सनातन धर्म में आषाढ़ महीना का बहुत अधिक महत्व है. हिन्दू कैलेंडर के अनुसार, आषाढ़ मास वर्ष का चौथा महीना है, जो जून के महीने में शुरू होता है और ग्रेगोरियन कैलेंडर के अनुसार जुलाई के महीने में समाप्त होता है. चैत्र, वैशाख और ज्येष्ठ के बाद, अगला महीना आषाढ़ का महीना होता है. यह महीना मानसून के आगमन का संकेत देता है. मौसम में बदलाव के कारण इस महीने स्वास्थ्य पर अधिक ध्यान देने की आवश्यकता होती है. इस माह को शून्य मास और चातुर्मास के नाम से भी जाना जाता है क्योंकि इस माह से ही चातुर्मास की शुरुआत होती है. यानी भगवान विष्णु निद्रा अवस्था में चले जाते हैं और चार महीने तक कोई शुभ कार्य नहीं किया जाता है.
भले ही इस माह शुभ कार्य न हो लेकिन आषाढ़ मास तीर्थ यात्रा के लिए सबसे शानदार महीना माना जाता है. इस मास में पूजा पाठ करने का भी विशेष महत्व है और इसे साधक की हर मनोकामना पूरी होती है. भगवान जगन्नाथ की भव्य यात्रा निकाली जाती है, जिसे देखने के लिए दूर-दूर से लोग आते हैं. बता दें कि जब तक चातुर्मास रहता है तब शुभ और मांगलिक कार्य करने की मनाही होती है इसलिए इस माह पूजा पाठ पर अधिक ध्यान लगाना चाहिए.
आषाढ़ का महीना बेहद खास महीना होता है क्योंकि इस महीने कई व्रत व त्योहार पड़ते हैं.
आषाढ़ मास 2024: तिथि
आषाढ़ माह का आरंभ 23 जून 2024 रविवार को होगा जिसकी समाप्ति 21 जुलाई 2024 रविवार को हो जाएगी. शास्त्रों में बताया गया है कि आषाढ़ मास में भगवान विष्णु और भगवान शिव की उपासना करने का विशेष महत्व है. इस माह इनकी पूजा करने से पुण्य फल की प्राप्ति होती है. इस मास में पूजा-पाठ और हवन का भी बहुत अधिक महत्व है. शास्त्रों के अनुसार, आषाढ़ मास में व्यक्ति को हर दिन सूर्योदय से पहले उठकर स्नान करने के बाद सूर्य देव को जल देना चाहिए.
आषाढ़ मास का महत्व
भगवान विष्णु व भगवान शिव के अलावा, आषाढ़ माह में माता लक्ष्मी व भगवान सूर्य की पूजा करनी चाहिए. इस माह सूर्य को प्रात: उठकर जल देना चाहिए. ऐसा करने से धन-संपदा और मान-सम्मान की प्राप्ति होती है. जो भी मनुष्य इस महीने में सूर्यदेव की पूजा-अर्चना करता हैं उनके रोग-दोष दूर हो जाते हैं. आषाढ़ मास में कनेर के फूल,लाल रंग के पुष्प अथवा कमल के फूलों से भगवान विष्णु व माता लक्ष्मी की पूजा करनी चाहिए. इस महीने में भले ही शुभ कामकाज न होते हों लेकिन पूजा-पाठ के लिहाज से यह महीना बहुत ही शुभ माना गया है. आषाढ़ मास में यज्ञ-दान का भी बहुत महत्व है. जो भी व्यक्ति इस माह यज्ञ व हवन करता है उस पर मां लक्ष्मी व भगवान विष्णु का विशेष आशीर्वाद प्राप्त होता है.
जैसा कि ऊपर बताया जा चुका है कि आषाढ़ माह में मौसम में बदलाव देखने को मिलता है. यह महीना वर्षा ऋतु का महीना माना जाता है. ऐसे में, इस दौरान संक्रमण का खतरा बढ़ जाता है इसलिए इस अवधि खानपान का विशेष ध्यान रखने की सलाह दी जाती है. इस महीने में भगवान विष्णु, भगवान शिव, मां दुर्गा, और हनुमान जी की पूजा करने से कुंडली में सूर्य और मंगल की स्थिति मजबूत होती है. इससे आर्थिक संकटों से भी छुटकारा मिलता है और जीवन में सुख समृद्धि आती है.
