पलपल संवाददाता, जबलपुर. एमपी हाईकोर्ट में सुनवाई के दौरान अनूपपुर पुलिस की घिनौनी करतूत का पर्दाफाश हो गया है. हाईकोर्ट ने पाया कि पुलिस ने एक युवक ने व्यक्तिगत दुश्मनी निकालने के लिए अपनी मां की हत्या के आरोप में झूठा फंसाकर जेल भेज दिया था. चार साल से जेल में बंद याचिकाकर्ता को अब हाईकोर्ट ने ना सिर्फ जमानत पर रिहा किया बल्कि ट्रायल कोर्ट से दी गई आजीवन कारावास की सजा को भी रद्द कर दी है.
अनूपपुर के जैतहरी में वर्ष 2014-15 में एक पावर प्लांट के ज़मीन अधिग्रहण लेकर विरोध प्रदर्शन हुआ था. जिसमें शामिल सुदामा सिंह नाम के शख्स को पुलिस पर हमले का आरोपी बनाया गया था. 4 नवंबर 2018 में जब सुदामा की मां की जादू-टोना के शक पर हुई हत्या के मामले में पुलिस ने असली आरोपियों को छोड़कर सुदामा को अपनी ही मां की हत्या के मामले का आरोपी बना दिया. यहां तक कि हिरासत में उसे थर्ड डिग्री टॉर्चर देते हुए उसके सिर से बाल उखाड़कर कोर्ट को यह बताया गया कि मृतिका के शव की उंगलियों में बाल फंसे मिले थे. अनूपपुर पुलिस ने ज़ब्ती नामे से भी छेड़छाड़ करते हुए सुदामा सिंह को अभियुक्त बताया और उसे कोर्ट में पेश करके आजीवन कारावास की निचली अदालत की सजा सुना दी गई. जिसके खिलाफ उसने हाईकोर्ट की शरण ली थी. जबलपुर हाईकोर्ट जस्टिस सुजय पाल व अचल सिंह पालीवाल की युगल पीठ ने सुनवाई के दौरान पाया कि जैतहरी पुलिस ने जब्तीनामे से छेड़छाड़ करते हुए उसमें फर्जी तथ्य जोड़े, घटनास्थल के फोटोग्राफ जांच रिपोर्ट में नहीं लगाए गए व एफएसएल रिपोर्ट प्राप्त करने में भी गड़बड़ी की. हाईकोर्ट ने यह भी कहा कि ट्रायल कोर्ट ने मामले की तह तक जाए बिना ही आरोपी को आजीवन कारावास दे दी जो कि गलत है. हाईकोर्ट ने सुदामा को मिली सज़ा रद्द करते हुए जमानत पर रिहा करने के आदेश सुनाया हैं.
आखिरकार निर्दोष होते हुए भी सुदामा को चार साल की सजा काटनी पड़ी और हाईकोर्ट से उसे न्याय मिला. गौरतलब है कि अनूपपुर के ग्राम भेलमा गांव में रहने वाले सुदामा सिंह राठौर सहित हजारों ग्रामीणों की जमीन का मोजर वेयर पावर प्लांट ने अधिग्रहण किया था. कंपनी ने मुआवजा तो दिया पर नौकरी नही दी. जिसके चलते 2014-15 में ग्रामीणों ने कंपनी का घेराव करते हुए धरना प्रदर्शन किया. इस दौरान पुलिस की ग्रामीणों से झड़प हुई जिसमें कि गांव वालों ने पुलिस की बंदूक छीन ली. इस घटनाक्रम में पुलिस ने सैकड़ों लोगों के खिलाफ मामला दर्ज कियाए इसमें सुदामा का नाम भी था. कोर्ट में यह केस चल रहा था. फिर 4 नवंबर 2018 को सुदामा अपने पिता जगदीश के साथ जैतहरी किसी काम से गया था. रात होने के कारण वहीं पर रुक गया. देर रात सुदामा की मां मुन्नी बाई की हत्या कर दी गई. दूसरे दिन 5 नवंबर की सुबह जब सुदामा घर आया तो देखा कि उसकी मां घर पर नही थी. सुदामा ने अपनी मां मुन्नी बाई को तलाश करना शुरू किया तो उनका शव घर से 200 मीटर दूर गड्डे में मिला. सुदामा ने अपनी मां की हत्या की सूचना जैतहरी थाना पुलिस को दी जिसके बाद मौके पर डॉग स्क्वाड के साथ पुलिस मौके पर पहुंची. स्नेफऱ डॉग शव के पास से घूमते-घूमते सुदामा के पड़ोस में रहने वाले गंगा राठौर, राजन राठौर के घर के अंदर घुस गए. सुदामा ने बताया कि गंगा राठौर व राजन राठौर के माता-पिता की चार माह पहले मौत हों गई थी. इनको शक था कि मुन्नी बाई के द्वारा जादू-टोना करने से उसके माता.