अनिल मिश्र/पटना
बिहार ही एक अकेला ऐसा राज्य है जिसके राजनेता, अधिकारी और नागरिक अकसर अपनी-अपनी फितरत के कारण चर्चा में आते रहते हैं. अगर काम सरकारी हो तब कमीशन चाहिए .अगर सरकारी नहीं स्वयं अथवा श्रमदान से कोई काम करना चाहते हैं तो कमीशन नहीं तो अतिक्रमण की बात कह नागरिकों को परेशान करने की आदत से बाज नहीं आते हैं.
बिहार में बहार है चाहे जिसकी भी सरकार हो. कहते हैं कि बिना प्रसाद चढ़ायें भगवान प्रसन्न नहीं होते हैं. कुछ इसी तरह बिहार में है कि चाहे सरकारी हो या गैर सरकारी बिना चढ़ावा के यहां काम नहीं होता.
बरसात का मौसम जब से शुरू हुआ है उसी समय से बिहार में पूलो का ढहना और गिरने की खबर प्रदेश में ही नहीं पूरे देश भर में एक के बाद एक पूल गिरने की खबर गुंज रही है.
ऐसा ही कुछ बाक्या आज बिहार के हाजीपुर में रामाशीष चौक के पास छपरा जाने वाली मुख्य मार्ग एनएच ३१की नवनिर्मित ओवरब्रिज दो साल के अंदर ही धंस गई है.जिसके कारण आज सुबह से ही यातायात व्यवस्था काफी समय तक प्रभावित रहा.उसके बाद पुरानी पूल से लोग आ जा रहे हैं.
पूल के धंसने के बाद पूल के सरिया और रड एकदम साफ नजर आ रहे हैं. वहीं बांका में भी आज एक नवनिर्मित पूल के ढहने की सूचना है.
इधर हाजीपुर में रामाशीष चौक के पास ओवरब्रिज के धंसने और पूल में बड़े गड्ढे होने को लेकर हाजीपुर के महुआ विधायक मुकेश कुमार रौशन उर्फ मुकेश कुमार यादव ने कहा कि जिस राज्य में कोई भी सरकारी निर्माण कार्य पर चालिस प्रतिशत तक कमीशन लिया जाता है.उसके बाद बचे हुए प्राक्कलित राशि से कितना काम होगा.
बिहार के गया जिले के टिकारी प्रखंड के शिवनगर पंचायत के लभरा गांव के ग्रामिणों ने शिवनगर पंचायत के वर्तमान मुखिया सुबोध कुमार सिंह के मौखिक आदेश पर लभरा गांव के पास श्रमदान से पिछले दिनों पटवन के लिए मोरहर नदी से निकलकर शिवनगर जाने वाली पईन पर एक पूलिया का निर्माण करवा रहे थे . जिसके निर्माण पर कमीशन के कारण रोक लगा दिया है.
इस संबंध में ग्रामीणों ने बताया कि सुबोध कुमार सिंह पहली बार जब मुखिया बने थे तभी पूल बनाने की बात कही थी. लेकिन अपने कार्यकाल में यहां के लोगों को वोट नहीं दिये जाने की बात कहकर टाल मटोल करते रहे. अन्ततः मजबूर होकर इन लोगों ने चंदा कर और श्रमदान से एक पूल का निर्माण करवाने लगे.इस पूल के निमार्ण होते देख मुखिया ने पहले अंचल कार्यालय और उसके बाद अनुमंडल कार्यालय में अतिक्रमण का हवाला देकर पूल के निमार्ण कार्य को रोकवा दिया है.
इस संबंध में यहां के ग्रामिणों ने बताया कि इस पईन में एक पूल बहुत पहले बना है जो काफी जर्जर हालत में है.अभी उस पूल से एम्बुलेंस तक नहीं गांव में जाता है. जबकि दूसरे पूल को कमीशन नहीं देने के कारण वोट नहीं देने का बहाना बनाकर रोक दिया गया है.
ग्रामीणों का इस पूल के निमार्ण में अतिक्रमण की बात पर कहते हैं कि इसी पईन में मुखिया बुढ़वा महादेव स्थान के पास इससे भी छोटा पूल बनवाया है. वहीं इसी पंचायत के अन्तर्गत आने वाले लभरा -चैनपुरा पईन में इसी मुखिया द्वारा कमीशन लेकर तीन -तीन पूल का निर्माण करवाया है. क्या वह अतिक्रमण नहीं है.
गौरतलब हो कि अंग्रेजी हुकूमत में यह गांव हिट लिस्ट में था.इसी गांव के रहने वाले पंडित विगनेश्वर मिश्र ने कांग्रेस की लहर में गया उतरी (वर्तमान में अब जहानाबाद)से सोशलिस्ट पार्टी की तरफ से लोकसभा सांसद बने थे. साथ ही वो पंडित जवाहरलाल नेहरू के काफी करीबी माने जाते थे. लेकिन ग्रामीणों द्वारा
इस गांव में जाने के लिए बनाए जा रहे पूलिया को मुखिया जी ने कमीशन नहीं मिलने के कारण अतिक्रमण घोषित कर रहे है.
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