आषाढ़ माह में होता चातुर्मास की शुरुआत
सनातन धर्म में चातुर्मास का विशेष महत्व होता है. चातुर्मास की शुरुआत आषाढ़ महीने से ही होती है और यह पूरे चार महीने तक होता है. इस अवधि के दौरान किसी भी तरह का शुभ और मांगलिक कार्य करना वर्जित होता है. सनातन धर्म में चातुर्मास का विशेष महत्व है. इसमें आने वाले चार महीने जिसमें सावन, भादौ, आश्विन और कार्तिक का महीना आता है. इस दौरान तीर्थ यात्रा करने का विशेष महत्व है. आषाढ़ मास में देवशयनी एकादशी पड़ती है और इस दिन से भगवान विष्णु योग निद्रा में चले जाते हैं इसलिए इस समय किसी प्रकार के मांगलिक कार्य नहीं किये जाते हैं. मांगलिक कार्यों की फिर शुरुआत कार्तिक मास की देवउत्थान एकादशी के दिन से होती है.
आषाढ़ मास में आने वाले प्रमुख व्रत-त्योहार
आषाढ़ मास यानी कि 23 जून 2024 से 21 जुलाई 2024 के दौरान हिन्दू धर्म के कई प्रमुख व्रत-त्योहार आने वाले हैं, जो कि इस प्रकार हैं:
तिथि वार पर्व
25 जून 2024 मंगलवार संकष्टी चतुर्थी
02 जुलाई 2024 मंगलवार योगिनी एकादशी
03 जुलाई 2024 बुधवार प्रदोष व्रत (कृष्ण)
04 जुलाई 2024 गुरुवार मासिक शिवरात्रि
05 जुलाई 2024 शुक्रवार आषाढ़ अमावस्या
07 जुलाई 2024 रविवार जगन्नाथ रथ यात्रा
16 जुलाई 2024 मंगलवार कर्क संक्रांति
17 जुलाई 2024 बुधवार देवशयनी एकादशी, आषाढ़ी एकादशी
18 जुलाई 2024 गुरुवार प्रदोष व्रत (शुक्ल)
21 जुलाई 2024 रविवार गुरु-पूर्णिमा, आषाढ़ पूर्णिमा व्रत
आषाढ़ मास में जन्म लेने वाले लोगों के गुण
ज्योतिष शास्त्र में हर महीने का अपना अलग और विशेष महत्व होता है. ज्योतिष के अनुसार जन्म का महीना, तारीख और राशियों से किसी के स्वभाव के बारे में बताया जा सकता है. ऐसे में, आइए जानते हैं आषाढ़ के महीने में जन्म लेने वाले जातक का व्यक्तित्व कैसा होता है.
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, आषाढ़ मास में जन्म लेने वाले लोग मनमौजी और अपने में ही मस्त रहने वाले होते हैं. ये लोग अपनी मर्जी के खिलाफ काम नहीं करते हैं. ये लोग दूसरों को अपनी ओर आसानी से प्रभावित कर लेते हैं और इनके व्यवहार से हर कोई इन पर जल्द ही आकर्षित हो जाता है. ये जातक बहुत अधिक ज्ञानी और मेहनती होते हैं. इन लोगों को अच्छे से पता है कि कैसे दूसरों से अपना काम निकाला जाता है. ये लोग प्रेम संबंधों के प्रति काफी संवेदनशील होते हैं.
आषाढ़ माह में जन्म लेने वाले लोग अकेले नहीं बल्कि अपने मित्रों के साथ आगे बढ़ना पसंद करते हैं. ऐसे लोगों को घूमने फिरने का काफी शौक होता है. ये लोग ज्यादातर प्राकृतिक स्थानों पर घूमना पसंद करते हैं. साथ ही ऐसे लोग धार्मिक स्थल पर यात्रा करना और एडवेंचर करना बहुत पसंद करते हैं.
