उपच्छाया चंद्र ग्रहण 25 मार्च 2024 की सुबह 10 बजकर 23 मिनट पर लगेगा

उपच्छाया चंद्र ग्रहण 25 मार्च 2024 की सुबह 10 बजकर 23 मिनट पर लगेगा

प्रेषित समय :19:56:41 PM / Fri, Mar 22nd, 2024
Reporter : reporternamegoeshere
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पंचांग के अनुसार, इस वर्ष चंद्र ग्रहण 25 मार्च 2024 की सुबह 10 बजकर 23 मिनट पर लगेगा और यह दोपहर के 03 बजकर 02 मिनट पर समाप्त होगा. गौरतलब है कि यह चंद्र ग्रहण एक उपच्छाया चंद्र ग्रहण. सामान्य शब्दों में कहें, तो एक निश्चित समय के लिए पृथ्वी चंद्रमा को ढक देगी, लेकिन यह चंद्रमा के सिर्फ थोड़े भाग को ढकेगी, पूरी तरह से नहीं. 

चंद्र ग्रहण क्या है?

चंद्र ग्रहण उस समय लगता है जब पृथ्वी सूर्य और चंद्रमा के बीच आ जाती है यानी कि पूर्णिमा की रात चंद्रमा की चमक धुंधली पड़ जाती है क्योंकि पृथ्वी के पीछे चंद्रमा छिप जाता है. जैसा कि हम सभी जानते हैं कि पृथ्वी सूर्य का अपने निश्चित परिक्रमा पत्र में चक्कर लगाती है, पर पृथ्वी का उपग्रह चंद्रमा पृथ्वी की परिक्रमा करता है. यह परिक्रमा निरंतर जारी रहती है और इसके साथ ही पृथ्वी अपने अक्ष पर भी घूर्णन करती रहती है, जिसकी वजह से दिन और रात की अवस्था जन्म लेती है.

जब पृथ्वी सूर्य के और चंद्रमा पृथ्वी के चक्कर लगाते लगाते किसी एक विशेष स्थिति में आ जाती है कि वहां से सूर्य पृथ्वी और चंद्रमा एक ही रेखा में आ जाते हैं और इस स्थिति में चंद्रमा पर पड़ने वाला सूर्य का प्रकाश कुछ समय के लिए पृथ्वी के बीच में आ जाने से चंद्रमा पर नहीं पहुंच पाता है, तब पृथ्वी से देखने पर चंद्रमा पर अंधेरा जैसा प्रतीत होता है. यानी कि चंद्रमा कुछ काला या कम रोशनी वाला प्रतीत होने लगता है. इस अवस्था को चंद्र ग्रहण कहा जाता है. 

उपच्छाया चंद्र ग्रहण क्या है?
चंद्र ग्रहण की प्रकृति के अतिरिक्त एक विशेष प्रकृति का चंद्र ग्रहण और भी देखा जाता है इसे विशेष रूप से चंद्रग्रहण नहीं माना गया है. कई बार ऐसी स्थिति होती है कि पृथ्वी के बाहरी हिस्से की छाया ही चंद्रमा पर पड़ती है जिससे चंद्रमा की सतह धुंधली और मध्यम सी प्रतीत होने लगती है. इसमें चंद्रमा का कोई भी भाग ग्रसित नहीं होता और काला नहीं होता केवल उसकी छाया ही मालिन प्रतीत होती है. ऐसी स्थिति को हम उपच्छाया चंद्रग्रहण कहते हैं. चूंकि इस प्रकार की श्रेणी के चंद्र ग्रहण में चंद्रमा का कोई भी भाग ग्रसित नहीं होता है इसलिए इसको चंद्र ग्रहण की श्रेणी में नहीं रखा जाता है.

खगोलीय दृष्टिकोण से तो यह एक ग्रहण जैसी घटना मानी जा सकती है लेकिन इसका कोई भी धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व नहीं होता क्योंकि जब चंद्रमा ग्रसित ही नहीं हुआ तो उस पर ग्रहण कैसा और यही वजह है कि इस प्रकार के ग्रहण के दौरान सभी प्रकार के धार्मिक और आध्यात्मिक क्रियाकलाप भली भांति संपादित किए जा सकते हैं.

