EVM-VVPAT वेरीफिकेशन मामले में 4 घंटे से जारी है सुनवाई, SC ने पूछा केरल में मॉक पोलिंग में भाजपा को ज्यादा वोट मिले, EC ने कहा झूठी खबर है

EVM-VVPAT वेरीफिकेशन मामले में 4 घंटे से जारी है सुनवाई, SC ने पूछा केरल में मॉक पोलिंग में भाजपा को ज्यादा वोट मिले, EC ने कहा झूठी खबर है

प्रेषित समय :16:47:19 PM / Thu, Apr 18th, 2024
Reporter : reporternamegoeshere
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नई दिल्ली. इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) के वोटों व वोटर वेरिफिएबल पेपर ऑडिट ट्रेल (वीवीपीएटी) पर्चियों की 100 प्रतिशतचेकिंग की मांग को लेकर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई शुरू हो गई है. जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस दीपांकर दत्ता की बेंच एडीआर सहित अन्य की याचिका पर सुनवाई कर रही है.

याचिकाकर्ताओं की तरफ से एडवोकेट प्रशांत भूषण, गोपाल शंकरनारायण व संजय हेगड़े पैरवी कर रहे हैं. प्रशांत भूषण एसोसिएशन ऑफ डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (एडीआर)  की तरफ से पेश हुए. वहीं चुनाव आयोग की ओर से एडवोकेट मनिंदर सिंह मौजूद हैं. एडवोकेट प्रशांत भूषण ने कोर्ट के सामने एक रिपोर्ट पेश की. इसमें आरोप था कि केरल में मॉक पोलिंग के दौरान भाजपा को ज्यादा वोट जा रहे थे. इस पर कोर्ट ने चुनाव आयोग के वकील मनिंदर सिंह से पूछा कि ये कितना सही है. सिंह ने कहा कि ये खबरें पूरी तरह झूठी और बेबुनियाद हैं. सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग से ईवीएम के निर्माण से लेकर भंडारण और डेटा से छेड़छाड़ की आशंका तक हर चीज के बारे में बताने को कहा है. बेंच ने पूछा कि क्या वोटिंग के बाद गिनती में किसी गड़बड़ी के आरोपों को खत्म करने के लिए ईवीएम की टेक्नीक जांची जा सकती है.् इस पर आयोग ने कहा कि हमारा पक्ष सुने बिना ऐसे कोई संकेत कोर्ट न दे. कोर्ट ने पूछा कि क्या ईवीएम में हेरफेर करने पर कड़ी सजा का कानून है. लोगों में डर होना चाहिए. आयोग ने बताया कि इसे लेकर कार्यालय संबंधी कानून हैं. इस मामले में पिछली सुनवाई 1 अप्रैल को हुई थीए तब जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस संदीप मेहता की बेंच ने चुनाव आयोग और केंद्र सरकार को नोटिस जारी करके जवाब मांगा था. फिलहाल किसी भी निर्वाचन क्षेत्र में 5 ईवीएम के वोटों का ही वीवीपीएटी पर्चियों से मिलान होता है. याचिका में कहा गया कि चुनाव आयोग ने लगभग 24 लाख वीवीपीएटी खरीदने के लिए 5 हजार करोड़ रुपए खर्च किए हैं. लेकिन केवल 20000 वीवीपीएटी की पर्चियों का ही वोटों से वेरिफिकेशन किया जा रहा है. भारत में वीवीपीएटी मशीन का इस्तेमाल पहली बार 2014 के आम चुनावों में किया गया था. इसे इलेक्ट्रॉनिक्स कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड और भारत इलेक्ट्रॉनिक लिमिटेड ने बनाया है.

पहले भी सुप्रीम कोर्ट में कई बार उठा है मुद्दा

2019 के लोकसभा चुनावों से पहले 21 विपक्षी दलों ने ईवीएम के वोटों से कम से कम 50 फीसदी वीवीपीएटी पर्चियों के मिलान की मांग की थी. उस समय चुनाव आयोग हर निर्वाचन क्षेत्र में सिर्फ एक ईवीएम के वोटों का वीवीपीएटी पर्चियों से मिलान करता था. हालांकि चुनाव आयोग ने तर्क दिया कि ऐसा करने पर नतीजों में पांच से छह दिन की देरी होगी. सुप्रीम कोर्ट ने 8 अप्रैल 2019 को मिलान के लिए ईवीएम की संख्या 1 से बढ़ाकर 5 कर दी थी. इसके बाद मई 2019 कुछ टेक्नोक्रेट्स ने सभी ईवीएम के वीवीपीएटी से वेरिफाई करने की मांग की याचिका लगाई थीए जिसे सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया था. इसके अलावा एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स ने भी जुलाई 2023 में वोटों के मिलान की याचिका लगाई थी. इसे खारिज करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा था. कभी-कभी हम चुनाव निष्पक्षता पर ज्यादा ही संदेह करने लगते है.

चुनाव प्रक्रिया में पवित्रता होना चाहिए, वीवीपीएटी वेरीफिकेशन मामले में सुप्रीम कोर्ट ने EC से कही ये बात

https://palpalindia.com/2024/04/18/Delhi-Supreme-Court-on-EC-VVPAT-verification-matter-sanctity-in-election-process-news-in-hindi.html

Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-

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