आषाढ़ मास के नियम
आषाढ़ के महीने को वर्षा ऋतु का महीना भी कहा जाता है क्योंकि इस महीने से मानसून की शुरुआत हो जाती है. ऐसे में, इस महीने में रोग व संक्रमण का खतरा बढ़ जाता है यही वजह है कि इस माह से जुड़े ढेरों नियम के बारे में बताया जाता है, जिसका पालन हर किसी को करना चाहिए ताकि सतर्क रहा जा सके. तो आइए जानते हैं इन नियमों के बारे में.
इस महीने में ज्यादा से ज्यादा ऐसे फल खाएं जिसमें जल की मात्रा अधिक हो. जैसे- तरबूज, खरबूजा आदि.
तेल व ज्यादा भुनी व चिकनी से बनी चीजों का सेवन करने से बचें.
इसके अलावा, आषाढ़ के महीने में विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ करें. ऐसा करना बेहद शुभ माना जाता है.
यदि आप चाहें तो इस महीने में एकादशी, अमावस्या, और पूर्णिमा तिथि पर छाता, खड़ाऊ, आंवले, आम, खरबूजे, फल, व मिठाई, दक्षिणा, आदि चीज़ों को जरूरतमंद व गरीब लोगों को दान कर सकते हैं. ऐसा करने से पुण्य फल की प्राप्ति होती है.
आषाढ़ मास में क्या करें व क्या न करें
इस महीने में भगवान श्री हरि भगवान विष्णु निद्रा अवस्था में चलते जाते हैं इसलिए इस माह से लेकर पूरे चार माह तक शादी-विवाह जैसे मांगलिक कार्य करने से बचना चाहिए अन्यथा इसके अशुभ प्रभाव जीवन पर पड़ सकता है.
इस माह जितना हो सके भगवान विष्णु की पूजा करें और उनके मंत्रों का रोजाना जाप करें.
इस महीने में बासी खाना खाने से परहेज करें अन्यथा बीमार पड़ने का खतरा बना रहता है.
ये महीना वर्षा ऋतु के आगमन का होता है इसलिए जल का अपमान भूलकर भी न करें और न ही पानी की बर्बादी करें. वैसे तो पानी को बर्बाद कभी नहीं करना चाहिए लेकिन इस अवधि खास तौर पर आषाढ़ माह ऐसा करने से बचें.
इस महीने में स्नान दान का विशेष महत्व बताया गया है. ऐसे में पवित्र नदियों में जा कर स्नान कर सकते हैं.
इस माह भगवान सूर्य की उपासना करें और उन्हें जल अर्पित करें.
यदि संभव हो तो इस महीने छाता, पानी से भरा घड़ा, खरबूजा, तरबूज, नमक, आंवले आदि का दान अवश्य करें. ऐसा करना शुभ माना जाता है.
इस महीने में हरे पत्तेदार सब्जियों का सेवन न करें क्योंकि उनमें कीड़े लगने की संभावना अधिक होती है.
इस महीने में तामसिक चीजें जैसे,मसूर की दाल, बैंगन शराब और मास मदिरा आदि से दूरी बना लें.
इसके अलावा यदि इस दौरान भगवान विष्णु, भगवान शिव, माँ दुर्गा, भगवान हनुमान की पूजा की जाए तो ग्रह दोषों से छुटकारा पाया जा सकता है.
आषाढ़ महीने में इन मंत्रों का करें जाप
आषाढ़ माह में रोज सुबह पूजा करते समय नीचे दिए गए इन मंत्रों का जाप और ध्यान जरूर करना चाहिए. ऐसा करने से कभी भी धन-धान्य की कमी नहीं होती है.
ऊँ नम: शिवाय, ऊँ नमो भगवते वासुदेवाय.
ऊँ रामदूताय नम:.
कृं कृष्णाय नम:.
ऊँ रां रामाय नम:.
इन मंत्रों का जाप करने से नकारात्मक विचारों से मुक्ति मिलती है, विचार सकारात्मक बनते हैं. घर के मंदिर में या किसी अन्य मंदिर में ध्यान किया जा सकता है. इसके लिए किसी शांत स्थान का चयन करना चाहिए.
