ही जीवन का आधार मानी जाती है. यह जीव धारियों को जीवन ऊर्जा प्रदान करती है. पृथ्वी का उपग्रह चंद्रमा भी सूर्य के प्रकाश से ही प्रकाशित होता है. यही कारण है कि पृथ्वी पर सूर्य को साक्षात ईश्वर माना जाता है क्योंकि यह जीवन देने वाले हैं. हमारी पृथ्वी भी सूर्य का चक्कर लगाती है और उनकी परिक्रमा करती है और इसके साथ-साथ अपने अक्ष पर भी घूर्णन करती है. इसी प्रकार पृथ्वी का उपग्रह चंद्रमा भी पृथ्वी का चक्कर लगाता है.
पृथ्वी के अपने अक्ष पर घूमने के कारण ही दिन और रात की प्रक्रिया होती है क्योंकि जहां पृथ्वी के क्षेत्र में सूर्य का प्रकाश पड़ता है तो दूसरी ओर चंद्रमा का प्रकाश होता है और जब पृथ्वी घूर्णन करके दूसरी ओर चली जाती है तो प्रकाश वाले क्षेत्र में अंधेरा और अंधेरे वाले क्षेत्र में प्रकाश हो जाता है और इससे दिन और रात का निर्माण होता है. सूर्य और चंद्र की गतियों के कारण ही पृथ्वी पर विभिन्न ऋतुओं का आवागमन होता रहता है.
साल 2023 का यह सूर्य ग्रहण विश्व की अलग-अलग जगहों पर अलग-अलग रूपों में दिखाई देने वाला है. यह एक हाइब्रिड सूर्य ग्रहण होगा जो कि एक दुर्लभ सूर्यग्रहण माना जाता है क्योंकि यह बहुत कम देखने को मिलता है. इस दिन कुछ जगहों पर यह आंशिक सूर्य ग्रहण के रूप में दिखाई देगा तो कुछ जगह पूर्ण सूर्यग्रहण के रूप में और कुछ जगह कुंडलाकार सूर्यग्रहण के रूप में दिखाई देगा इसलिए इसे हाइब्रिड सूर्यग्रहण भी कहा जाएगा.
सूर्य ग्रहण का प्रकार दृश्यता तिथि और समय
संकरित (हाइब्रिड) सूर्य ग्रहण कंबोडिया, चीन, अमेरिका, माइक्रोनेशिया, मलेशिया, फिजी, जापान, समोआ, सोलोमन, बरूनी, सिंगापुर, थाईलैंड, अंटार्कटिका, ऑस्ट्रेलिया, वियतनाम, ताइवान, पापुआ न्यू गिनी, इंडोनेशिया, फिलीपींस, दक्षिण हिंद महासागर, दक्षिण पेसिफिक सागर, तिमोर, न्यूजीलैंड(भारत में दृश्यमान नहीं) वैशाख मास कृष्ण पक्ष अमावस्या गुरुवार 20 अप्रैल 2023 प्रातः काल 7:05 बजे सेदोपहर 12:29 बजे तक
उपरोक्त वर्णित सूर्य ग्रहण का जो समय दिया गया है, वह भारतीय समय के अनुसार दिया गया है. साल 2023 का पहला सूर्य ग्रहण हाइब्रिड तो होगा ही लेकिन यह भारत में दिखाई नहीं देगा. ग्रहण का सूतक काल भी वहीं पर मान्य होता है, जहां पर यह दृश्य मान होता है इसलिए भारत में इसकी दृश्यता ना होने के कारण भारत में इसका कोई भी सूतक मान्य नहीं होगा और सभी भारतवासी अपनी दिनचर्या रोज की तरह व्यतीत कर सकते हैं और आपको कोई विशेष नियम पालन करने की आवश्यकता नहीं है लेकिन उपरोक्त वर्णित देशों में, जहां पर सूर्यग्रहण दृश्य मान होगा, वहां पर सूतक काल प्रभावी होगा और उन्हें सूर्य ग्रहण संबंधी नियम पालन करना लाभ देगा.
