जब भी नये भवन/मकान का नवीन निर्माण कर रहे हैं,तो उसमें किसी पुराने मकान/भवन की सामग्रियों का प्रयोग नहीं करना चाहिए.
इससे नए भवन की ऊर्जा बाधित हो जाती है,एवं कभी कभी बहुत बुरे परिणाम मिलते हैं.
#वास्तुशास्त्रक ग्रँथों में ग्रन्थकार कहते हैं---
नवं पुराणसंयुक्तमन्यं स्वामिनमिच्छति.
अधोग्रम राजदंडाय विद्दं द्वारं विगर्हितम..
नवं पुराणसंयुक्तं द्रव्यं तु कलिकारकम.
न मिश्रजातिद्रव्योत्थं द्वारं वा वेश्म वा शुभम..
नवीन द्वार पुराने द्वार से संयुक्त(नवीन घर के द्वार में पुराने घर का चौखट लगाने से)होने पर दूसरे स्वामी की इच्छा करता है.
नीचे से ऊपर विद्ध द्वार राज-दंड देने वाला होता है और निंदित कहा गया है.
नया द्रव्य(सामग्री) पुराने से संयुक्त होने पर कलि-कारक अर्थात झगड़ा कराने वाला होता है और मिश्रजाति के द्रव्य से निर्मित द्वार अथवा वेश्म(घर, मकान)अशुभ माना गया है.
#अन्यवेश्मस्थितं दारु नैवान्यस्मिन प्रयोजयेत.
जीर्णतो नूतनं शस्तं नो जीर्णो नूतनं शुभं..
एक घर में लगी लकड़ी/काष्ठ(चौखट आदि) को दूसरे घर में नहीं लगाना चाहिए.
पुराने घर में नये लकड़ी लगाया जा सकता है लेकिन नये घर में पुराने लकड़ी/काष्ठ नहीं लगाना चाहिए.
ज्योतिष वास्तु सलाहकार-उपेंद्र कुमार पटना(बिहार)
Upendra Vastu Resolve
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-ये हैं वास्तु की 8 दिशाओं में किए जा सकने वाले निर्माण और शुभ गतिविधियां
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