प्रदीप द्विवेदी. दलबदल की सियासी वेश्यावृत्ति बेशर्मी से लगातार बढ़ती जा रही है, नतीजा यह है कि चुनाव में मतदाताओं के फैसले ही बेमतलब होते जा रहे हैं?
इसी का नतीजा है कि जनता के बीच बड़े-बड़े राजनेताओं का सियासी भरोसा लगातार टूटता जा रहा है, जिस तरह से देश में धूर्त राजनेताओं की संख्या बढ़ती जा रही है, उसके मद्देनजर देश के प्रमुख पदों पर बैठे राजनेताओं का भी पदभार ग्रहण करते समय नार्को टेस्ट होना चाहिए, ताकि देश जान सके कि उनका असली मकसद क्या है?
पिछले लंबे समय से जिस तरह से बड़े-बड़े पदों पर बैठे राजनेता बेशर्मी से झूठ बोल रहे हैं, झूठे वादे कर रहे हैं, झूठे संकल्प-पत्र, घोषणा-पत्र जारी कर रहे हैं, इसके मद्देनजर चुनाव जीतकर बड़े पद पर शपथ लेनेवाले नेताओं का शपथ ग्रहण से पहले नार्काे टेस्ट होना ही चाहिए, ताकि जनता जान सके कि ऐसे नेताओं का असली मकसद क्या है? सेवा या मेवा??
बेशर्म राजनेताओं के मद्देनजर पल-पल इंडिया (23 मई 2023) में कहा था.... शपथ ग्रहण से पहले नार्को टेस्ट हो, घोषणा पत्रों को उपभोक्ता कानून के दायरे में लाया जाए!
देश में जिस तेजी से बड़े-बड़े पदों पर कब्जा जमाए बैठे धूर्त राजनेताओं की तादात बढ़ती जा रही है, उसके मद्देनजर देशहित में दो बड़े निर्णय होने चाहिएं, एक- प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री, मंत्री आदि प्रमुख पदों के लिए शपथ लेने वाले तमाम राजनेताओं का पहले नार्काे टेस्ट किया जाए, ताकि देश जान सके कि उनके मन की असली बात क्या है? और दो- अच्छे दिनों की सियासी ठगी से बचने के लिए विभिन्न राजनीतिक दलों के घोषणा पत्रों को उपभोक्ता कानून के दायरे में लाया जाए, ताकि मतदाता के अमूल्य वोट का अपमान नहीं हो!
बीसवीं सदी वैचारिक सदी थी, लिहाजा तब सिद्धांत पहले, सत्ता बाद में, की नैतिकता थी, लेकिन इक्कीसवीं सदी तो व्यावसायिक सदी है, जहां केवल और केवल सत्ता ही सबकुछ है, नैतिकता का तो नामोनिशान नहीं है, इसलिए नए सियासी कानून बनाना बेहद जरूरी है....
एक- विधायकों की खरीद फरोख्त के लिए एमएसपी लागू की जाए, ताकि अपना ज़मीर बेचने वाले को उसके आत्मसम्मान का पूरा मूल्य मिले.
दो- जाति और धर्म के नाम पर वोट मांगने की छूट मिले, ताकि राजनेताओं को यह महान कार्य छुप-छुप कर नहीं करना पड़े.
तीन- कैश से वोट खरीदने का अधिकार प्रदान किया जाए, ताकि चुनाव के मद्देनजर कैश बांटने के लिए सम्मान निधि योजनाएं नहीं बनानी पड़े.
चार- हर छोटे-बड़े सौदे में लेनदेन चलता है, इसे कानूनी रूप देते हुए कमीशन की न्यूनतम दरें तय की जाएं.
पांच- सत्ता का प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष सहयोग करने वाले उच्च पदों पर बैठे अधिकारियों को सेवानिवृत्ति के पश्चात मंत्री, सांसद, राज्यपाल आदि बनाने के लिए अलग से व्यवस्था की जाए.
सियासत के सितारे बता रहे हैं कि.... अब नीतीश कुमार की सत्ता की राह आसान नहीं?
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Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-आरक्षण के मुद्दे पर मराठा और ओबीसी के आंदोलन से किसे होगा राजनीतिक फायदा
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