संकरित सूर्यग्रहण के ज्योतिषीय समीकरण
20 अप्रैल, 2023 का सूर्य ग्रहण वैशाख अमावस्या को होगा. उस समय सूर्य अपनी उच्च राशि मेष में अश्विनी नक्षत्र में राहु और चंद्रमा के साथ स्थित होंगे और शनि की उन पर पूर्ण दृष्टि होगी. सूर्य से द्वादश भाव में बृहस्पति होंगे जो आने वाले कुछ दिनों में ही 22 अप्रैल को सूर्य से आकर मिलेंगे. मेष राशि के स्वामी मंगल महाराज हैं जो मेष राशि से तीसरे भाव में स्थित होंगे और अश्विनी नक्षत्र केतु का नक्षत्र है. यह एक विशेष नक्षत्र है क्योंकि इसमें विशेष गुण पाए जाते हैं. मेष राशि के सूर्य प्रभावी होते हैं और अश्विनी नक्षत्र में होने से यह ग्रहण और भी ज्यादा प्रभावी हो गया है.
खग्रास सूर्यग्रहण का देश और दुनिया पर प्रभाव
यह एक कंकणाइकृति सूर्यग्रहण भी है और एक हाइब्रिड सूर्यग्रहण भी है जो की मेष राशि और अश्विनी नक्षत्र में लगने जा रहा है. मेष राशि अग्नि तत्व की राशि है और इसके स्वामी ग्रह मंगल भी अग्नि तत्व के ग्रह हैं. ऐसे में अग्नि तत्व प्रधान सूर्य ग्रह भी मेष राशि में होने से गर्मी का प्रकोप अधिक रहने की संभावना रहेगी.
इस सूर्य ग्रहण का प्रभाव सबसे अधिक वैद्यों, डॉक्टरों और ज्योतिषियों पर पड़ सकता है. ऐसे सभी लोग जो किसी भी प्रकार की बीमारी को ठीक करने का प्रयास करते हैं और हीलर हैं, उनको यह सूर्यग्रहण परेशानी दे सकता है. सूर्य को जगत की आत्मा और जगत का पिता भी कहा गया है. सूर्य के उच्च होकर प्रभावित होने से देश और दुनिया के नामचीन और महत्वपूर्ण पदों पर बैठे लोगों के लिए यह सूर्य ग्रहण ज्यादा अनुकूल नहीं रहेगा और इसलिए कहा जा सकता है कि विश्व के किसी बड़े नेता के साथ कोई अनहोनी घटना घटित हो सकती है.
चूंकि यह सूर्य ग्रहण भारत में दृश्य मान नहीं है इसलिए इसका प्रभाव भारत पर नहीं पड़ेगा लेकिन विश्व के अन्य देशों में जहां इसका प्रभाव होगा वे भी किसी ना किसी रूप में भारत से संबंधित होंगे इसलिए अप्रत्यक्ष रूप से भारत पर भी इसका प्रभाव पड़ सकता है.
इस सूर्यग्रहण से ये चार राशि वाले रहें सावधान
मेष राशि के जातकों को विशेष रूप से ध्यान देना होगा. आपको स्वास्थ्य समस्याएं परेशान कर सकती हैं. मानसिक तनाव में बढ़ोतरी हो सकती है और सामाजिक प्रतिष्ठा पर भी प्रभाव पड़ सकता है.
सिंह राशि के जातकों को भी ध्यान देना होगा. यात्राओं के दौरान विशेष सावधानी बरतें. सामाजिक तौर पर कोई भी काम हाथ में लेने से पहले सोच लें, कहीं उसमें मानहानि ना हो जाए. आर्थिक तौर पर उतार-चढ़ाव रहेगा और नौकरी में स्थानांतरण हो सकता है.
मकर राशि के जातकों को भी थोड़ा सावधान रहना होगा. किसी प्रकार का संक्रमण आपको परेशान कर सकता है. इसके अतिरिक्त पारिवारिक जीवन में असंतुलन और सामंजस्य की कमी होने से आप कुछ परेशान महसूस कर सकते हैं. इसका असर आप के काम पर भी पड़ सकता है.
सूर्य ग्रहण से इन दो राशियों को होगा फायदा
मिथुन राशि के जातकों को सूर्य ग्रहण से आर्थिक लाभ होने के योग बन सकते हैं और आपकी कोई बड़ी परियोजना आपको सामाजिक तौर पर और आर्थिक तौर पर लाभ प्रदान कर सकती है.