पिता की मौत हुई है. पुलिस ने मुन्नी बाई की हत्या के आरोप में गंगा राठौर-राजन राठौर को गिरफ्तार कर थाने ले आई. लेकिन कुछ ही देर बाद सुदामा को भी थाने बुलाकर यह कहते हुए गिरफ्तार अरेस्ट कर लिया मुन्नी बाई की हत्या गंगा-राजन ने नही बल्कि तू ने की है. जैतहरी थाना पुलिस ने गंगा राठौर व राजन राठौर के बयान दर्ज करवाए जिसमें दोनों ने पुलिस को बताया कि सुदामा की मां के किसी से अवैध संबंध रहे, जिसकी खबर लगने से बौखलाए सुदामा ने अपनी मां मुन्नी की हत्या कर दी. सुदामा को जैतहरी थाना पुलिस ने मुन्नी बाई की हत्या के आरोप में गिरफ्तार किया. फिर उसके सिर के बाल उखाड़कर एफएसएल की रिपोर्ट में यह कहकर लगा दिए कि मृतिका के नाखून में सुदामा के सिर के बाल फंसे मिलें. तत्कालीन जैतहारी थाना प्रभारी पूरन लिल्लारें ने पूरी साजिश रची थी. क्योकि पावर प्लांट के धरना-प्रदर्शन के दौरान जब ग्रामीणों का पुलिस के साथ विवाद हुआ था, उस वक्त तब सुदामा भी उस भीड़ में था. पुलिस ने सुदामा से बंदूक भी बरामद की थी. उसी का बदला लेने के लिए अनूपपुर पुलिस ने साजिश के तहत सुदामा को झूठा फंसा दिया. जैतहरी थाना पुलिस ने कूटरचित दस्तावेज व एफएसएल रिपोर्ट तैयार कर अनूपपुर कोर्ट में पेश की. निचली अदालत ने भी घटनाक्रम की तह तक जाए बिना ही सुदामा को हत्या का आरोपी बताते हुए आजीवन कारावास की सजा सुना दी. 14 नवंबर 2018 को जैतहरी पुलिस में सुदामा को कोर्ट में पेश किया जहां से उसे जेल भेज दिया गया. निचली अदालत की आजीवन कारावास की सजा को सुदामा सिंह ने हाईकोर्ट में चुनौती दी. हाईकोर्ट की डिविजऩ बैंच ने सुनवाई की. याचिकाकर्ता की वकील एडवोकेट अंजना कुररिया ने हाईकोर्ट को बताया कि पुरानी खुन्नस निकालने के लिए अनूपपुर पुलिस ने एक निर्दोष युवक को फर्ज़ी हत्या का मामले में ना सिर्फ फंसाया बल्कि उसकी मृत मां पर अवैध संबंध रखने जैसे झूठे आरोप लगाए. याचिकाकर्ता की वकील ने हाईकोर्ट ने बताया कि मुन्नी बाई के जो हत्यारे थे पुलिस ने उन्हें ही सरकारी गवाह बना लिया. सगी मां की हत्या के झूठे आरोपों से घिरे चार साल बाद सुदामा को हाईकोर्ट से जब जमानत मिली और जेल से छूटकर बाहर आया तो उसका पूरा परिवार बिखर चुका था. जेल से छूटने के बाद बाहर आए सुदामा सिंह राठौर ने हाईकोर्ट से मांग की हैए ना सिर्फ दोषी पुलिस अधिकारियों के खिलाफ सख्त से सख्त कार्यवाही की जाए बल्कि मानहानि की भी सजा इन पर की जाए जिन्होंने की मृत मां के दामन में अवैध संबंध रखने के दाग लगाए हैं. फिलहाल केस की अगली सुनवाई नवंबर माह में सुनी जाएगी.
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-जबलपुर सेंट्रल जेल में विचाराधीन बंदी की संदिग्ध हालात में मौत, परिजनों ने लगाया मारपीट का आरोप
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