नई दिल्ली. भारतीय रेलवे ने मानवीय भूल से होने वाली दुर्घटनाओं को रोकने के लिए कवच (ट्रेन टक्कर परिहार प्रणाली) नामक एक स्वदेशी स्वचालित ट्रेन सुरक्षा प्रणाली विकसित की है. भारतीय रेलवे ने इसे आरडीएसओ (अनुसंधान डिजाइन और मानक संगठन) के माध्यम से विकसित किया है. इस पर 2012 में काम शुरू हुआ था. इस प्रणाली को विकसित करने के पीछे रेलवे का उद्देश्य ट्रेन दुर्घटनाओं को रोकना था. इसका पहला ट्रायल साल 2016 में किया गया था.
रेलवे के अनुसार यह सबसे सस्ता स्वचालित ट्रेन टक्कर सुरक्षा सिस्टम है. यह तकनीक सेफ्टी इंटीग्रिटी लेवल 4 (एसआईएल-4) प्रमाणित है जो उच्चतम प्रमाणन स्तर है. इसका मतलब है कि कवच द्वारा गलती की संभावना 10000 में से केवल एक है. कवच भारत की स्वदेशी रेल सुरक्षा प्रणाली, रेलवे आधुनिकीकरण और सुरक्षा में एक बड़ी छलांग का प्रतिनिधित्व करती है. 2014 से भारतीय रेलवे ने सुरक्षा उपायों को बढ़ाने के लिए 178012 करोड़ रुपये आवंटित किए हैं. जिनमें शामिल हैं उन्नत ट्रैकसाइड उपकरण, अत्याधुनिक तकनीकें और व्यापक कार्मिक प्रशिक्षण. कवच यात्रियों की सुरक्षा के लिए भारतीय नवाचार और प्रतिबद्धता का प्रतीक है. जो लाखों दैनिक यात्रियों के लिए एक सुरक्षित और अधिक सुरक्षित रेल नेटवर्क सुनिश्चित करता है. कवच हाई फ्रीक्वेंसी रेडियो संचार का उपयोग करता है. टकराव को रोकने के लिए निरंतर अपडेट के सिद्धांत पर काम करता है. यदि ड्राइवर इसे नियंत्रित करने में विफल रहता है तो सिस्टम स्वचालित रूप से ट्रेन के ब्रेक को सक्रिय कर देता है. यह कवच सिस्टम से लैस दो इंजनों के बीच टकराव से बचने के लिए भी ब्रेक लगाता है. जैसे ही कोई लोको पायलट सिग्नल जंप करता है कवच सक्रिय हो जाता है. यह लोको पायलट को सचेत करना शुरू कर देता है. इसके बाद यह स्वचालित रूप से ब्रेक को नियंत्रित करना शुरू कर देता है. जैसे ही सिस्टम को पता चलता है कि ट्रैक पर दूसरी ट्रेन आ रही है. यह पहली ट्रेन की आवाजाही को पूरी तरह से रोक देता है. इसकी सबसे खास बात यह है कि अगर कोई ट्रेन सिग्नल जंप करती है तो 5 किलोमीटर के दायरे में सभी ट्रेनों की आवाजाही रुक जाएगी. फिलहाल इसे सभी रूटों पर नहीं लगाया गया है. कवच भारतीय रेलवे की सुरक्षा प्रणाली ने 2016 में फील्ड ट्रायल से शुरू किया और 2019 में विश्व स्तर पर सर्वोच्च सुरक्षा प्रमाणन प्राप्त किया. 2020 में इसे राष्ट्रीय एटीपी समाधान के रूप में अनुमोदित किया गया. भारतीय रेलवे ने 44000 किलोमीटर ट्रैक पर कवच तैनात करने का लक्ष्य रखा है. 301 से अधिक इंजनों और 273 स्टेशनों पर सिस्टम लगाया जा चुका है. कवच से मानवीय भूल के कारण होने वाली मौतों को खत्म करने की उम्मीद है. ऑप्टिकल फाइबर की स्थापना 4000 किलोमीटर से अधिक तक फैली हुई है और 356 संचार टावर स्थापित किए गए हैं. रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने 29 मार्च को कवच के तहत लाए गए रूटों के बारे में लोकसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में जानकारी दी थी. मार्च तक दक्षिण मध्य रेलवे में 1455 किमी रूट नेटवर्क मार्ग को कवच के तहत लाया गया हैए जिसमें से 576 किमी महाराष्ट्र राज्य यानी मनमाड छोड़कर, धामाबाद और उदगीर, परभणी खंड के अंतर्गत आता है. यह भारतीय रेलवे के कुल नेटवर्क का लगभग 2 प्रतिशत है. मार्च 2024 की लक्षित पूर्णता तिथि के साथ कवच के रोलआउट की योजना नई दिल्ली-हावड़ा और नई दिल्ली-मुंबई खंडों पर की गई है. कवच के विकास पर कुल खर्च 16.88 करोड़ रुपये है.
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-