चंद्र ग्रहण 2024 (उपच्छाया चंद्र ग्रहण): समय और दृश्यता
तिथि दिनांक एवं दिन चंद्र ग्रहण का आरंभ(भारतीय समय के अनुसार) चंद्र ग्रहण की समाप्ति कहां-कहां  दिखाई देगा?
फाल्गुन मास शुक्ल पक्ष पूर्णिमा 25 मार्च, 2024, सोमवार सुबह 10 बजकर 23 मिनट से दोपहर 03 बजकर 02 मिनट तक आयरलैंड, इंग्लैंड, स्पेन, पुर्तगाल, इटली, जर्मनी, फ्रांस, हॉलैंड, बेल्जियम, दक्षिण नॉर्वे, स्विटजरलैंड, उत्तरी व दक्षिणी अमेरिका, जापान, रूस का पूर्वी भाग, पश्चिमी ऑस्ट्रेलिया को छोड़कर शेष ऑस्ट्रेलिया और अफ्रीका का ज्यादातर हिस्सा

(भारत में दिखाई नहीं देगा)
नोट: चंद्र ग्रहण 2024 के अनुसार, ध्यान देने वाली बात यह है कि ऊपर दिया गया समय भारतीय समय के अनुसार दिया गया है. जैसा कि हम आपको बता चुके हैं कि यह एक उपच्छाया चंद्र ग्रहण होगा इसलिए इसे ग्रहण नहीं माना जाएगा. ऐसे में, सूतक काल या ग्रहण से जुड़ी किसी भी तरह के धार्मिक नियमों का पालन करना आपके लिए जरूरी नहीं होगा. इसके अलावा, यह उपच्छाया ग्रहण भारत में दृश्यमान नहीं होगा इसलिए इस दिन आप बिना किसी परेशानी के अपने रोज़मर्रा के कार्यों को कर सकते हैं. 

चंद्र ग्रहण 2024: गर्भवती महिलाओं पर प्रभाव और बालारिष्ट दोष
मां बनने हर किसी के लिए दुनिया की सबसे बड़ी खुशी होती है और यह हर गर्भावस्था एक महिला के जीवन का सबसे बेहतरीन समय होता है, जहां वे अपने गर्भ में पल रहे बच्चे की पालन-पोषण करने वाली की भूमिका निभाती है. ऐसे में गर्भवती महिलाओं के जीवन में इन नौ महीने कई बदलाव आते हैं, कुछ के लिए यह बदलाव चुनौतीपूर्ण होते हैं तो कुछ के लिए यह आसान होता है. ये नौ महीने मां और बच्चे दोनों की भलाई के लिए महत्वपूर्ण होते हैं और आने वाले समय में बच्चे के स्वास्थ्य को निर्धारित करते हैं इसलिए गर्भवती महिलाओं को हर वक्त सावधानी से गुजरना होता है. ऐसे में हर साल पड़ने वाले चंद्रग्रहण के दौरान गर्भवती महिलाओं को अधिक सावधानी बरतनी चाहिए. चंद्र ग्रहण गर्भवती महिलाओं के लिए शुभ नहीं माना जाता क्योंकि ग्रहण के दौरान कुछ नकारात्मक शक्तियां निकलती हैं, जिसका प्रभाव गर्भस्थ शिशु पर होता है. इसी कड़ी में आइए जानते हैं कि, चंद्र ग्रहण के दौरान गर्भवती महिलाओं को कौन से काम नहीं करने चाहिए. बता दें कि इस बार चंद्रमा और केतु उत्तराफाल्गुनी नक्षत्र में कन्या राशि में युति करेंगे. इस प्रकार, बालारिष्ट दोष लगेगा, जो शिशुओं और बच्चों के लिए प्रमुख स्वास्थ्य समस्याएं पैदा कर सकता है.

ज्योतिष में राहु और केतु को अशुभ ग्रह माना जाता है. किंवदंती है कि एक बार राहु (असुर) और देवताओं (देवताओं) के बीच समुद्र मंथन में निकले अमृत कलश के लिए झगड़ा हुआ था क्योंकि राहु अमर होना चाहता था, इसलिए उसने खुद को ‘देवता’ के रूप में प्रकट किया और एक बूंद पी ली. ‘अमृत’ से पहले सूर्य और चंद्र देव ने उसे पहचान लिया और भगवान विष्णु ने उसका सिर काट दिया. इस प्रकार, दो ‘छाया ग्रह’ राहु और केतु का जन्म हुआ. तब से राहु और केतु सूर्य और चंद्रमा दोनों पर अपनी बुरी छाया डालते हैं, जिसके चलते ग्रहण लगता है. ऐसे में ग्रहण काल को सनातन धर्म में अशुभ अवधि माना जाता है. जिसके दौरान बुरी शक्तियां सक्रिय होती हैं, विशेष रूप से गर्भवती महिलाओं के लिए हानिकारक होती हैं.

