रायपुर. शंकराचार्यों ने गौ माता को राष्ट्र माता का दर्जा दिए जाने की मांग को लेकर 10 मार्च को भारत बंद बुलाया है. इसके बाद 14 मार्च को पैदल संसद मार्च करेंगे. उन्होंने कहा कि, गौ हमारी माता है, लेकिन उनके प्रति अमानवीय व्यवहार बंद नहीं हो रहा है.
छत्तीसगढ़ के राजिम कल्प कुंभ में शामिल होने पहुंचे ज्योतिष-पीठ के शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती और द्वारिका पीठ के शंकराचार्य सदानंद सरस्वती ने कहा कि, जिस देश में गीता, गौ और गंगा को माता का स्थान दिया गया है, वहां गौ हत्या रोकने का प्रयास नहीं हो रहा है.
शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने कहा कि, 75 वर्षों में दिल्ली में अनेक दलों की सरकार आई, लेकिन गौ हत्या को रोकने के लिए कोई सख्त नियम नहीं बना पाई है. गौ माता को राष्ट्रमाता का दर्जा मिले, इसलिए 10 मिनट के लिए भारत बंद रहेगा.
करे जो गौ माता पर चोट, कैसे दें हम उसको वोट
शंकराचार्य ने कहा कि, यदि कोई सरकार गौ हत्या नहीं रोक पा रही है, फिर भी हम उसे वोट दे रहे हैं तो यह हमारे द्वारा किया जा रहा पाप है. उन्होंने सनातनी लोगों से गौ-हत्या रोकने की अपील की. उन्होंने कहा कि आगामी चुनाव में कौन सी पार्टी सत्ता में आएगी, यह अभी से नहीं कहा जा सकता.
वहां जाएंगे, जहां गौ भक्तों पर चली गोलियां
उन्होंने बताया कि, 14 मार्च को गिरिराज गोवर्धन की परिक्रमा करके दिल्ली के संसद भवन रवाना होंगे. हम संसद भवन के उसे कोने तक जाएंगे जहां सन 1966 में गौ भक्तों के ऊपर गोलीबारी की गई थी. उन्होंने कहा कि, इस यात्रा में हम उन सभी राजनीतिक पार्टियों को आमंत्रित करते हैं, जो गौ माता के शपथ पत्र को स्वीकार करते हैं.
गौ हत्या कैसे रोकेंगे, ये शासन-प्रशासन का काम
वहीं शंकराचार्य स्वामी सदानंद सरस्वती ने कहा कि, गौ माता को राष्ट्र माता घोषित किया जाना चाहिए ताकि गौ वध बंद हो. नॉर्थ ईस्ट में गौ हत्या कैसे रोकेंगे इस पर शंकराचार्य ने कहा कि इसे रोकना शासन-प्रशासन का काम है, हमारा नहीं. हम धर्मगुरु हैं. छत्तीसगढ़ में धर्मांतरण पर कानून की तैयारी पर कहा कि पूरे देश में धर्मांतरण हो रहा है, अगर कानून लाया जा रहा है तो प्रशंसा के योग्य है. शंकराचार्य ने संदेशखाली कि घटना पर आपत्ति जताते हुए कहा कि, ऐसी घटनाएं नहीं होनी चाहिए.
राजिम का त्रिवेणी संगम पवित्र स्थल बना
शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद ने कहा कि, संतों की वाणी से लोगों को सदाचार व्यवहार की शिक्षा मिलती है. राजिम का त्रिवेणी संगम, आचार्य का समागम, आध्यात्मिक लाभ से पवित्र स्थल बन चुका है. कुंभ कल्प का मतलब कुंभ जैसा होना है. कुंभ कल्प बोलने से मान घटता नहीं है, बल्कि और बढ़ जाता है.
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-छत्तीसगढ़: लौह अयस्क खदान क्षेत्र में चट्टान के ढहने से दो श्रमिकों की मौत, दो अन्य की तलाश जारी
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