नई दिल्ली. भारतीय खेल मंत्रालय द्वारा लगाए गए निलंबन के खिलाफ एक अपमानजनक कदम में भारतीय कुश्ती महासंघ (डब्ल्यूएफआई) अब सरकार के फैसले को अदालत में चुनौती देने का मन बना रहा है. 24 दिसंबर को जारी किए गए निलंबन में राष्ट्रीय खेल संहिता और डब्ल्यूएफआई संविधान के उल्लंघन का आरोप लगाया गया.
डब्ल्यूएफआई के अध्यक्ष संजय सिंह ने दृढ़ता से फेडरेशन द्वारा निलंबन को अस्वीकार करने और दैनिक कार्यों की देखरेख के लिए भारतीय ओलंपिक संघ द्वारा गठित तदर्थ पैनल को मान्यता देने से इनकार करने की बात कही. उन्होंने तदर्थ पैनल के लिए गए फैसलों का हवाला देते हुए एक अच्छी तरह से काम करने वाले महासंघ की महत्वपूर्ण आवश्यकता को रेखांकित किया. जिसने आगामी ज़ाग्रेब ओपन में कुछ वजन श्रेणियों को प्रतिनिधित्वहीन छोड़ दिया. सिंह ने कहा कि आपने देखा कि कैसे ज़ाग्रेब ओपन के लिए टीम की घोषणा की गई. पांच भार वर्ग बिना प्रतिनिधित्व के रह जाएंगे. एक उचित महासंघ के अभाव में ऐसा होगा. श्री सिंह ने तदर्थ पैनल की निर्णय लेने की प्रक्रिया की आलोचना की, खासकर भारतीय टीम के चयन में कुछ पहलवानों के लिए ट्रायल की कमी की ओर इशारा किया. यदि कुछ पहलवान अपनी-अपनी श्रेणियों में अनुपलब्ध थे तो उनके प्रतिस्थापन की मांग क्यों नहीं की गई. उन्होंने सवाल किया कि लोकतांत्रिक व पारदर्शी चयन प्रक्रिया के महत्व पर प्रकाश डालते हुए सिंह ने उन पहलवानों की चिंताओं से अवगत कराया. जिन्होंने महसूस किया कि वे निष्पक्ष परीक्षणों के माध्यम से खुद को साबित करने का मौका पाने के हकदार हैं.
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-OMG: दिल्ली मेट्रो में कपल की गंदी हरकत, जूते में कोल्ड ड्रिंक डाल दोनों ने मजे से पी
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