नए वकीलों के एनरोलमेंट को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार, 30 जुलाई 2024 को महत्वपूर्ण फैसला सुनाया कि- राज्य बार काउंसिल एडवोकेट्स एक्ट में दिए प्रावधान से ज्यादा राशि नहीं ले सकते.
खबरों की मानें तो.... सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली बेंच, जिसमें जस्टिस जेबी पारदीवाला और मनोज मिश्रा शामिल थे, विभिन्न राज्य बार काउंसिल की ओर से लगाए जा रहे अलग-अलग नामांकन शुल्क को अत्यधिक करार देते हुए चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई कर रही थी, जिनमें यह सवाल उठाया गया कि- क्या नामांकन शुल्क के रूप में अत्यधिक शुल्क वसूलना अधिवक्ता अधिनियम 1961 की धारा 24(1) का उल्लंघन है?
एक्ट की धारा 24 में सामान्य वर्ग के लिए 750 और एससी, एसटी के लिए 125 रुपये की एनरोलमेंट फीस निर्धारित है, लेकिन हर राज्य में बार काउंसिल अधिक फीस ले रहे थे.
अदालत का कहना है कि- क्योंकि संसद ने नामांकन शुल्क तय कर रखा है, इसलिए बार काउंसिल इसका उल्लंघन नहीं कर सकती, धारा 24(1)(एफ), एक राजकोषीय विनियामक प्रावधान है, लिहाजा इसका सख्ती से पालन होना चाहिए.
खबरों पर भरोसा करें तो.... सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ की ओर से दिए गए निर्णय में कहा गया है कि- नामांकन के लिए पूर्व शर्त के रूप में अत्यधिक शुल्क वसूलना, विशेष रूप से कमजोर वर्गों से संबंधित लोगों के लिए, उनके पेशे को आगे बढ़ाने में बाधाएं पैदा करता है.
हालांकि.... अदालत ने यह भी कहा है कि- यह निर्णय पहले ली गई राशि पर लागू नहीं होगा, केवल अब भविष्य में ली जानेवाली एनरोलमेंट फीस पर लागू होगा, अर्थात... अब तक ली गई ज्यादा राशि लौटाने के जरूरत नहीं है.
साथ ही.... अदालत ने यह भी स्पष्ट किया कि- बार काउंसिल अधिवक्ताओं के लिए किए जाने वाले विविध कार्यों के लिए अन्य शुल्क लेने के लिए स्वतंत्र हैं, लेकिन उन्हें नामांकन शुल्क के रूप में नहीं वसूला जा सकता!
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