विश्वास से कृष्ण मिलते है-- ये है भागवत वचन. इसलिए कहते हैं कि जीवन में सफलता पाने के लिए सनातनी आस्तिक लोगों ईश्वर प्रति दृढ़ विश्वास रखकर, सही तरीके से कर्मयोग को अपनाते हैं. भारतीय ज्योतिष भी आस्था और विश्वास से जुड़े हुए है. इस आधार पर अनुभवी ज्योतिषियों का अनुभव के अनुसार जन्म कुंडली में शनि की अशुभ छाया है तो किसी अमावस्या के दिन श्रद्धा के साथ उपाय करने से यह दोष कम हो जाता है. किंतु उपाय के साथ कायमनोवाक्य में उत्तम कर्माचरण भी जरूरी, क्यों कि निष्पक्ष शनिश्चर देव कभी किसी गलत या पाप कर्म करने वालों को उपाय करने के बावजूद भी माफ नहीं करते हैं..
पांच सूत्री उपाय :
(1) शास्त्रों में शनि की साढ़ेसाती तथा ढैय्या के असर को कम करने के लिए किसी अमावस्या पर शनि के बीज मंत्र-- "ॐ प्रां प्रीं प्रौं स: शनैश्चराय नम:" अथवा "ॐ शं शनैश्चराय नम:"--- का जप करने के बारे में बताया गया है. इसके अलावा इस दिन उड़द दाल और तिल के तेल का दान करना चाहिए; क्योंकि इससे शनिपीडा से कुछ हद तक छुटकारा मिल जाता है..
(2) शनि- दोष से मुक्ति पाने के लिए अमावस्या पर जूते- चप्पल का दान शुभ माना जाता है. इसके अलावा शमी के पेड़ की पूजा सुरु करना भी फलदायी माना जाता है..
(3) ऐसी मान्यता है कि-- जो सदाचारी भक्त हनुमान जी की पूजा करते हैं, उन्हें शनि देव कभी भी पीड़ा नहीं पहुंचाते. इसलिए अमावस्या पर शनि देव तथा बजरंगबली जी को तेल चढ़ाकर, उनके पास तेल की दीपक जलाने से शनि दोष के साथ पितृ दोष भी दूर होने की पारम्परिक विश्वास है..
(4) शनि दोष शांत होने के लिए अमावस्या के दिन काली गाय की सेवा करने के साथ, प्यार से रोटी खिलाएं और उनके माथे पर सिंदूर लगाएं..
(5) धर्म शास्त्रों में लिखा है कि-- पीपल के पेड़ भी देवताओं का निवास स्थान है. इसी कारण, शनि के दोष से मुक्ति पाने के लिए अमावस्या तिथियों में पीपल पर जल और दीपक अर्पित करने की पुरानी परंपरा है..
*निर्मल श्री हरिचरण अनुरागी
Astro nirmal