प्रदीप द्विवेदी
दशा राज करवाती है और महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे की दशा एक बार फिर से उन्हें मुख्यमंत्री बना सकती है!
पल-पल इंडिया, 9 सितंबर 2020 में ही बता दिया था कि- 2022 से उद्धव ठाकरे के सत्ता के सितारे गड़बड़ाएंगे, लेकिन.... 2023 के उत्तरार्ध से फिर से चमकेंगे, गुरु में केतु की अंतरदशा ने उद्धव ठाकरे को महाराष्ट्र की गद्दी दिलाई, लेकिन गुरु में शुक्र की अंतरदशा ने सत्ता का समीकरण बदल दिया, अब.... एक बार फिर समय ने करवट बदली है, तो गुरु में चंद्र की अंतरदशा उन्हें एक बार फिर मुख्यमंत्री की कुर्सी तक पहुंचा सकती है.
पल-पल इंडिया (9 सितंबर 2020) में कहा था- उद्धव ठाकरे को 2022 में कई तरह की सियासी समस्याएं आ सकती हैं, महिलावर्ग से उलझने से बचना होगा?
महाराष्ट्र में आज जो राजनीतिक हालात बने हैं, उनके बारे में पल-पल इंडिया ने बहुत पहले ही उद्धव ठाकरे की प्रचलित कुंडली के आधार पर सितारों के संकेत दिए थे, जिसमें दो बातें खास थी, एक- महिलावर्ग से राजनीतिक तौर पर उलझने से बचना होगा और दो- वर्ष 2021-22 में काफी सतर्क रहना होगा, विशेषकर 2022 के पूर्वार्ध में कई तरह की सियासी समस्याएं आ सकती हैं!
उद्धव ठाकरे का सियासी समय बदल रहा है, संतुलन बनाने की चुनौती रहेगी. उनकी प्रचलित कुंडली पर नजर डालें तो उन्हें गुरु की महादशा ने मुख्यमंत्री बनाया और केतु ने कामयाबी का परचम लहराया, लेकिन नवंबर- 2020 से समय बदल रहा है और 2023 के पूर्वार्ध तक सियासी संतुलन बनाए रखने के लिए धैर्य से काम लेना होगा, खासकर, महादशा में गुरु-शुक्र संगम के कारण महिलावर्ग से राजनीतिक तौर पर उलझने से बचना होगा. वर्ष 2023 के उत्तरार्ध से लेकर 2028 तक बेहतर सियासी समय रहेगा, मतलब- यदि वर्ष 2023 के उत्तरार्ध तक सियासी संतुलन बनाने में कामयाब रहे तो, दोबारा मुख्यमंत्री बन सकते हैं.
अभी, दिसंबर- 2020 तक उकसाने वाली राजनीतिक प्रतिक्रियाएं रहेंगी, किन्तु संयम से काम लेना होगा. कई सहयोगी भी अप्रत्यक्ष उलझने पैदा कर सकते हैं.
* दिसंबर- 2020 और जनवरी- 2021 अच्छे रहेंगे, परन्तु फरवरी-2021 में विरोधी इमेज बिगाड़ने की कोशिश कर सकते हैं.
* मार्च से जून- 2021 तक का समय राजनीतिक नजरिए से अच्छा रहेगा, लेकिन जून-जुलाई 2021 में कई सियासी सच्चाइयां सामने आने के बाद मन बेचैन रह सकता है, इस दौरान अध्यात्म की ओर आकर्षित हो सकते हैं.
* वर्ष 2021-22 में काफी सतर्क रहना होगा, विशेषकर 2022 के पूर्वार्ध में कई तरह की सियासी समस्याएं आ सकती हैं.
* वर्ष 2022 के उत्तरार्ध से एक बार फिर सियासी समय संभलेगा, तो 2023 के उत्तरार्ध से कामयाबी का एक नया अध्याय शुरू होगा.
उल्लेखनीय है कि शिवसेना के संस्थापक बाला साहेब ठाकरे के पुत्र और वर्ष 2004 से शिवसेना के कार्यकारी अध्यक्ष उद्धव ठाकरे की शिवसेना ने पिछला विधानसभा चुनाव बीजेपी के साथ लड़ा था, लेकिन मुख्यमंत्री पद के मुद्दे पर बीजेपी पर वादा तोड़ने का आरोप लगा कर उद्धव ठाकरे अलग हो गए. पहले, बीजेपी ने सियासी जोड़तोड़ से सरकार बनाने का प्रयास किया, लेकिन बहुमत के मोर्चे पर नाकामयाब रही, इसके बाद शिवसेना, एनसीपी और कांग्रेस ने मिलकर सरकार बनाई, जिसमें तीनों दलों की सहमति से उद्धव ठाकरे मुख्यमंत्री बने.
वर्ष 2022 में जोड़-तोड़.... खरीद-फरोख्त की सियासत के चलते बीजेपी उन्हें मुख्यमंत्री के पद से तो हटाने में कामयाब रही, लेकिन.... पिछले लोकसभा चुनाव 2024 ने साबित कर दिया कि- सत्ता गई है, साख बरकरार है, लिहाजा.... अगले विधानसभा चुनाव उद्धव ठाकरे को एक बार फिर मुख्यमंत्री बना सकती है!
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-