वृश्चिक राशि के जातकों को नौकरी में कोई बड़ी सफलता मिल सकती है. खर्च में कमी आएगी और आप किसी प्रतियोगिता परीक्षा में भी सफलता प्राप्त कर सकते हैं.
खग्रास सूर्य ग्रहण के उपाय
वैदिक ज्योतिष में सूर्यदेव को विशेष महत्व दिया गया है और इन्हें ग्रह मंडल का राजा भी माना गया है. सूर्य का जीवन देने वाला प्रभाव होता है और यह हमारे जीवन में आरोग्य कारक भी होते हैं इसलिए जब सूर्य पर ग्रहण लगता है तो हमारी आरोग्य क्षमता भी कमजोर पड़ती है और हमारी रोगों की चपेट में आने की संभावना बढ़ जाती है.
सूर्य न केवल सरकारी नौकरी प्रदान करते हैं बल्कि हमारे जीवन में मान – सम्मान और यश भी प्रदान करते हैं. देश और दुनिया के उच्च पदों पर बैठे लोग भी सूर्य के प्रभाव से ही वहां तक पहुंच पाते हैं.
सूर्य ग्रहण के दौरान सूर्य देव के बीज मंत्र का जाप करना बहुत लाभदायक होता है. इनका बीज मंत्र है- ॐ स्थान ह्रीं ह्रौं सः सूर्याय नमः.
इसके अतिरिक्त आप सूर्य ग्रहण काल में सूर्य देव की आराधना भी कर सकते हैं लेकिन उनकी मूर्ति का स्पर्श न करें.
सूर्य ग्रहण के दौरान भगवान शिव की पूजा सर्वाधिक शक्तिशाली और प्रभावकारी मानी जाती है इसलिए आप सूर्यग्रहण के दौरान शिवजी की उपासना कर सकते हैं.
सूर्य ग्रहण काल में ॐ नमः शिवाय मंत्र का जाप करना भी लाभकारी है. इसके अतिरिक्त आप महामृत्युंजय मंत्र का जाप भी कर सकते हैं.
सूर्य ग्रहण का समय एक ऐसा समय होता है कि जब आप किसी भी मंत्र का जाप और विशेष रूप से कर सकते हैं तो उसका आपको हजारों गुना फल प्राप्त होता है और आप मंत्र सिद्धि भी कर सकते हैं इसलिए इस समय में किसी भी मंत्र का जाप करना चाहिए.
यदि आप किसी बहुत बड़ी स्वास्थ्य समस्या का शिकार हैं और सभी उपाय करने के बाद भी आप को कोई राहत नहीं मिल रही है तो आपको सूर्य ग्रहण के दौरान इस विशेष शिव मंत्र का जाप करना चाहिए- ॐ नमः शिवाय मृत्युंजय महादेवाय नमोस्तुते.
यदि आप किसी बहुत बड़ी बाधा से ग्रसित हैं अथवा आपके ऊपर कोई बड़ी विपत्ति आ रही है तो आपको ग्रहण काल के दौरान अपने ऊपर से काले तिलों को सात बार वार कर ग्रहण काल के बाद दान कर देना चाहिए. तिलों की मात्रा सवा किलो होनी चाहिए.
यदि आपकी कुंडली में राहु का अशुभ प्रभाव मिल रहा है तो सूर्य ग्रहण के दौरान राहु के मंत्र का जाप कर सकते हैं. यह मंत्र इस प्रकार है- ॐ भ्रां भ्रीं भ्रौं सः राहवे नमः.
एक अन्य विशेष उपाय के रूप में आप माता महाकाली की उपासना भी कर सकते हैं. ध्यान रखें कि ग्रहण काल के दौरान किसी भी मूर्ति का स्पर्श नहीं करना चाहिए और केवल मानसिक जाप करना ही उपयुक्त होता है.
भोज दत्त शर्मा , वैदिक ज्योतिष
Astrology By Bhoj Sharma
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-Kerala HC का आदेश : पिता से शादी का खर्च पाना हर बेटी का अधिकार, कहा- इसका धर्म से लेना-देना नहीं
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