यदि नशा होता अच्छा, माँ कहती खा ले मेरे बच्चा
रचयिता- डॉ. अशोक कुमार वर्मा
कौन हैं हमारे जीवन में सबसे अधिक महत्वपूर्ण.
कौन करता है हमारे लिए सबसे अधिक यत्न.
कौन करता हैं बचपन से हमारी दिन रात सेवा.
कौन है वो जो नहीं चाहता बदले में कोई मेवा.
कौन है जो झोली फैला हमारा नित्य मांगे भला.
सबका एक ही उत्तर, माता पिता, चाहे धनी हो या निर्धन तबका.
अब पूछता हूँ मैं सबसे एक प्रश्न.
क्या कोई नशा माँ ने खाने को दिया.
क्या पिता ने कभी थोड़ी सी पी ले कहा.
नहीं नहीं, यही हैं उत्तर हम सबका.
यदि नशा होता अच्छा, सबसे पहले माँ कहती खा ले मेरे बच्चा.
जन्म होते ही शहद की जगह एक कटोरी में कोई नशा लेती.
ऊँगली डूबा कर हमारी जिव्हा पर चटा देती.
जिसका पिता पीता है, वो कहता थोड़ी सी पी ले.
काहे करता है चिंता अपनी जिंदगी जी ले.
ऐसा कभी हुआ नहीं. किसी माता पिता ने किया नहीं.
यही तो मैं समझा रहा,कब से मैं यह गा रहा.
भला चाहने वाला कभी नशे की लत न लगाएगा.
माता पिता और गुरु सम शुभचिंतक न तुम्हे मिल पाएगा.
अब समझो और समझाओ नशे से दूरी बनाओ.
नशा मुक्त जीवन जी कर जीवन को अपनाओ.
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-दो कविताएं: मां करती है घर का सारा काम / ऐ जिंदगी तू इतनी हसीन क्यों है?
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