स्वस्थ शिशु के जन्म को सुनिश्चित करने के लिए गर्भावस्था के दौरान महिलाओं को बहुत सी सावधानियां बरतनी पड़ती हैं. आपने अपने दादा-दादी और घर की बुजुर्ग महिला से सुना होगा कि “ग्रहण काल” गर्भवती महिलाओं के लिए अच्छा नहीं माना जाता है. हममें से ज्यादातर लोग इन सबको अंधविश्वास मानते हैं लेकिन किसी ज्योतिषी की माने तो आपको इस सदियों पुरानी मान्यता का आधार पता चल जाएगा. हालांकि वैज्ञानिक दृष्टिकोण से देखा जाए तो ऐसा कोई तथ्य अभी तक सामने नहीं आया है जो यह साबित करते हों कि ग्रहण का प्रभाव गर्भवती महिलाओं पर पड़ता है. कुछ शोधकर्ता गर्भवती महिलाओं पर ग्रहण के बुरे प्रभावों के बारे में अपने दावे का समर्थन करने के लिए जानवरों की संतानों को होने वाले नुकसान के बारे में बात करते हैं. ये सभी शोध अनिर्णायक हैं, हालांकि जैसा कि वे कहते हैं “क्षमा करने से सुरक्षित रहना बेहतर है”. आइए एक नज़र डालते हैं उन कुछ सावधानियों पर जिन्हें एक मां होने के नाते आपको बरतनी चाहिए.

चंद्र ग्रहण 2024: गर्भवती महिलाओं के लिए सावधानियां
चंद्र ग्रहण के दौरान गर्भवती महिलाओं को घर के अंदर ही रहना चाहिए क्योंकि ऐसा माना जाता है कि इस दौरान निकलने वाली हानिकारक किरणें बढ़ते भ्रूण को नुकसान पहुंचा सकती हैं.
गर्भवती महिलाओं को किसी नुकीली वस्तु जैसे ब्लेड, कैंची आदि का उपयोग करने से बचने की सलाह दी जाती है.
चंद्र ग्रहण के दौरान आमतौर पर लोग कुछ भी खाने से बचते हैं. हालांकि, गर्भवती महिलाओं को ताजे फल या सात्विक भोजन खाने और दवाइयां लेने की अनुमति है.
चंद्र ग्रहण के दौरान गर्भवती महिलाओं को खिड़कियां और दरवाजे ढक कर रखने की सलाह दी जाती है.
चंद्र ग्रहण के दौरान ध्यान करना और मंत्रों का जाप करना गर्भवती महिलाओं के लिए कारगर साबित हो सकता है.
किसी भी नकारात्मक प्रभाव से बचने के लिए गर्भवती महिलाओं को चंद्र ग्रहण से पहले और बाद में स्नान करने की सलाह दी जाती है.
गर्भवती महिलाओं को कोई भी धातु का आभूषण नहीं पहनना चाहिए, जिसमें चूड़ियां, पिन, सेफ्टी पिन आदि शामिल हैं.
चंद्र ग्रहण के दौरान सोना सख्त वर्जित है.
चूंकि इस उपच्छाया चंद्र ग्रहण में सूतक काल लागू नहीं होता है इसलिए गर्भवती महिलाओं के लिए इन सभी नियमों का पालन करना कोई बाध्यता नहीं है, लेकिन वे चाहें तो ऐसा कर सकती हैं.
मंत्रों या भजनों का जाप करने और देवताओं की पूजा में शामिल होने से हर किसी को (सिर्फ गर्भवती महिलाओं को नहीं) मानसिक तनाव या चिंता से दूर रखने में मदद मिलेगी, जिससे मानसिक समस्याएं दूर रहेंगी.

भोज दत्त शर्मा , वैदिक ज्योतिष

Astrology By Bhoj Sharma

Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-

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