पूर्व मुख्य निर्वाचन आयुक्त बोले, भारत में एक देश, एक चुनाव संविधान, आर पी एक्ट में संशोधन से ही संभव है

पूर्व मुख्य निर्वाचन आयुक्त बोले, भारत में एक देश, एक चुनाव संविधान

प्रेषित समय :18:42:32 PM / Sat, Sep 21st, 2024
Reporter : पलपल रिपोर्टर

पलपल संवाददाता, भोपाल. भारत में एक देश एक चुनाव संविधान में आवश्यक संशोधन साथ ही लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम आरपी एक्ट में संशोधन करने के बाद ही संभव है . उक्ताशय की बात पूर्व मुख्य निर्वाचन आयुक्त व  मध्यप्रदेश के सीनियर आईएएस ऑफिसर ओपी रावत ने कही. आईआईपीए  भारतीय लोक प्रशासन संस्थान की मध्यप्रदेश एवं छत्तीसगढ़ क्षेत्रीय शाखा द्वारा मध्यप्रदेश प्रशासन अकादमी भोपाल में भारत के जनमानस व मतदाता के केंद्र बिंदु  एक राष्ट्र एक चुनाव, सामयिक व ताज़ा विषय पर आयोजित विमर्श के दौरान श्री रावत बतौर मुख्य वक्ता बोल रहे थे. विषय प्रवर्तन आईआईपीए के चेयरमैन केके सेठी ने किया.

पूर्व मुख्य निर्वाचन आयुक्त श्री रावत ने श्वन नेशन वन इलेक्शन यानी एक राष्ट्र एक चुनाव से संबंधित अनेक पहलुओं की जानकारी देते हुए कहा की निर्वाचन आयोग एक राष्ट्र,  एक चुनाव कराने के लिए सक्षम है. आयोग के पास अभी जो इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) व (वीवीपैट) वोटर वेरिफि़एबल पेपर ऑडिट ट्रेल हैं. उससे और अधिक की जरूरत पड़ेगी.  ओपी रावत ने बताया की साल 2015 में वे निर्वाचन आयोग में ही थे, उसी दौरान केंद्र सरकार ने चुनाव आयोग से पूछा था कि क्या लोकसभा व  विधानसभाओं के चुनाव एक साथ कराना व्यावहारिक है. इसके लिए क्या क़दम उठाए जाने ज़रूरी हैं. तब श्निर्वाचन आयोग ने केंद्र सरकार को बताया था कि दोनों चुनाव साथ कराना संभव है. इसके लिए सरकार को चार काम करना होगा, इसके लिए सबसे पहले संविधान के 5 अनुच्छेदों में संशोधन ज़रूरी होगा. इसमें विधानसभाओं के कार्यकाल और राष्ट्रपति शासन लगाने के प्रावधानों को बदलना होगा. इसके अलावा निर्वाचन आयोग ने बताया था कि जन प्रतिनिधित्व क़ानून व  सदन में अविश्वास प्रस्ताव को लाने के नियमों को बदलना होगा. अविश्वास प्रस्ताव की जगह रचनात्मक विश्वास प्रस्ताव की व्यवस्था करनी होगी. यानी अविश्वास प्रस्ताव के साथ यह भी बताना होगा कि किसी सरकार को हटाकर कौन सी नई सरकार बनाई जाए, जिसपर सदन को विश्वास हो, ताकि पुरानी सराकर गिरने के बाद भी नई सरकार के साथ विधानसभा या लोकसभा का कार्यकाल पांच साल तक चल सके. आभार पूर्व वरिष्ठ आईएएस अधिकारी व आईआईपी के सचिव  डीपी तिवारी ने किया. विमर्श में पूर्व डीजीपी अरुण गुर्टू, एससी त्रिपाठी, एके विजयवर्गीय, नरेंद्र प्रसाद, केसी श्रीवास्तव, पुखराज मारू, एसपीएस परिहार समेत अनेक पूर्व वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी मौजूद थे.

पेड न्यूज पर अंकुश लगाने विशेष फोकस करना होगा, सरमन नगेले-

वरिष्ठ पत्रकार और राजनैतिक विश्लेषक सरमन नगेले ने अपनी बात रखते हुए कहा कि 191 दिनों में तैयार इस 18,626 पन्नों की रिपोर्ट में कहा गया है कि 47 राजनीतिक दलों ने अपने विचार समिति के साथ साझा किए थे. जिनमें से 32 राजनीतिक दल वन नेशन वन इलेक्शन के समर्थन में थे. जबकि 15 राजनीतिक दलों ने अपनी राय रखते हुए समर्थन से इंकार किया है यानि वे इसके विरोध में हैं. श्री नगेले ने बताया की 2019 के लोकसभा चुनाव में लगभग 60 हजार करोड़ रुपए खर्च हुए थे . जिस प्रकार चुनाव के दौरान लोकसभा अथवा विधान सभा का चुनाव लडऩे वाले उम्मीदवार के लिए खर्च की सीमा तय है उसी तरह पॉलिटिकल पार्टीस पर भी चुनाव में खर्च करने की लिमिट निर्धारित होना चाहिए. भारत के सभी राज्यों की विधान सभाओं के लिए 4120 विधायक और लोकसभा के लिए 543 संसद सदस्यों का निर्वाचन होता है. लेकिन देखने में आता है की 43 परसेंट सांसदों पर किसी न किसी प्रकार का केश प्रचलन में है यह उन्होंने स्वयं अपने शपथ पत्र के जरिए बताया है. उन्होने आगे कहा कि एक देश एक चुनाव पर लगभग 21558 रेस्पॉन्स आये लेकिन वे अंग्रेजी में थे हिंदी और अन्य क्षेत्रीय भाषाओं के नहीं. इसकी अनदेखी हुई है.  एकदेश एक चुनाव पर पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता वाली समिति ने सभी पक्षों, जानकारों व शोधकर्ताओं से बातचीत के बाद जो रिपोर्ट तैयार की गई है वह रेफरेंस बुक अच्छी है. सरकार और भारत निर्वाचन आयोग को फेक न्यूज, हेट न्यूज़ व पेड न्यूज़ पर अंकुश लगाने पर विशेष फ़ोकस करना चाहिए. 

Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-