अभिमनोज
आज का सबसे बड़ा सवाल यही है कि.... नीट एग्जाम- नीट एंड क्लीन क्यों नहीं है?
आश्चर्यजनक बात यह है कि केंद्र सरकार गड़बड़ियां भी मान रही है और सुप्रीम कोर्ट का भी यह कहना है कि- सिस्टम के साथ धोखाधड़ी करने वाला व्यक्ति डॉक्टर बन जाता है, वह समाज के लिए और भी ज्यादा खतरनाक है, बावजूद इसके बजाए बगैर फीस लिए फिर से एग्जाम करवाने के केंद्र सरकार किन्तु-परन्तु में उलझ कर समय काट रही है?
खबर है कि.... सुप्रीम कोर्ट में नीट एग्जाम विवाद पर ग्रेस मार्क्स से जुड़ी याचिका पर मंगलवार को सुनवाई हुई और अदालत ने कहा कि- अगर किसी की ओर से 0.001 प्रतिशत भी लापरवाही हुई है तो उससे पूरी तरह निपटा जाना चाहिए, बच्चों ने परीक्षा की तैयारी की है, हम उनकी मेहनत को नहीं भूल सकते हैं, इतना ही नहीं, यह भी कहा कि- कल्पना कीजिए कि सिस्टम के साथ धोखाधड़ी करने वाला व्यक्ति डॉक्टर बन जाता है, वह समाज के लिए और भी ज्यादा खतरनाक है.
उल्लेखनीय है कि.... वर्ष 2015 में सुप्रीम कोर्ट ने ऐसी ही टिप्पणी करके ऑल इंडिया प्री मेडिकल टेस्ट के तहत आयोजित परीक्षा रद्द की थी.
खबरों की मानें तो.... तब अदालत ने कहा था कि- एक भी फर्जी डॉक्टर बनता है, तो पूरी परीक्षा रद्द होनी चाहिए.
याद रहे, जस्टिस विक्रम नाथ और जस्टिस एसवी भट्टी की वैकेशन बेंच इस मामले से जुड़ी 4 याचिकाओं की 8 जुलाई 2024 को सुनवाई करेगी, लेकिन इससे पहले केंद्र सरकार के पास समय है कि वह अपने स्तर पर फिर से परीक्षा का निर्णय ले, ताकि जनता का भरोसा बना रहे.
केंद्र सरकार को करना तो यह चाहिए था कि गड़बड़ी सामने आते ही सख्त कदम उठाने थे, लेकिन ऐसा नहीं हुआ?
बेशर्मी की हद यह है कि- इस मामले में अनेक सबूत सामने आ चुके हैं, बावजूद इसके केंद्र सरकार खामोशी के साथ छात्रों और अभिभावकों के धैर्य की परीक्षा ले रही है!
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