ग्रहों के कष्टों से निवारण हेतु तुलादान क्यों, कैसे और क्यों करें

ग्रहों के कष्टों से निवारण हेतु तुलादान क्यों, कैसे और क्यों करें

प्रेषित समय :22:24:14 PM / Wed, Jul 19th, 2023

*भारतीय ज्योतिष में ग्रहों के कष्टों से निवारण हेतु तुलादान करना एक सशक्त एवं फलदायी उपाय बताया गया है .
*तुलादान क्यों, कैसे और क्यों करें.
आओ समझें वैदिक ज्योतिष-तंत्र का रहस्य. तुला दान का मतलब है अपनी देह के बराबर वजन की ग्रहों से संबंधित वस्तुओं का तौलकर दान करना.
कब किस ग्रह का तुला दान करना चाहिए
यदि कोई ग्रह कुंडली में कारक अथवा मारक है और उस ग्रह की दशाएं या गोचर में वह ग्रह प्रभावित कर रहा है तब तब उस ग्रह को कदापि बलवान न किया जाए, उसका शांति जा या फिर दान करना चाहिए.. इसके विपरीत कभी भी लग्नेश भागेश अथवा कुंडली के कारक ग्रह का तुलादान कदापि नहीं करना चाहिए..
क्या तुलादान करें
विभिन्न परिस्थितियों संबंधित ग्रह के अनुसार तुलादान करें जैसे:-
 *सूर्य का : सूर्य यदि कुंडली  में अशुभ फलदायी है और उसका दशांतर है.. परंतु मेष, सिंह लग्न या कारक सूर्य वालों को ये दान उचित नहीं है.
    *तब गुड, लाल अन्न , लाल दालें, अनार फल , सोना या पीतल धातु का "तुलादान" करें..*
      ये दान वृद्ध "पिता तुल्य" ब्राह्मण को देना अधिक लाभदायक होगा..
 *चंद्र का:  चंद्र यदि कुंडली में अकारक या मारक होकर बलवान है तब इसका तुलादान करना उचित है परंतु कर्क , वृश्चिक लग्न वाले या फिर जिनका चंद्र कारक ग्रह है अथवा क्षीण चंद्र, अमावस्या दोष आदि योग वालों को यह दान करना उचित नहीं है. 
    *चंद्र के लिए शर्करा, श्वेत अन्न , धुली दालें, दुग्ध, चांदी धातू आदि का "तुलादान" करना चाहिए..
      ये दान वृद्ध "माता तुल्य" ब्राह्मणी, अथवा बेसहारा स्त्रियों का देना हितकर रहेगा..
 *मंगल का:   यदि कुंडली मांगलिक है, मंगल अकारक या मारक है, और साथ में बलवान भी है....
   *तब गुड , तांबा धातु, लाल  धान्य, लाल मसूर, लाल फल आदि का "तुलादान" करना चाहिए.*
    ये दान मित्र-ब्राह्मण, तपस्वी, हनुमानजी मंदिर,  सेना के धर्मगुरू, राजगुरु, शस्त्र शिक्षक आदि को देना श्रेष्ठ है.
 *बुध का: अकारक मारक होकर वलवान बुध के लिए भी "तुलादान"  करना उचित रहेगा..
   *धान्य, हरी दाल, हरे मीठेफल, स्वर्ण, धृत , हरी बस्तुऐं (चारा आदि) तुलादान कर सकते हैं.*
      ये दान वैदिक विद्यार्थी, गणिताचार्य, ज्योतिषाचार्य, गणेश जी मंदिर, अथवा बहन-बुआ आदि को देना सर्वोत्तम हैं.
 *गुरू का:  अकारक , मारक वलवान गुरु, ब्रह्मश्राप अथवा गुरूश्राप योग, में गुरू के लिए "तुलादान" कर सकते हैं..
        *गैहू धान्य, पीली दाल, पीली धातू, धृत, पीले फल, मिठाई आदि से "तुलादान" लाभप्रद रहेगा..
    ये दान गुरू, ब्राह्मण, विद्वान, वैद्य, शिक्षक, ज्ञानीजनों आदि को देना श्रेयकर है.
  *शुक्र का:- यदि शुक्र अकारक मारक होकर वलवान हो तब तुलादान कर सकते हैं, परंतु कुंडली में कारक अथवा निर्वल शुक्र मे कदापि ये दान ना करें.
        *चावल, धुली सफेद दाल, वस्त्र, प्लेटेनियम या चांदी धातु, सौन्दर्य सामग्री, आदि से "तुलादान" बहुत ही सौभाग्य बर्धक है.
       ये दान तंत्राचार्य ब्राह्मण, यज्ञाचार्य, ज्योतिषाचार्य, वास्तुविद, वैद्य आदि ब्राह्मणों को देना सर्वोत्तम रहता है.
 *शनि  का: यदि अकारक मारक होकर वलवान हो,  साढ़े साती- ढैया आदि का रात्रि कालीन जन्म हो, उसकी देशांतर या साढ़ेसाती-ढैया पीड़ित कर रही हो तब ये तुलादान उचित है....
     *सप्तधान्य, सतरंगी दालें, काले तिल-सरसों, काले उर्द, स्टील "लोहा" , सरसों का तेल, आदि से तुलादान करना उचित है.*
     ये दान जोषी "शनि दान मांगने वाले" ,  दीन-हीन, भिखारी , कोढी, रोगी, मजदूर या शनि  उपासकों को देना चाहिए.
 *राहु-केत का:-*  दोषपूर्ण अकारक वलवान राहु-केतु होने पर अशुभ गोचर स्थिति में, और इसकी दशांतर में राहु-केतु का भी तुलादान हितकर रहेगा.
     *पंचधान्य, पचरंगी दालें, पचरंगी मिठाई, पाच फल,  पाच प्रकार के तेल, हवन सामग्री, पांच धातु या कांसा, आदि से तुलादान बहुत श्रेष्ठ फलदाई होता है.
       ये दान जोषी "शनी का दान लेने वाले" ,  मलिन भिखारी , अथवा सफाई कर्मचारियों को देना सर्वाधिक फलदायी रहता है.
विशेष नोट :
   *जिस ग्रह की जो भी वस्तुएं लिखी हैं उन सभी कै मिलाकर अपने बजन बराबर तौलकर दान देना सर्वोत्तम लाभकारी होता है. वैसे सामर्थ्य अनुसार किसी एक वस्तु का भी तुलादान लाभप्रद होता.
    कुंडली में लग्नेश या उसका मित्र ग्रह, कारक, भाग्येश, सुखेश आदि ग्रहों का किसी भी दशा में तुलादान करना कदापि उचित नहीं हैं (उनका रत्न-औषधी धारण करना, जाप अनुष्ठान करना ही उचित रहता है.
*दान करें धन ना घटे, पाप किए घट जाए.

Astro nirmal

Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-

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