पलपल संवाददाता, भोपाल. एमपी के सरकारी स्कूलों में 30 फीसदी से कम रिजल्ट वाले अतिथि शिक्षकों को अब नियुक्ति नहीं मिलेगी. वहीं एमपी के नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार ने दमोह के जिला शिक्षा अधिकारी के आदेश को एक्स पर शेयर करते हुए पूर्व सीएम शिवराज सिंह चौहान द्वारा अतिथि शिक्षकों को दिए गए आश्वासनों पर सवाल उठाए हैं.
स्कूल शिक्षा विभाग के आदेश के अनुसार अब एमपी बोर्ड की 10वीं व 12वीं की वार्षिक परीक्षा में 30 प्रतिशत या उससे कम परिणाम वाले अतिथि शिक्षकों को अगले सत्र में पढ़ाने के लिए नहीं बुलाया जाएगा. इस आदेश से राज्य के 15000 अतिथि शिक्षकों पर सीधा असर पड़ेगा.
मध्यप्रदेश की सरकार के इस आदेश से अतिथि शिक्षक नाराज नजर आ रहें हैंण् आपको बता दें इस आदेश का सीधा असर प्रदेश के 72ए500 में से 15ए000 अतिथि शिक्षकों पर पड़ेगा. अतिथि शिक्षकों का कहना है कि छात्र.छात्राओं का रिजल्ट खऱाब आने की जिम्मेदारी हमारी नहीं हैए बल्कि सरकार की गलत नीतियों और प्राचार्यों की है.
मप्र के कई जिलों में डीईओ ने रायसेन जिला शिक्षा अधिकारी द्वारा जारी आदेश के अंतर्गत स्कूलों में 30 प्रतिशत परीक्षा परिणाम देने वाले अतिथि शिक्षक की दोबारा नियुक्ति नहीं की जाएगी. इस संबंध में राज्य शिक्षा केंद्र ने गाइडलाइन जारी कर दी है. साथ 10 दिनों के अंदर अतिथि शिक्षकों की रिपोर्ट तैयार की जाएगी. इस आदेश में कहा गया है कि 30 प्रतिशत या उससे कम रिजल्ट लाने वाले अतिथि शिक्षकों को किसी भी कॉलेज में आमंत्रित नहीं किया जाए. वहीं नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार ने अपने ट्वीट में लिखा. मध्यप्रदेश सरकार ने अब अतिथि शिक्षकों को पूरी तरह बेदखल करने की तैयारी कर ली. अब हर जिले का शिक्षा अधिकारी आदेश निकाल कर उन्हें हमेशा के लिए बाहर करने वाले हैं. दमोह के जिला शिक्षा अधिकारी ने आदेश निकाला कि 30 प्रतिशत से कम रिजल्ट वाले अतिथि शिक्षक को काम पर नहीं रखा जाएगा. जबकि नियमित शिक्षकों पर ऐसी कोई सख्ती का प्रावधान नहीं है. क्या हुआ शिवराज सिंह चौहान के उन आश्वासनों का जो अतिथि शिक्षकों को दिए गए थे.
अतिथि शिक्षकों के संगठन ने सरकार से की है मांग-
वहीं अतिथि शिक्षकों के संगठन ने सरकार से मांग की है कि जिन भी अतिथि शिक्षकों के परीक्षा का परिणाम 30 प्रतिशत से कम है उनकी सेवा अवधि को देखा जाए. 40 प्रतिशत अतिथि शिक्षकों के केवल 3 या 4 महीने ही स्कूलों में पढ़ाया है. नियमित शिक्षक व अतिथि शिक्षकों के परीक्षा परिणाम का एनालिसिस होना चाहिए. अतिथि शिक्षकों को 6 महीने का मानदेय से कुछ ज्यादा पैसा नहीं मिलता. ऐसे में सारी जवाबदारी थोपना गलत है. अप्रैल-मई की सैलरी अभी तक नहीं दी गई है ऐसे में 50 किलोमीटर दूर जारक पढ़ाई करना मुश्किल होता है. 30 प्रतिशत से कम रिजल्ट वाले अतिथि शिक्षकों को एक बार मौका देना चाहिए अगर फिर भी अगले परीक्षा सत्र में भी इनमें कोई सुधार नहीं होता है तो इन्हें इनकी नौकरी से हटा दिया जाएगा. पिछले 3 सत्रों के परीक्षा परिणाम को भी देखना चाहिए. अगर किसी अतिथि शिक्षक का पिछले सत्र का रिजल्ट अच्छा है तो उसे एक मौका जरुर दिया जाना चाहिए.
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-एमपी: ठूंस-ठूंसकर ट्रक में भरे थे गाय-बछड़े, 45 की मौत, आक्रोशित ग्रामीणों ने किया चक्काजाम
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