पलपल संवाददाता, जबलपुर. एमपी में प्रतिबंध के बाद भी नर्सों द्वारा की गई हड़ताल करने के मामले में आज हाईकोर्ट में चीफ जस्टिस रवि मलिमठ व जस्टिस विशाल मिश्रा की युगल पीठ पुन: सुनवाई हुई. सुनवाई के दौरान एमपी नर्सिंग एसोसिएशन के प्रदेश अध्यक्ष रमेश जाट कोर्ट में पेश हुए. अध्यक्ष रमेश जाट ने लिखित में कहा कि अब कभी भी बिना अनुमति के हड़ताल नही की जाएगी.
हाईकोर्ट में नर्सिंग आफि़सर एसोसिएशन के अध्यक्ष के जवाब को राज्य सरकार ने पेश किया साथ ही अध्यक्ष रमेश जाट भी पेश हुए. राज्य सरकार अब हड़ताली नर्सों की विभागीय जांच व अनुशासनात्मक कार्यवाही भी करेगी. हाईकोर्ट ने सरकार से 2 हफ्ते में कार्यवाई का ब्यौरा मांगा है. अगली सुनवाई अब 2 सप्ताह बाद होगी. प्रदेश भर की नर्सों ने 10 सूत्रीय मांगों को लेकर 10 जुलाई से अनिश्वितकालीन हड़ताल कर दी थी. हड़ताल 16 जुलाई की दोपहर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान द्वारा छह मांगों पर सहमति दिए जाने के बाद समाप्त कर दी गई थी. इधर हाईकोर्ट ने नर्सों की हड़ताल को गैरकानूनी बताते हुए राज्य सरकार से पूछा था कि नर्सों ने हड़ताल कैसे की है और सरकार ने क्या कार्र्यवाही की. नर्सों की प्रदेशव्यापी हड़ताल को लेकर शासन की और से एक पत्र 14 जुलाई 2023 का पत्र प्रस्तुत किया गया. यह पत्र नर्सिंग आफि़सर एसोसिएशन के अध्यक्ष रमेश जाट को संबोधित किया गया था. हाईकोर्ट के समक्ष प्रस्तुत किए गए पत्र के जरिए सरकार ने बताया कि 14 जुलाई को जारी किए गए लेटर में लिखा गया था कि सरकार ने आपकी हड़ताल को गैर कानूनी घोषित कर दिया है. लिहाजा तुरंत कार्य पर लौटे. पत्र में यह भी लिखा था कि अगर आप काम नही लौटते है तो विधि अनुसार कार्यवाही की जाएगी. चूंकि आदेश के बाद भी हड़ताल खत्म नही हुई थी. हाईकोर्ट ने इस मामले में की गई कार्रवाही लिखित में सरकार से मांगी है. इसके अलावा कोर्ट में नर्सिंग आफि़सर एसोसिएशन के अध्यक्ष रमेश जाट को पक्षकार बनाने के निर्देश भी दिए थे.
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-एमपी : शव निकालने के दौरान नेमावर टीआई नदी में डूबे, उपचार के दौरान मौत, पुलिस महकमे में शोक की लहर
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