होलाष्टक से जुड़ी यह कथा जानते हैं आप? कहा जाता है कि होलिका दहन से 8 दिन पहले ही भगवान विष्णु के भक्त प्रहलाद को उनके पिता हिरणकश्यप और उनकी बहन होलिका के द्वारा बहुत ज्यादा प्रताड़ित किया गया था. हिरणकश्यप चाहता था कि प्रहलाद उनकी पूजा करे लेकिन प्रहलाद श्री हरि के भक्त थे जिसके चलते हिरणकश्यप ने 7 दिनों तक उन्हें कड़ी यातनाएँ दी थी.
आठवें दिन हिरंणकश्यप ने अपनी बहन होलिका की गोद में प्रहलाद को बिठाकर इन्हें अग्नि में जलकर भस्म करने की कोशिश की थी लेकिन तब श्री हरि ने अपने परम भक्त को बचाकर होलिका की अग्नि में होलिका का ही दहन किया था और तभी से होलिका दहन की परंपरा की शुरुआत हुई.
इसके अलावा होलाष्टक से जुड़ी एक और किंवदंती के अनुसार कहा जाता है कि, एक बार प्रेम के देवता कामदेव ने भगवान शिव की तपस्या भंग कर दी थी जिससे रुष्ट होकर भगवान शिव ने कामदेव को फाल्गुन मास की अष्टमी तिथि के दिन ही भस्म कर दिया था. हालांकि इसके बाद कामदेव की पत्नी रति ने भगवान शिव की अटूट आराधना की और कामदेव को दोबारा से जीवित करने की प्रार्थना की.
तब महादेव ने रति की प्रार्थना स्वीकार कर ली. महादेव के इस फैसले के बाद हर तरफ हर्षोल्लास मनाया गया और होलाष्टक का अंत होलिका दहन के साथ किया गया. यही वजह है कि इन आठ दिनों में शुभ कार्य नहीं किए जाते हैं. क्या कुछ हैं ये कार्य जिन्हें होलाष्टक के दौरान भूल से भी नहीं करना चाहिए.
भोज दत्त शर्मा , वैदिक ज्योतिष
Astrology By Bhoj Sharma
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-होलाष्टक दौरान 8 ग्रह रहेंगे उग्र अवस्था में होने के कारण सावधान रहें
होलाष्टक में कौन-कौन से कार्य नहीं करने चाहिए
होलाष्टक की शुरुआत 17 मार्च से होगी और फाल्गुन पूर्णिमा यानी 24 मार्च पर यह समाप्त होगी
होलाष्टक का विचार विषय कहां किस विषय पर भारत देश में लागू होता है!