जबलपुर. रेलवे में अफसरों-कर्मचारियों के बीच भेदभाव तो जग-जाहिर है, लेकिन अब बात बच्चों के लिए बनाये गये उद्यानों में भी जमकर अंतर का मामला सामने आ रहा है. बाद पश्चिम मध्य रेलवे के जबलपुर की ही करें तो यहां पर रेलवे की विभिन्न कालोनियों में करोड़ों रुपए खर्च करके कई उद्यान कर्मचारियों और अधिकारियों के लिए बनाये गये हैं, लेकिन जब इसके रखरखाव की बात आती है तो मेेंटेनेंस फंड में से अधिकांश राशि अफसरों के लिए बनाये गये गार्डन में खर्च की जा रही है, कर्मचारियों की कालोनियों के उद्यानों में जंगली घास, कचरा और कई जगह तो सांपों ने डेरा बना लिया है.
बताया जाता है कि जबलपुर में लगभग हर रेल कालोनियों चाहे वह अफसरों की हो या फिर कर्मचारियों की, वहां पर करोड़ों रुपए खर्च करके शानदार गार्डन बनाये गये हैं, लेकिन वर्तमान हालात यह हैं कि अफसरों के गार्डन में तो नियमित रखरखाव हो रहा है. वहां पर लगे झूले, व्यायाम की मशीनें पूरी तरह से काम कर रही हैं, घास समय पर काटी जा रही हैं, किंतु इसके ठीक उलट कर्मचारियों के उद्यानों की हालत बेहद ही दयनीय हालत में पहुंच चुकी है. हाऊबाग, मदन महल, अपर लाइन, लोको तलैया आदि क्षेत्र की रेल कालोनियों में कर्मचारियों के गार्डन में बड़ी-बड़ी घास ऊग आयी हैं. साथ ही यहां पर लगे झूले, फिसलपट्टी व एक्सरसाइज मशीनें भी कबाड़ में तब्दील होती जा रही हैं. कर्मचारियों का कहना है कि रेल प्रशासन को कम से कम बच्चों के लिए बनाये गये उद्यानों के साथ भेदभाव नहीं करना चाहिए, जिस स्तर का रखरखाव अफसरों के लिए बनाये गार्डन का होता है, ठीक उसी तर्ज पर कर्मचारियों की कालोनियों के उद्यानों में भी किया जाए.
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-रेलवे पुलिस ने 12 महिला चोरों को किया गिरफ्तार, अंतर्राज्यीय चोर गिरोह से लाखों के जेवरात बरामद
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