MP: आदिगुरु शंकराचार्य की 108 फीट की प्रतिमा का अनावरण, सीएम शिवराज-संतो ने रखी अद्वैत लोक की आधारशिला

MP: आदिगुरु शंकराचार्य की 108 फीट की प्रतिमा का अनावरण, सीएम शिवराज-संतो ने रखी अद्वैत लोक की आधारशिला

प्रेषित समय :16:16:01 PM / Thu, Sep 21st, 2023
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पलपल संवाददाता, खंडवा. एमपी के ओंकारेश्वर में ओंकार पर्वत पर स्थापित की गई आदि गुरु शंकराचार्य की प्रतिमा का अनावरण आज हुआ. इस मौके पर सीएम शिवराज सिंह चौहान ने स्वामी अवधेशानंद गिरी सहित दूसरे संतों की उपस्थिति मेंं वैदिक मंत्रोच्चार के बीच इसका अनावरण किया. सीएम एवं संत  अस्थायी एलिवेटर से 75 फीट ऊपर पहुंचे. पूजा के बाद प्रतिमा की परिक्रमा की.

108 फीट ऊंची यह प्रतिमा एकात्मकता का प्रतीक है. इसे स्टैच्यू ऑफ वननेस का नाम दिया गया है. आदि शंकराचार्य की ये प्रतिमा 12 साल के आचार्य शंकर की झलक है. इसी उम्र में वे ओंकारेश्वर से वेदांत के प्रचार के लिए निकले थे. प्रतिमा 100 टन वजनी है, 75 फीट ऊंचे प्लेटफॉर्म पर स्थापित है. 88 प्रतिशत कॉपर, 4 प्रतिशत जिंक व 8 प्रतिशत टिन को मिलाकर बनाई गई है. इसके 290 पैनल निर्माण कंपनी एलएंडटी ने जेटीक्यू चाइना से तैयार कराए हैं. सभी 290 हिस्सों को ओंकारेश्वर में लाकर जोड़ा गया है. श्रृंगेरी शारदा पीठ से आदिगुरु शंकराचार्य के लिए 112 फीट की माला लाई गई. माला 10 हजार रुद्राक्ष से बनी है. सभी पांचमुखी रुद्राक्ष हैं. इस मौके पर सीएम शिवराजसिंह चौहान ने कहा श्आज आदिगुरु फिर पधार गए हैं. उनके चरणों में प्रणाम. उपयुक्त अवसर पर यह माला आदिगुरु को पहनाई जाएगी. अभी सुरक्षित रखते हैं. मठ की ओर से पादुका भी आएगी. शृंगेरी शारदा पीठ कर्नाटक में चिकमगलूर जिले के श्रृंगेरी में है.

सीएम शिवराज सिंह चौहान आज पूर्वान्ह 11 बजे कार्यक्रम स्थल पहुंचे. उनके साथ स्वामी अवधेशानंद गिरी, परमात्मानंद, स्वामी स्वरूपानंद व स्वामी तीर्थानंद महाराज साथ पहुंचे. सीएम पत्नी साधना सिंह के साथ चतुर्वेद पारायण महायज्ञ में शामिल हुए. संस्कृति एवं पर्यटन मंत्री उषा ठाकुर भी हवन पूजन में शामिल हुईं. हवन-पूजन के बाद संगीत व लोकनृत्य के माध्यम से केरल की पारंपरिक देव आराधना की गई. आदिगुरु शंकराचार्य का जन्म केरल में हुआ था.

आदि शंकराचार्य को ओंकारेश्वर में मिली थी गुरु दीक्षा-

शंकराचार्य जी का जन्म केरल के कालड़ी गांव में 508-9 ईसा पूर्व व महासमाधि 477 ईसा पूर्व में हुई थी. मां का नाम आर्याम्बा व पिता का नाम शिवगुरु है. 32 वर्ष की छोटी से आयु में ही इन्होंने देश के चार कोनों में चार मठों ज्योतिष्पीठ बद्रिकाश्रम, श्रृंगेरी पीठ, द्वारिका शारदा पीठ और पुरी गोवर्धन पीठ की स्थापना की थी. चारों पीठ आज भी बहुत प्रसिद्ध और पवित्र माने जाते हैं. चार पीठों में आसानी संन्यासी शंकराचार्य कहे जाते हैं. चारों पीठों की स्थापना का उद्देश्य सांस्कृतिक रूप से पूरे भारत को उत्तर से दक्षिण और पूरब से पश्चिम जोडऩा था.

Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-

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