एमपी हाईकोर्ट: भोपाल गैस कांड के फैसले पर रोक, पुनर्विचार याचिका के आवेदन पर हुई सुनवाई

एमपी हाईकोर्ट: भोपाल गैस कांड के फैसले पर रोक, पुनर्विचार याचिका के आवेदन पर हुई सुनवाई

प्रेषित समय :17:49:09 PM / Wed, Jan 17th, 2024
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पलपल संवाददाता, जबलपुर. एमपी हाईकोर्ट ने भोपाल गैस पीडि़तों के इलाज में लापरवाही मामले में सजा पर फैसला रोक दिया. पुनर्विचार आवेदन पर सुनवाई के बाद सजा पर निर्णय लिया जाएगा. अगली सुनवाई 19 फरवरी को होगी. अवमानना के दोषी अधिकारियों ने हाईकोर्ट में पुनर्विचार आवेदन लगाया था.

गैस पीडि़तों को उचित उपचार, शोध की व्यवस्था न देने, सुप्रीम कोर्ट के भोपाल गैस पीडि़तों के स्वास्थ्य के मामले में 2012 के आदेश की अवमानना करने पर केंद्र व राज्य सरकार के 9 अधिकारियों पर केस चलाने का आदेश दिया है. इससे पहले भोपाल गैस पीडि़तों को लेकर जबलपुर हाईकोर्ट में 17 जनवरी को सुनवाई. मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय के जस्टिस शील नागू व देवनारायण मिश्र की खंडपीठ ने अधिकारियों के विरुद्ध कठोर कदम उठाने और न्यायालय की अवमानना अधिनियम 1971 की धारा 2 के तहत मुकदमा चलाने का आदेश दिया. गौरतलब है कि इन अधिकारियों को पहले नोटिस दिए जा चुके है, जिनमें भारत सरकार के स्वास्थ्य एवं परिवार मंत्रालय के सचिव राजेश भूषण, रसायन एवं उर्वरक मंत्रालय के सचिव आरती आहूजा, भोपाल मेमोरियल अस्पताल एवं रिसर्च सेंटर के डायरेक्टर डॉ प्रभा देसिकान, नेशनल इंस्टिट्यूट फॉर रिसर्च ऑन एनवायर्नमेंटल हेल्थ के संचालक डॉ आरआर तिवारी, तत्कालीन मुख्य सचिव इकबाल सिंह बैस, अतिरिक्त मुख्य सचिव मोहम्मद सुलेमान, राज्य सूचना अधिकारी अमर कुमार सिन्हा, एनआईसीएसआई विनोद कुमार विश्वकर्मा व आईसीएमआर भारत सरकार के सीनियर डिप्टी संचालक आरण् रामा कृष्णन है. वहीं अतिरिक्त मुख्य सचिव मोहम्मद सुलेमान सहित अन्य आठ अधिकारी अवमानना के आरोप में घिरे हैं. अधिकारियों ने अपने ऊपर अवमानना के लगे आरोपों से मुक्त होने के लिए हाईकोर्ट में आवेदन दिया है. सुप्रीम कोर्ट ने 2012 में भोपाल गैस पीडि़त महिला उद्योग संगठन सहित अन्य की याचिका की सुनवाई की थी. गैस पीडि़तों के उपचार व पुनर्वास के संबंध में 20 बिंदुओं पर निर्देश दिए थे. इनका क्रियान्वयन सुनिश्चित कर मॉनिटरिंग कमेटी गठित करने के आदेश दिए थे. कमेटी को हर तीन महीने में हाईकोर्ट में रिपोर्ट पेश करने को कहा था. साथ हीए रिपोर्ट के आधार पर केंद्र व राज्य सरकार को आवश्यक दिशा-निर्देश दिए जाने थे. मॉनिटरिंग कमेटी की अनुशंसाओं पर कोई काम नहीं होने का आरोप लगाते हुए अवमानना याचिका दाखिल की थी. सरकारी अधिकारियों पर आरोप है कि उन्होंने कोर्ट के आदेश की अवहेलना की है. याचिका में कहा गया कि गैस पीडि़तों के हेल्थ कार्ड तक नहीं बने हैं. अस्पतालों में आवश्यकता अनुसार उपकरण व दवाएं उपलब्ध नहीं हैं. बीएमएचआरसी के भर्ती नियम तय नहीं होने से डॉक्टर व पैरामेडिकल स्टाफ स्थाई तौर पर सेवाएं प्रदान नहीं कर रहे हैं.

दोषियों को जबाव पेश करने के निर्देश दिए थे-

पिछली सुनवाई में युगलपीठ ने कहा कि इन अधिकारियों ने गैस पीडि़तों को बेसहारा छोड़ दिया है. सुप्रीम कोर्ट व हाईकोर्ट के आदेश के परिपालन में तत्परता व ईमानदारी से काम नहीं हुआ है. गैस पीडि़तों के प्रति असंवेदनशीलता दिखाई गई है. इस मामले में ढिलाई बरती जा सकती है. युगल पीठ ने अवमानना के तीनों दोषियों को जवाब पेश करने के निर्देश जारी किए थे.

Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-

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