आषाढ़ माह में किए जाने वाले आसान उपाय
शीघ्र फल प्राप्ति के लिए
आषाढ़ का महीना यज्ञ और धार्मिक अनुष्ठान कराने के लिए शुभ होता है. हिंदू कैलेंडर के अनुसार, वर्ष के 12 महीनों में चौथा महीना आषाढ़ का महीना होता है और इस माह में यज्ञ करने से शीघ्र फल की प्राप्ति होती है.
आर्थिक समस्याओं से निपटने के लिए
यदि आपको अपनी कुंडली में सूर्य और मंगल की स्थिति बेहद कमजोर है और साथ ही जीवन में आ रही आर्थिक समस्याओं से निपटना चाहते हैं तो इस माह श्री हरि विष्णु, भोलेनाथ, मां दुर्गा और हनुमानजी की पूजा अवश्य करें. आषाढ़ मास में इनकी पूजा करना विशेष फलदायी होता है.
शारीरिक कष्टों से छुटकारा पाने के लिए
आषाढ़ मास में सूर्योदय से पूर्व उठकर सभी कार्यों से निवृत्त होकर स्नान करना चाहिए और फिर सूर्यदेव को जल अर्पित करना चाहिए. इसके बाद ही भोजन करना चाहिए. सूर्यदेव आरोग्य के देवता माने जाते हैं और आषाढ़ माह उनकी उपासना करने से व्यक्ति को सभी प्रकार के रोगों से मुक्ति मिल जाती है.
मनोकामना पूर्ण करने के लिए
आषाढ़ माह में कई व्रत और त्योहार पड़ते हैं इसलिए यह माह पूजा-पाठ के लिए और भी खास होता है. इस माह देवशयनी एकादशी, आषाढ़ी एकादशी और योगिनी एकादशी जैसे कई पुण्यदायी व्रत पड़ते हैं. संभव हो तो इन त्योहारों पर पूजा पाठ करें और व्रत लें. ऐसा करने से आपकी हर मनोकामना पूर्ण होगी.
भगवान विष्णु की विशेष कृपा के लिए
आषाढ़ महीने में स्नान और दान का खास महत्व है. ऐसे में अपनी सामर्थ्य के अनुसार आषाढ़ मास में जरूरतमंद लोगों को दान-दक्षिणा जरूर देना चाहिए. मान्यता है कि आषाढ़ माह में छाता, आंवला ,जूते-चप्पल और नमक आदि का दान करने से भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की विशेष कृपा प्राप्त होती है.
नवविवाहितों के लिए क्यों अशुभ माना जाता है आषाढ़ माह
मान्यता है कि आषाढ़ के महीने में नई-नई शादी हुए जातकों को अपने पार्टनर के साथ नहीं रहना चाहिए यानी शादी के शुरुआती वर्षों में जोड़े को आषाढ़ महीने के दौरान अलग हो जाना चाहिए. इसके पीछे कई अलग-अलग वजह बताई जाती है. हालांकि सच यह है कि पुराने जमाने में लोग मानते थे कि यदि आषाढ़ के महीने में नवविवाहित जोड़े एक साथ रहते हैं और अगर महिला गर्भवती होती है तो वह चैत्र महीने में बच्चे को जन्म दे सकती है. सनातन धर्म में चैत्र गर्मी का महीना है और यह गर्मी के मौसम के आगमन का प्रतीक है. माना जाता था कि गर्मी के दिनों में नवजात शिशु और माँ को कुछ दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है इसलिए, यह सुझाव दिया गया कि नवविवाहित जोड़ों को पूरे आषाढ़ महीने के लिए अलग रहना चाहिए.
आषाढ़ के ठीक बाद आने वाले सावन के महीने में नवविवाहित जोड़ों को दोबारा साथ में रहने की अनुमति दे दी जाती थी. यह भी माना जाता है कि आषाढ़ के महीने में नवविवाहित महिला को अपनी सास के साथ नहीं रहना चाहिए इसलिए उन्हें आषाढ़ के महीने तक मायके भेज दिया जाता था ताकि दोनों के बीच कोई मतभेद न हो और रिश्ता प्यार से चलता रहे.
भोज दत्त शर्मा , वैदिक ज्योतिष
Astrology By Bhoj Sharma
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-ज्योतिष में जन्मकुंडली के आठवें शनि से लोग क्यों डरते हैं?
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