हर सुहागिन महिला के लिए उसका सुहाग सबसे पहले आता है. इसकी रक्षा के लिए वह कई उपवास व पूजा पाठ भी करती हैं. वहीं जब-जब बात सुहाग के रक्षा की आती है, तब-तब सावित्री का नाम लिया जाता है.
*कहते हैं कि सावित्री ने अपने पति सत्यवान के प्राण यमराज से भी वापस ले लिए थे. तभी से वट सावित्री व्रत रखने की प्रथा मानी जाती है.
*हिंदू धर्म में पति की लंबी आयु, तरक्की और अच्छी सेहत के लिए कई अन्य उपवास भी किए जाते हैं, इनमें हरितालिका तीज, हरियाली तीज और करवा चौथ का व्रत मुख्य रूप से शामिल है. ये सभी व्रत सुहागिन महिलाओं के लिए बेहद खास होते हैं. इनमें से करवा चौथ पर सुहागिनें पति की लंबी आयु के लिए निर्जला व्रत करती हैं.
*वहीं वैवाहिक जीवन में खुशहाली के लिए हरियाली तीज का व्रत रखा जाता है. मान्यता है कि इन उपवास को रखने से जीवनसाथी के साथ रिश्ते मजबूत होते हैं और परिवार में खुशियां बनी रहती है. इसी कड़ी में आइए जानते हैं कि इस साल ये व्रत कब-कब रखे जाएंगे.
*हरियाली तीज 2024*
हर साल सावन माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को हरियाली तीज मनाई जाती है. इस साल हरियाली तीज का व्रत 7 अगस्त 2024 को रखा जाएगा. इस व्रत में शिव जी और पार्वती माता की पूजा का विधान है. माना जाता है कि इस दिन व्रत रखने से वैवाहिक जीवन में खुशहाली बनी रहती है.
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती का पुनर्मिलन हुआ था. इस व्रत में हरे रंग का अधिक महत्व है, इसलिए इसे हरियाली तीज कहा जाता है. इस दिन हरी साड़ी, हरी चूड़ियां आदि पहनने का विधान है.
*कजली तीज 2024*
कजली तीज का व्रत भाद्र मास के कृष्ण पक्ष की तृतीया तिथि को रखा जाता है. इसे बूढ़ी तीज के नाम से भी जाना जाता है. इस दिन सुहागिन महिलाएं पति की लंबी उम्र के लिए व्रत रखती हैं. इस दौरान भगवान शिव और पार्वती माता की पूजा करने से अखंड सौभाग्य का आशीर्वाद प्राप्त होता है. वहीं इस साल 22 अगस्त 2024 को कजली तीज का व्रत रखा जाएगा.
*हरतालिका तीज 2024*
इस साल हरतालिका तीज 6 सितंबर 2024 को मनाई जाएगी. इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा की जाती है. साथ ही सुहागिनें सुख-सौभाग्य की कामना के लिए व्रत रखती हैं. इस दौरान कुंवारी लड़कियां अच्छे वर के लिए यह व्रत रखती हैं. हरतालिका तीज निर्जला व्रत होता है. इस दिन महिलाएं बिना अन्न-जल के पूरे दिन ये व्रत रखती हैं.
*करवा चौथ 2024*
साल 2024 में करवा चौथ का व्रत 20 अक्टूबर रविवार के दिन रखा जाएगा. इस पर्व में चंद्रमा काफी महत्वपूर्ण है, क्योंकि महिलाएं चांद निकलने के बाद ही उपवास खोलती हैं. भारत में इसे बड़े श्रद्धाभाव से रखा जाता है. इस व्रत को लेकर कई मान्यताएं और परंपराएं भी हैं, जो इसे और खास बनाती हैं.
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Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-ज्योतिषीय दृष्टि से शुक्र को करें बलवान
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