पापमोचनी एकादशी व्रत

पापमोचनी एकादशी व्रत

प्रेषित समय :20:14:30 PM / Thu, Apr 4th, 2024
Reporter : reporternamegoeshere
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*चैत्र कृष्ण पक्ष की एकादशी { गुजरात एवं महाराष्ट्र के अनुसार फाल्गुन कृष्ण पक्ष } को 'पापमोचनी एकादशी' कहते हैं  जो इस बार 5 अप्रैल 2024, शुक्रवार के दिन है
यह एकादशी दो प्रमुख त्योहारो होली और चैत्र नवरात्रि के मध्य के समय में पड़ती है. इस साल यानी कि 2024 को *पापमोचनी एकादशी 5 अप्रैल 2024, शुक्रवार को पड़ रही है* . इसी दिन भगवान् विष्णु का पूजन और ध्यान करना विशेष फलदायी होगा
जैसा कि इस एकादशी तिथि के नाम से ही पता चलता है कि यह एकादशी तिथि ' *पापमोचनी* ' यानी *पापों का नाश करने वाली है.* मान्यता है कि इस एकादशी का जो भी भक्त श्रद्धा पूर्वक व्रत करता है उसका कल्याण होता है. जो भी व्यक्ति भक्ति भाव से पापमोचनी एकादशी का व्रत करता है और जीवन में अच्छे कार्यों को करने का संकल्प लेता है उसके सभी पाप नष्ट हो जाते हैं और सभी दुखों से छुटकारा मिलता है. पाप मोचनी एकादशी का व्रत करने वाला व्यक्ति धन धान्य से पूर्ण होकर ख़ुशी से जीवन व्यतीत करता है.
 *एकादशी तिथि प्रारंभ* 
 4 अप्रैल 2024, गुरुवार शाम 4:15 मिनट से
 *एकादशी तिथि समापन* 
 5 अप्रैल 2024, शुक्रवार 1:28 पर 
 *एकादशी तिथि पारण* 
 6 अप्रैल 2024, शनिवार सुबह 6:17    मिनट से 8:46 पर
 *विशेष* 
 *कल 4 अप्रैल गुरुवार शाम को एवं 5 अप्रैल शुक्रवार व्रत के दिन ...खाने में चावल या चावल से बनी हुई किसी भी प्रकार की चीज वस्तुओं का प्रयोग बिल्कुल भी ना करें ...भले ही आपने अगर व्रत नहीं रखा है तो भी* 
 *पूजा करने की विधि* 
 एकादशी व्रत का पालन करने वालों को दशमी तिथि के सायं काल सोना, चांदी,तांबे या मिट्टी का कलश स्थापित कर उस कलश को जल से भरकर उसमें पल्लव डालें फिर उसके ऊपर प्रभु श्री नारायण की मूर्ति स्थापित करें फिर अगले दिन यानी की एकादशी के दिन प्रातः स्नान करने के बाद कलश को रोली माला, चंदन, सुपारी, नारियल आदि से विशेष रूप से पूजा करे , व्रती को दसवीं शाम से ही अनाज का सेवन नहीं करना चाहिए एवं प्रभु स्मरण करते हुए रात्रि को सोना चाहिए
 एकादशी व्रत के दिन सुबह उठकर स्नान करने के पश्चात स्वच्छ वस्त्र धारण करके व्रत का संकल्प लें
 एकादशी व्रत के दिन पीले वस्त्र धारण करना अत्यंत फलदायी माना जाता है क्योंकि विष्णु जी को पीला रंग पसंद है
 इसके बाद पूजा का स्थान साफ़ करके भगवान विष्णु की मूर्ति या तस्वीर साफ़ करके चन्दन का तिलक लगाएं
 विष्णु जी के सामने धूप व दीप जलाएं और पुष्प, नैवेद्य अर्पित करें
 एकादशी के दिन प्रभु श्री विष्णु को भोग लगाएं एवं तुलसी दल जरूर अर्पित करें
 इसके बाद एकादशी की कथा पढ़ें और विष्णु जी की आरती करें
 पूरे दिन भगवान विष्णु का ध्यान करते हुए व्रत करें और किसी भी प्रकार के कलह कलेश से बचें
 द्वादशी तिथि पर दान देकर या ब्राह्मण को भोजन कराकर व्रत का पारण करें
 *यदि आप व्रत नहीं रखते हैं तब भी एकादशी तिथि के दिन चावल, लहसुन, प्याज और किसी भी प्रकार के नशीली पदार्थ का सेवन न करें.

Astro nirmal

Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-

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