रायपुर. छत्तीसगढ़ में संचालित 11 नामी सरकारी यूनिवर्सिटीज को UGC ने डिफाल्टर सूची में डाल दिया है. इनमें रायपुर स्थित IIIT, कुशाभाऊ ठाकरे यूनिवर्सिटी, बिलासपुर व दुर्ग विश्वविद्यालयों के नाम शामिल हैं. इसके अलावा ही देशभर की 432 यूनिवर्सिटीज का नाम भी है.
सूत्रों के अनुसार इन विश्वविद्यालय ने विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC) की गाइडलाइन का पालन नहीं किया है. इसके बाद नाम सार्वजनिक किए गए हैं. यूजीसी ने इन विश्वविद्यालयों को फाइनल रिमाइंडर जारी किया है, इसके बाद से हड़कंप की स्थिति है. यूजीसी की ओर से निर्देश दिया गया है कि वो जल्द से जल्द संस्थान में लोकपाल की नियुक्ति कराएं. जिससे विद्यार्थियों से जुड़े प्रकरणों को सुलझाया जा सके.UGC ने डिफॉल्टर विश्वविद्यालयों को 31 जनवरी 2024 तक लोकपाल की नियुक्त करने के निर्देश दिए हैं. इसके साथ ही कॉलेजों में ग्रीवांस रिडर्सल कमेटी का गठन करने की अधिसूचना जारी की गई है. इस कमेटी में कॉलेज के सीनियर प्रोफेसरों की चार सदस्यीय टीम रहेगी. कोई भी मामला पहले ग्रीवांस कमेटी के पास पहुंचेगा. छात्र कमेटी के फैसले से संतुष्ट नहीं होगा तो लोकपाल की बेंच में भेजा जाएगा.
छत्तीसगढ़ के इन विश्वविद्यालयों के नाम डिफाल्टर की सूची-
-अटल बिहारी वाजपेयी विश्वविद्यालय बिलासपुर
-आयुष विश्वविद्यालयए रायपुर
-छत्तीसगढ़ कामधेनु विश्वविद्यालयए दुर्ग
-हेमचंद यादव विश्वविद्यालय दुर्ग
-इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय रायपुर
-इंदिरा कला संगीत विश्वविद्यालयए खैरागढ़
-ट्रिपल आई रायपुर
-कुशाभाऊ ठाकरे विश्वविद्यालय रायपुर
-महात्मा गांधी उद्यानिकी विश्वविद्यालय पाटन
-सरगुजा विश्वविद्यालय
-शहीद नंदकुमार पटेल विश्वविद्यालय रायगढ़
अब तक सिर्फ CSVTU में लोकपाल की नियुक्त-
गौरतलब है कि UGC के निर्देश पर अमल करते हुए प्रदेश में सिर्फ छत्तीसगढ़ स्वामी विवेकानंद तकनीकी विश्वविद्यालय (CSVTU) में ही लोकपाल की नियुक्ति हुई है. इसके लिए NIT रायपुर के पूर्व प्राध्यापक डॉ आरपी पाठक को तीन वर्ष की अवधि के लिए लोकपाल बनाया गया है. विद्यार्थियों की ऐसी समस्याएं जो कॉलेज और विश्वविद्यालय स्तर पर नहीं सुलझती हैं. उन्हें अब लोकपाल के समक्ष रखा जाएगा. हेमचंद यादव विश्वविद्यालय दुर्ग की कुलपति डॉ अरुणा पल्टा का कहना है कि हफ्तेभर में लोकपाल नियुक्त हो जाएंगे. यूजीसी से संपर्क करके इसके नियमों की जानकारी लेंगे.
UGC से मिलने वाली मदद पर आ सकता है संकट-
विश्वविद्यालयों के बुनियादी व अकादमिक विकास के लिए यूजीसी अनुदान जारी करता है. डिफाल्टर सूची में आने के बाद UGC से मिलने वाली मदद पर संकट आ सकता है.UGC अपने रेग्युलेशन के तहत अनुदान रोक सकती है. सरकार की अन्य योजनाओं के तहत अनुदान को भी रोकने की कार्रवाई हो सकती है.
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