नई दिल्ली. ओडिशा के बालासोर में कोरोमंडल ट्रेन दुर्घटना को लेकर बड़ा अपडेट सामने आया है. दरअसल, ट्रेन हादसे की जांच कर रहे रेलवे संरक्षा आयुक्त (सीआरएस) ने रेलवे बोर्ड को अपनी रिपोर्ट सौंप दी है. रेलवे सुरक्षा आयोग ने दो विभागों को जिम्मेदार ठहराया है. इनमें सिग्नलिंग और ऑपरेशंस (यातायात) के कर्मचारियों को संयुक्त रूप से जिम्मेदार ठहराया गया है.
रेलवे बोर्ड के सूत्रों ने द इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि जांच में पाया गया है कि सिग्नलिंग मेंटेनर ने मरम्मत कार्य करने के लिए स्टेशन मास्टर को उचित प्रक्रिया के अनुसार डिस्कनेक्शन मेमो सौंपा था. काम पूरा होने के बाद, एक रीकनेक्शन मेमो भी जारी किया गया, जिसका अर्थ था कि इलेक्ट्रॉनिक इंटरलॉकिंग सिग्नलिंग सिस्टम लाइव था. लेकिन ट्रेन को गुजरने की अनुमति देने से पहले सिग्नलिंग प्रणाली का परीक्षण करने के सुरक्षा प्रोटोकॉल का पालन नहीं किया गया, सूत्रों ने कहा कि इसके अलावा, सिग्नलिंग स्टाफ ने पुन: कनेक्शन मेमो जारी होने के बाद भी काम में भाग लेना जारी रखा. सूत्रों के मुताबिक इस दुर्घटना की गाज स्टेशन के परिचालन स्टाफ के साथ-साथ सिग्नलिंग रखरखाव स्टाफ पर भी संयुक्त रूप से गिरी.
सूत्रों ने कहा कि बुधवार को रेलवे बोर्ड को सौंपी गई सीआरएस रिपोर्ट में बाहरी हस्तक्षेप की बात नहीं कही गई है क्योंकि यह पहलू सीबीआई द्वारा चल रही जांच का हिस्सा है. इसलिए रिपोर्ट को अभी सार्वजनिक नहीं की जाएगी.
रिपोर्ट में यह भी पता चला है कि रिले रूम तक पहुंचने के लिए प्रचलित प्रोटोकॉल में खामियां पाई गई हैं, जो इलेक्ट्रॉनिक इंटरलॉकिंग सिग्नलिंग सिस्टम का नर्व सेंटर है, जिसके लिए रेलवे सिस्टम में सिग्नलिंग स्टाफ और स्टेशन मास्टर दोनों जवाबदेह हैं. रेलवे बोर्ड के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि यह प्रोटोकॉल है कि जब भी किसी भी संपत्ति का रखरखाव किया जाता है, तो संबंधित इंजीनियरिंग स्टाफ के साथ परिचालन स्टाफ भी ट्रेनों की सुरक्षा के लिए जिम्मेदार होता है, चाहे वह ट्रैक से संबंधित हो या सिग्नलिंग से संबंधित हो.
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-दिल्ली : औरंगजेब लेन का नाम बदला, नया नाम होगा डॉ.एपीजे अब्दुल कलाम लेन, एनडीएमसी ने दी मंजूरी
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