नई दिल्ली. सुप्रीम कोर्ट ने प्रवर्तन निदेशालय (ED) के निदेशक संजय मिश्रा के कार्यकाल को बढ़ाए जाने की केन्द्र सरकार की मांग को अनुमति दे दी है. कोर्ट ने संजय मिश्रा को 15 सितम्बर तक पद पर बने रहने का आदेश दिया है. सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि सामान्य परिस्थितयों ने अनुमति नहीं दी जाती लेकिन हम जनहित में इसे स्वीकार करते हैं. इसके आगे उनके कार्यकाल को बढ़ाने की मंजूरी नहीं दी जाएगी.
जस्टिस बीआर गवई, जस्टिस विक्रम नाथ व जस्टिस संजय करोल ने एक्सटेंशन देते हुए कहा कि यह देशहित व जनता से जुड़ा मामला है. इसके बाद सुनील कुमार मिश्रा का कार्यकाल किसी भी सूरत में 15 सितंबर की आधी रात को समाप्त हो जाएगा. बेंच ने सरकार की ओर से पेश हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से ये भी कहा कि क्या प्रवर्तन निदेशालय ईडी अक्षम लोगों से भरा हुआ है. इस पर मेहता ने कहा कि बात अक्षमता की नहीं है लेकिन उनकी सुनील मिश्रा उपस्थिति फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स के रिव्यू के लिहाज से जरूरी है. ईडी की ओर से पेश हुए अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एसवी राजू ने कहा कि कुछ पड़ोसी देश भारत को एफएटीएफ में डालना चाहते हैं. इस लिहाज से ईडी प्रमुख यानी एसके मिश्रा की मौजूदगी जरूरी है.
गौरतलब है कि 26 जुलाई को सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने बेंच में इस मसले पर सुनवाई के लिए एक आवेदन दायर किया था. इससे पहले 11 जुलाई को सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि मिश्रा का कार्यकाल तीसरी बार बढ़ाने का केंद्र का फैसला गैर-कानूनी है. इस पर केंद्र ने कहा था कि फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स का रिव्यू चल रहा है इसलिए संजय को 15 अक्टूबर तक पद पर रहने दिया जाए. एसजी मेहता ने 26 जुलाई को बेंच से कहा था कि संजय मिश्रा के केस में कुछ अर्जेंसी है. इस पर तुरंत सुनवाई करें. इस पर जस्टिस गवई ने कहा कि 11 जुलाई का फैसला तीन जजों की बेंच ने सुनाया था. जिसमें जस्टिस विक्रम नाथ व जस्टिस संजय करोल भी शामिल थे. फिलहाल वे अलग-अलग कोर्ट रूम में बैठ रहे हैं.
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