पलपल संवाददाता, जबलपुर. मध्यप्रदेश में विधानसभा चुनाव को लेकर सियासी सरगर्मी तेज हो गई है. पिछले चुनावों की भांति इस बार एमपी के जबलपुर में बाहरी प्रत्याशी के विरोध मुद्दा एक बार फिर तेज हो गया है. बाहर का प्रत्याशी का मुद्दा कितना प्रासंगिक है, किसे बाहर प्रत्याशी माना जाता है, जो बाहर दूसरे जिले से आकर चुनाव लड़ता है, अपने विधानसभा क्षेत्र को छोड़कर दूसरे विधानसभा से चुनाव लड़े या फिर अपना वार्ड छोड़कर दूसरे वार्ड से चुनाव लड़े. वास्तविकता में देखे तो बाहरी कहना ही गलत है. इस तरह के विरोध की राजनीति ही पार्टियों में कहीं न कहीं अंर्तकलह पैदा कर रही है.
जबलपुर में लोकसभा चुनाव से लेकर विधानसभा चुनाव की बात की जाए तो कई ऐसे नेता रहे जिन्होने दूसरे शहरों से चुनाव लड़कर अपनी पार्टी को मजबूत किया है. क्योंकि उस वक्त पार्टी को मजबूत करना ही महत्व रखता था, आज भी यही बात है लेकिन कुछ नेताओं द्वारा अपने स्वार्थो की खातिर बाहर प्रत्याशी का मुद्दा छेड़कर अपनी ही पार्टी को कमजोर कर रहे है. इन दिनों जबलपुर की आठ विधानसभा क्षेत्र में बाहर प्रत्याशी को टिकट देने का विरोध कितना सही होगा यह तो पार्टी के वरिष्ठ नेता ही बता सकते है. क्योंकि भारतीय जनता पार्टी हो या कांग्रेस सभी के वरिष्ठ नेताओं का सिर्फ यही उद्देश्य है कि ऐसे प्रत्याशी को टिकट दिया जाए जो जीत का परचम लहरा सके. जबलपुर की लोकसभा सीट हो या विधानसभा यहां से कई ऐसे नेता चुनाव लड़कर जीते है जो दूसरे जिलों के रहने वाले थे. आज भी कई नेता है जो जबलपुर निवासी हो चुके है, वे जबलपुर में रहकर समाजसेवा, जनसेवा के कार्यो से जुड़े है उन्हे बाहर प्रत्याशी कहना कहां तक उचित होगा. क्या एक शहर से दूसरे शहर में कोई व्यक्ति स्थानान्तरित होकर जाता है तो उसे बाहरी समझा जाएगा. कई ऐसे प्रसंग देखने को मिल सकते है जब एक व्यक्ति अपना घर छोड़कर दूसरे शहर में रहने लगता है.
वहां पर अपना परिवार बसा लेता है तो क्या उसे बाहर कहा जाएगा. हम किसे बाहर मानते है, कितना सही है अपने स्वार्थो की खातिर किसी व्यक्ति को बाहर कहकर नकारना. समाजसेवा, जनसेवा कहीं भी रहकर की जाती है, राजनैतिक दल तो एक प्लेटफार्म है जहां पर रहकर यह सेवा का भाव आसान हो जाता है. आइए हम नजर डाले बाहर से आए उन नेताओं पर जिन्होने अपनी पार्टी की टिकट से चुनाव लड़ा और जीत हासिल की है. क्योंकि उनका उद्देश्य पार्टी को मजबूत करना था स्वयं को नहीं. जिन्हे स्वयं को मजबूत करना है वे बाहर का मुद्दा छेड़ेगें. वर्ना बाहरी कोई नहीं है जिस व्यक्ति के मन में सेवा का भाव हो, विकास की अवधारणा हो वो ही अपना होता है. नया गांव रामपुर में स्थाई निवासी वेदप्रकाश पांच वर्ष तक नगर निगम कमिश्रर रह चुके है. जिन्होने जबलपुर के विकास को गति देने के लिए अधिकारी रहते हुए हर संभव प्रयास किए और वे सफल भी रहे. शहर की सड़कों पर लेफ्ट टर्न बनाकर यातायात के अवरोध को कम करने वाले, चौड़ी सड़कें व महानगरीय सुसज्जित चौराहों का विकास इस बात का जीता जागता प्रमाण है. आज यदि उन्हे पश्चिम विधानसभा क्षेत्र से भारतीय जनता पार्टी प्रत्याशी के रुप में चुनाव मैदान में उतारती है तो क्षेत्र के विकास की एक नई इबारत लिखी जाएगी. जो शहर के विकास को गति दे, आमजन के हितों को ध्यान में रखकर काम करें तो हमें ऐसे प्रत्याशी स्वीकार है.
