हनुमान जी के परम भक्त, नर्मदा तट पर जीवन भर करते रहे रामायण पाठ करने वाले संत सियाराम बाबा का स्वर्गवास

जीवन भर रामायण पाठ करने वाले संत सियाराम बाबा का स्वर्गवास

प्रेषित समय :14:20:30 PM / Wed, Dec 11th, 2024
Reporter : पलपल रिपोर्टर

खरगोन. नर्मदा तट स्थित भट्टयान बुजुर्ग में संत सियाराम बाबा 95 वर्ष का बुधवार मोक्षदा एकादशी पर सुबह 6.10 मिनट पर प्रभुमिलन हो गया है. आज गीता जयंती भी है. उनका अंतिम संस्कार शाम 4 बजे आश्रम के पास किया जाएगा. बाबा पिछले 10 दिन से बीमार थे.

इंदौर के डॉक्टरों ने भी उनका इलाज किया था. मूलत: गुजरात के बाबा यहां कई सालों से नर्मदा भक्ति कर रहे थे. अंतिम संस्कार में मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव भी शामिल हो सकते हैं. आश्रम में सियाराम बाबा के अंतिम दर्शन को लोगों की भीड़ लगी है. कुछ दिनों पहले बाबा को निमोनिया की शिकायत पर सनावद के निजी अस्पताल में भर्ती किया था. इसके बाद बाबा की इच्छानुसार उनका आश्रम में ही जिला चिकित्सालय और कसरावद के डॉक्टर भी इलाज कर रहे थे.

बाबा लगातार करते थे रामायण पाठ

सियाराम बाबा अपनी दिनचर्या में लगातार रामायण पाठ करते रहते थे. भक्तों के अनुसार वे 21 घंटों तक रामायण का पाठ करते थे. 95 साल की आयु में उन्हें चश्मा भी नहीं लगा था. भक्तों के अनुसार उन्होंने सियाराम बाबा को हमेशा लंगोट में ही देखा है. सर्दी, गर्मी या बरसात वे लंगोट के अलावा कोई कपड़े नहीं पहनते थे.

गुजरात के भावनगर से आए थे

बाबा का जन्म 1933 में गुजरात के भावनगर में हुआ था. 17 साल की उम्र में उन्होंने आध्यात्मिक मार्ग पर चलने का फैसला किया था. उन्होंने कई सालों तक गुरु के साथ पढ़ाई की और तीर्थ भ्रमण किया. वे 1962 में भट्याण आए थे. यहां उन्होंने एक पेड़ के नीचे मौन रहकर कठोर तपस्या की. जब उनकी साधना पूरी हुई तो उन्होंने सियाराम का उच्चारण किया, जिसके बाद से ही वे सियाराम बाबा के नाम से जाने जाते हैं. वे भगवान हनुमान के परम भक्त हैं.

मंदिरों में दान किए करोड़ों रुपये

ग्राम भट्टयाण के सरपंच भूराजी बिरले ने बताया कि बाबा प्रत्येक श्रद्धालु से मात्र 10 रुपये दान स्वरूप लेते थे. बाबा ने आश्रम के प्रभावित डूब क्षेत्र हिस्से के मिले मुआवजे के दो करोड़ 58 लाख रुपये क्षेत्र के प्रसिद्ध तीर्थ स्थान नागलवाड़ी मंदिर में दान किए थे. वहीं लगभग 20 लाख रुपये व चांदी का छत्र जाम घाट स्थित पार्वती माता मंदिर में दान किया. आश्रम से नर्मदा तक बनाया घाट भी सियाराम बाबा ने लगभग एक करोड़ रुपये की लागत से बनवाया था.

Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-