नई दिल्ली. सुप्रीम कोर्ट ने सांसद व विधायकों के खिलाफ आपराधिक मामलों के तेजी से निपटाने के देश भर के उच्च न्यायालयों को निर्देश दिए है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वे ऐसे मुकदमों की निगरानी के लिए अपने स्तर पर मामले दर्ज करें और उन मामलों को प्राथमिकता दें जिनमें अधिकतम मौत की सजा या आजीवन कारावास की सजा हो. हत्या के मामलों में दोषी पाए जाने पर दोषियों को या तो मौत की सज़ा या आजीवन कारावास की सज़ा होती है.
भारत के मुख्य न्यायाधीश धनंजय वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि सांसदों व विधायकों के खिलाफ आपराधिक मुकदमों के निपटारे के लिए एक विशिष्ट समयसीमा निर्धारित करने के लिए कोई समान निर्देश जारी नहीं किया जा सकता है. सभी उच्च न्यायालयों के मुख्य न्यायाधीशों को स्वत: संज्ञान लेना होगा. अपने अधिकार क्षेत्र में लंबित मुकदमों की प्रभावी निगरानी व निपटान के लिए कार्यवाही को प्रेरित करें. विशेष पीठ आवश्यकतानुसार मामले को नियमित अंतराल पर सूचीबद्ध कर सकती है. उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश मामलों के शीघ्र व प्रभावी निपटान के लिए आवश्यक आदेश व निर्देश जारी कर सकते हैं. पीठ ने कहा कि जिसमें न्यायमूर्ति पीएस नरसिम्हा और मनोज मिश्रा भी शामिल हैं, विशेष पीठ का नेतृत्व या तो एचसी के मुख्य न्यायाधीशों द्वारा किया जा सकता है. इसमें आगे कहा गया है कि मौत की सजा या आजीवन कारावास वाले मामलों के बाद पांच साल से अधिक की जेल की सजा वाले मामलों को प्राथमिकता दी जानी चाहिए. अदालत ने कहा कि उच्च न्यायालय उन मामलों को भी सूचीबद्ध करेंगे जहां मुकदमों पर रोक लगा दी गई है और ऐसे मुकदमों में तेजी लाने के लिए सभी प्रयास किए जाएंगे.
दिल्ली-जयपुर हाईवे पर हादसा: प्राइवेट स्लीपर बस में लगी आग, 2 यात्री जिंदा जले, 12 झुलसे
दिल्ली के स्कूलों में विंटर ब्रेक घोषित, 9 से 19 नवंबर तक सभी स्कूल बंद, यह है कारण
दिल्ली का दम घोंट रहा वायु प्रदूषण: एनसीआर में ग्रेटर नोएडा सबसे प्रदूषित शहर
यो-यो हनी सिंह और शालिनी तलवार हुए अलग, दिल्ली की अदालत ने मंजूर किया तलाक