नई दिल्ली. लोकसभा में आज भी अविश्वास प्रस्ताव पर सत्ता व विपक्ष में जमकर गहमागहमी रही. यहां तक कि अमित शाह व अधीर रंजन चौधरी के बीच बहस हुई. इस दौरान अधीर रंजन ने मणिपुर हिंसा पर कहा जहां राजा अंधा, वहां द्रौपदी का चीरहरण होता है. इस पर शाह ने आपत्ति जताई. उन्होंने स्पीकर से कहा प्रधानमंत्री के लिए ऐसे बयान देना गलत है. इन्हें कंट्रोल किया जाए.
गहमागहमी के बीच विपक्ष ने वॉकआउट भी किया लेकिन कुछ मिनट बाद ही वे सदन में वापस आ गए. जिसपर ज्योतिरादित्य सिधिंया ने कटाक्ष करते हुए कहा कि लो ये वापस आ गए. आपका स्वागत है. देश की जनता ने इन्हें बाहर का दरवाजा दिखा दिया है. अब ये सदन से भी स्वयं ही बाहर जा रहे हैं. इन्हें अपने अविश्वास प्रस्ताव पर स्वयं ही विश्वास नहीं है. सिधिंया ने तो यह तक कहा कि विचित्र स्थिति है कि जिनके दिल नहीं मिलतेए वो दल मिल चुके हैं. जिनके इतिहास में वैचारिक या व्यावहारिक या सैद्धांतिक संबंध ना होए वो लोकसभा चुनाव के लिए एक साथ आए हैं. लोकतंत्र बचाओ की बात कर रहे हैं. अगर भारत के इतिहास के काले पन्ने पलटें तो मैं पूछना चाहता हूं कि 1964 बंगाल दंगे के समय ये मौन क्यों थे. 84 के सिख दंगों के समय ये मौन क्यों थे. 87 के मेरठ दंगों के वक्त मौन क्यों थे. 1990 से 30 साल तक कश्मीर में 40 हजार लोगों की मौत हुई तब ये मौन क्यों थे. अधीरजी का जो शब्द था, हर सुबह नई विधवाएं रोती हैं, बच्चे रोते है, नए घर बनते हैं. तब ये सरकार में मूकदर्शक बनकर देख रहे थे. इससे पहले दोपहर 2 बजे लोकसभा में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने देश की इकोनॉमी पर स्पीच दी थी. इसके बाद सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने लोकसभा में कहा कल गृहमंत्री ने भारत छोड़ो आंदोलन का जिक्र किया था. अगर इन्हें पता चल जाए कि भारत छोड़ो का नारा एक मुसलमान ने दिया था तो अमित शाह भी नहीं बोलेंगे. मैं प्रधानमंत्री से पूछना चाहता हूं कि क्या देश बड़ा है या हिंदुत्व गोलवलकर की विचारधारा बड़ी है.
मोदी प्रधानमंत्री है परमात्मा नही- खडग़े
दूसरी ओर मणिपुर मुद्दे पर राज्यसभा में प्रधानमंत्री मोदी को बुलाने को लेकर विपक्ष ने नारेबाजी की. राज्यसभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खडग़े ने कहा कि हम पीएम को बुलाना चाहते हैं. भाजपा नेता कहते हैं कि वे नहीं आएंगे. वो क्यों नहीं आएंगे वो आ जाएंगे तो क्या हो जाएगा. वो प्रधानमंत्री हैं, कोई परमात्मा नहीं. नारेबाजी बढ़ी तो राज्यसभा 2 बजे तक स्थगित कर दी गई थी. 2 बजे कार्यवाही फिर शुरू हुई. फार्मेसी संशोधन विधेयक 2023 राज्यसभा में पारित हो गया. लोकसभा में यह विधेयक 7 अगस्त को पास हुआ था. इसके बाद हंगामे के चलते राज्यसभा की कार्यवाही शुक्रवार सुबह 11 बजे तक के लिए स्थगित हो गई.
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-जबलपुर में WCREU ने OPS बहाली हेतु दिल्ली की महारैली में शामिल होने रेल कर्मचारियों को किया जागरुक
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