नई दिल्ली. सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार 24 जुलाई को दिल्ली सरकार को आदेश दिया है कि वो रैपिड रेल प्रोजेक्ट (दिल्ली-गाजियाबाद-मेरठ कॉरिडोर) के लिए 415 करोड़ रुपए दो महीने के भीतर दे. इस मुद्दे पर आज सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस संजय किशन कौल की अध्यक्षता वाली बेंच में सुनवाई हुई. दिल्ली-मेरठ रैपिड रेल परियोजना को धन नहीं देने पर पीठ ने दिल्ली सरकार को फटकार लगाई.
कोर्ट ने टिप्पणी में कहा कि अगर पिछले तीन वर्षों में दिल्ली सरकार विज्ञापनों पर 11 सौ करोड़ खर्च कर सकती है तो निश्चित रूप से बुनियादी ढांचा परियोजनाओं को भी धन दे सकती है. हालांकि दिल्ली सरकार ने कोर्ट को भरोसा दिलाया कि वह परियोजना के लिए बाकी रकम जल्दी मुहैया करा देंगे.
फंड के कारण ऐसे प्रोजेक्ट न रुकें
दरअसल, रीजनल रैपिड ट्रांजिट सिस्टम के लिए दिल्ली सरकार द्वारा धन उपलब्ध कराने में असमर्थता व्यक्त करने पर सुप्रीम कोर्ट ने नाराजगी जाहिर करते हुए दिल्ली सरकार के द्वारा पिछले 3 सालों में दिए गए विज्ञापन के खर्च का ब्योरा कोर्ट को देने को कहा था. कोर्ट ने ये भी कहा था कि रीजनल रैपिड ट्रांजिट सिस्टम जैसे प्रोजेक्टों को फंड के कारण रुकना नहीं चाहिए.
दरअसल, 21 अप्रैल को सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली सरकार को आरआरटीएस को 500 करोड़ रुपए का योगदान देने का निर्देश देते हुए सरकार से पर्यावरण मुआवजा शुल्क के फंड से यह राशि मुहैया कराने को कहा था. जिस पर दिल्ली सरकार ने कहा था कि वह धन मुहैया कराने में सक्षम नहीं है.
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-दिल्ली में फिर बाढ़ का खतरा : यमुना दोबारा खतरे के निशान से ऊपर, अलर्ट हुआ जारी
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