जन्म कुंडली में अंगारक-दोष कई पहलुओं से कालसर्प से भी अधिक दुष्कर हालात पैदा कर सकता

जन्म कुंडली में अंगारक-दोष कई पहलुओं से कालसर्प से भी अधिक दुष्कर हालात पैदा कर सकता

प्रेषित समय :20:47:00 PM / Mon, Apr 10th, 2023

यदि जन्मकुंडली में मंगल और राहु एक साथ हो अर्थात कुंडली में मंगल राहु का योग हो तो उसे "अंगारक" योग कहते हैं . कई पहलुओं से ये दोष "कालसर्प" से भी अधिक दुष्कर हालात पैदा कर सकता है. 

*अगर ये योग बन रहा हो तो सर्वप्रथम तो कुंडली के जिस भी भाव में यह योग बने उस भाव और जिन भावों पर राहु व मंगल की द्रष्टी हो उन भावों को पीड़ित कर देता है और उन भावों से नियंत्रित होने वाले पहलुओं में संघर्ष बने रहते हैं. अंगारक योग ज्वलनशील, विघटनकारी , उग्र प्रवृत्ति कारक एवं बहुत अनिष्टकारी हो सकता है,  इससे व्यक्ति के जीवन में निरंतर विवाद, फसाद, तनाव, विखराव तथा अराजकता फैलाने की प्रवृत्ति बऩती है.

कुंडली के 12 भाव में अंगारक योग से होने वाला नुकसान:- 
*1-प्रथम भाव* में अंगारक योग होने से पेट व लीवर रोग, माथे पर चोट, अस्थिर मानसिकता, क्रूरता और निजी भावनाओं की असंतुष्टि देता है.
*2-द्वितीय* भाव में अंगारक योग होने से धन में उतार-चढ़ाव, तंगहाली, वाणी-दोष, कुटुंबयों से विवाद व शक्की मिजाज बनाता है.
*3-तृतीय* भाव में अंगारक योग होने से भाई-बहनों-मित्रों से कटु संबंध,  बंटवारा, अति उत्साही, एवं नास्तिक छल-कपट से सफल होते है.
*4-चतुर्थ भाव* में अंगारक योग होने से माता को दुख, अशांति, क्लेश, मकान में बाधाएं व भूमि संबंधित विवाद होते हैं.
*5-पंचम भाव* में अंगारक योग होने से संतानहीनता, संतान से असंतुष्ट, नाजायज प्रेम संबंधों से परेशानी व जुए-सट्टे से लाभ भी हो सकता है.
*6-छठम भाव* में अंगारक योग होने से कर्जदार, ऋण लेकर उन्नति करने वाला, शत्रुहंता, व्यक्ति खूनी, उग्र परंतु "डा. सर्जन" भी बन सकता है.  पं.कृ.उ.
*7-सप्तम भाव* में अंगारक योग होने से दुखी-विवादित वैवाहिक जीवन, नाजायज संबंध, हिंसक जीवन साथी, कामातुर, विधवा या विधुर होना परंतु सांझेदारी में धोका भी मिल सकता है.
*8-अष्टम भाव* में अंगारक योग होने से  आरोप-अपमान, धन-हानि, घुटनों से नीचे दर्द रहना, चोटें लगना, सड़क दुर्घटनाऐं के प्रबल योग बनते हैं. परंतु पैत्रिक संपती मिलने और लुटाने के प्रवल योग भी बनते हैं.
*9-नवम भाव* में अंगारक योग होने से उच्च शिक्षा में बाधाऐ, भाग्यहीन, वहमी, रूढ़ीवादी व तंत्रमंत्र में लिप्त, पित्र-श्रापित, संतान से पीडित होते हैं. तथा बहुत ही परेशानियों का सामना करते हैं.
*10-दशम भाव* में अंगारक योग होने से परंपराओं को तोडने वाले, पित्र संमत्ती से बंचित, माता-पिता की भावनाओं को आहत करने वाले परंतु ऐसे व्यक्ति अति कर्मठ, अधिकारी, मेहनतकश, स्पोर्टमेन व आत्यधिक सफल हो सकते है.
*11-एकादश भाव* में अंगारक योग होने से, गर्भपात, संतान में विकलांगता, अनैतिक आय, व्यक्ति चोर, कपटी धोखेबाज़ होते हैं. पंरंतु प्रापर्टी से लाभ हो सकता है.
*12-द्वादश भाव* में अंगारक योग होने से अपराधी प्रवृत्ति, वलात्कारी, जबरन हक जमाने वाले और अहंकारी हो सकते हैं. परंतु आयात-निर्यात, विदेशी व्यापार एवं  रिश्वतख़ोरी से लाभ. 
 उपाय
      *यदि इससे संबंधित किसी भी प्रकार की परेशानियां जीवन में बार-बार आ रहीं हों तो... इस "अंगारक-दोष" की उज्जैन जाकर विधिवत वैदिक विधि से शांति, अंगारक स्त्रोत अनुष्ठान, और भात-पूजा आदि अवस्स करवा देनी चाहिये।। निश्चित ही लाभ होगा।।

Astro nirmal
 

Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-

जन्म कुंडली में मंगल के दोष और उनके निवारण

जन्म कुंडली के बिना नंदी नाड़ी ज्योतिष से जानिए सटीक भविष्य

जन्म कुंडली में सिर्फ विंशोत्तरी दशा ही महत्वपूर्ण क्यों?

कुंडली के ये 6 खतरनाक दोष, जो हर समय परेशानिया देते हैं!

धन योग: कुंडली में मौजूद यह योग बना सकता है आपको रंक से राजा!

जन्म कुंडली के अनुसार सूर्य-बुध-शुक्र की युति

Leave a Reply