* जयपुर शुभ मुहूर्त अभिजीत- 11:57 से 12:50
* जयपुर राहुकाल- 14:04 से 15:44
जयपुर चौघड़िया- 11 मई 2023, गुरुवार
दिन का चौघड़िया
शुभ - 05:42 से 07:22
रोग - 07:22 से 09:03
उद्वेग - 09:03 से 10:43
चर - 10:43 से 12:23
लाभ - 12:23 से 14:04
अमृत - 14:04 से 15:44
काल - 15:44 से 17:25
शुभ - 17:25 से 19:05
रात्रि का चौघड़िया
अमृत - 19:05 से 20:25
चर - 20:25 से 21:44
रोग - 21:44 से 23:04
काल - 23:04 से 00:23
लाभ - 00:23 से 01:43
उद्वेग - 01:43 से 03:02
शुभ - 03:02 से 04:22
अमृत - 04:22 से 05:41
कांपता है काल जिनसे...वो हैं काल भैरव!
* कालाष्टमी- 12 मई 2023, शुक्रवार
* कृष्ण अष्टमी प्रारम्भ- 09:06, 12 मई 2023
* कृष्ण अष्टमी समाप्त- 06:50, 13 मई 2023
* जिस दिन भगवान शिव भैरव के रूप में प्रकट हुए थे, उसे कालभैरव जयन्ती कहा जाता है. कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि के दौरान इसे मनाया जाता है. इसलिए हर कृष्ण पक्ष की अष्टमी, कालाष्टमी कहलाती है.
* इस दिन काल भैरव का दर्शन-पूजन सर्व मनोकामना पूर्ण करता है. इस दिन प्रातः पवित्र नदी-सरोवर में स्नान के बाद पितरों का श्राद्ध-तर्पण करके भैरव पूजा-व्रत करने से तमाम विघ्न समाप्त हो जाते हैं, दीर्घायु प्राप्त होती है.
* देवी भक्त कालाष्टमी के दिन काल भैरव के साथ-साथ देवी कालिका की पूजा-अर्चना-व्रत भी करते हैं. भैरव पूजा-आराधना करने से परिवार में सुख-समृद्धि के साथ-साथ स्वास्थ्य रक्षा और अकाल मौत से सुरक्षा भी होती है.
* कालभैरव अष्टमी पर भैरव के दर्शन-पूजन मात्र से अशुभ कर्मों से मुक्ति मिलती है, क्रूर ग्रहों के कुप्रभाव से छुटकारा मिलता है.
* भोलेनाथ के भैरव स्वरूप की पूजा, उपासना करने वाले शिवभक्तों को भैरवनाथ की पूजा करके अर्घ्य देना चाहिए.
* रात्रि जागरण करके शिव-पार्वती की कथा और भजन-कीर्तन करना चाहिए. भैरव कथा का श्रवण और आरती करनी चाहिए.
* भगवान भैरवनाथ की प्रसन्नता के लिए उनके वाहन श्वान- कुत्ते को भोजन कराना चाहिए.
* इस दिन प्रातः पवित्र नदी-सरोवर में स्नान करके पितरों का श्राद्ध-तर्पण करके भैरव-पूजा-व्रत करने से सारे विघ्न समाप्त हो जाते हैं.
* अकाल मृत्यु से रक्षा होकर दीर्घायु प्राप्त होती है.
जयपुर पंचांग- 11 मई 2023, गुरुवार
* शक संवत 1945, विक्रम संवत 2080, मास- पूर्णिमांत ज्येष्ठ, मास- अमांत वैशाख
* तिथि षष्ठी- 11:29:34 तक, नक्षत्र उत्तराषाढ़ा- 14:37:29 तक, करण वणिज- 11:29:34 तक, विष्टि- 22:18:45 तक, पक्ष कृष्ण, योग शुभ- 15:15:38 तक, वार गुरुवार
* दिशाशूल- दक्षिण
* ताराबल- भरणी, कृत्तिका, रोहिणी, मृगशिरा, पुनर्वसु, आश्लेषा, पूर्वा फाल्गुनी, उत्तरा फाल्गुनी, हस्त, चित्रा, विशाखा, ज्येष्ठा, पूर्वाषाढ़ा, उत्तराषाढ़ा, श्रवण, धनिष्ठा, पूर्वाभाद्रपद, रेवती
* चन्द्र राशि मकर
* उत्तम चन्द्रबल- मेष, कर्क, सिंह, वृश्चिक, मकर, मीन
* मिथुन राशि में जन्में लोगो के लिए अष्टम चन्द्र
* चौघडिय़ा का उपयोग कोई नया कार्य शुरू करने के लिए शुभ समय देखने के लिए किया जाता है.
* दिन का चौघडिय़ा- अपने शहर में सूर्योदय से सूर्यास्त के बीच के समय को बराबर आठ भागों में बांट लें और हर भाग का चौघडिय़ा देखें.
* रात का चौघडिय़ा- अपने शहर में सूर्यास्त से अगले दिन सूर्योदय के बीच के समय को बराबर आठ भागों में बांट लें और हर भाग का चौघडिय़ा देखें.
* अमृत, शुभ, लाभ और चर, इन चार चौघडिय़ाओं को अच्छा माना जाता है और शेष तीन चौघडिय़ाओं- रोग, काल और उद्वेग, को उपयुक्त नहीं माना जाता है.
* यहां दी जा रही जानकारियां संदर्भ हेतु हैं, स्थानीय परंपराओं और धर्मगुरु-ज्योतिर्विद् के निर्देशानुसार इनका उपयोग कर सकते हैं.
* अपने ज्ञान के प्रदर्शन एवं दूसरे के ज्ञान की परीक्षा में समय व्यर्थ न गंवाएं क्योंकि ज्ञान अनंत है और जीवन का अंत है!
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