शरद यादव-
होशंगाबाद जिला वर्तमान में नर्मदापुरम के बावई निवासी शरद यादव जबलपुर आए, यहां से उन्होने छात्र राजनीति से अपनी शुरुआत की और फिर पार्टी की टिकट से चुनाव लड़ा. लम्बे समय तक जबलपुर में राजनीति करने के बाद बिहार चले गए. इसके बाद भी उनके मन में जबलपुर के विकास की चाहत रही. समय समय पर उन्होने जबलपुर के विकास को गति देने में अह्म भूमिका निभाई. क्या शरद यादव को बाहरी कहेगें, उन्होने बाहर का होने के बाद भी जबलपुर के विकास को वो गति दिलाई जो स्थानीय स्तर नहीं हो पाया.
मुंदर शर्मा-
बिहार के रहने वाले मुंदर शर्मा जो जबलपुर आए और यहां पर रहते हुए राजनैतिक क्षेत्र में अपनी मजबूत पकड़ बनाई. वे जबलपुर के सांसद, महापौर व फिर कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष भी रहे. वे भी जबलपुर के विकास की एक महत्वपूर्ण कड़ी रहे.
हाजी इनायत-
छिंदवाड़ा जिले के रहने वाले हाजी इनायत ने कांग्रेस की ओर जबलपुर की मध्यविधानसभा सीट से चुनाव लड़ा और जीत हासिल की थी. जबलपुर के विकास को गति देने में अग्रणी भूमिका निभाई
कर्नल अजय नारायण मुश्रान-
नरसिंहपुर जिले के रहने वाले कर्नल अजय नारायण मुश्रान उन्होने जबलपुर संसदीय सीट से चुनाव लड़ा और जीत हासिल की. उन्होने भी जबलपुर का नाम देश में रोशन करने में सराहनीय योगदान दिया.
हरेन्द्रजीत सिंह बब्बू भी मंडला से आए-
गौरतलब है कि हरेन्द्रजीत सिंह बब्बू मंडला जिले के रहने वाले है, जो परिवार के साथ जबलपुर के गुप्तेश्वर क्षेत्र में आकर निवास करने लगे. भारतीय जनता पार्टी ने हरेन्द्रजीत सिंह बब्बू पर विश्वास जताया और बब्बू ने पार्टी को तीन बार जीत दिलाई. वे भाजपा सरकार में मंत्री भी. हरेन्द्रजीत सिंह बब्बू ने शहर के विकास के लिए हर वक्त अपनी आवाज बुलंद की. आमजनों के परेशानियों को अपनी परेशानी समझकर उनका निवारण किया. ब्राडगेज के लिए सबसे बड़ा आंदोलन बब्बू ने ही छेड़ा, पैदल यात्रा की, इसके अलावा और भी कई कार्य जो सराहनीय रहे.
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-जबलपुर में NIA ने फिर पकड़ा ISIS विचारधारा के युवक को, आंतकी संगठन से संपर्क का आरोप..!
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