*१] माला हेतु स्वच्छता: जूठे मुँह, जूठे हाथ या मल-मूत्र या किसी विवशता में साधना से उठना पड़े तो माला लेकर बैठ गये, नहीं. हाथ-पैर धोकर या स्नान करके मंत्रजप करें. माला पहनकर शौचालय में नहीं जाना चाहिए, अगर चले गये तो मालासहित स्नान कर लें और माला धो के पहन लें. स्त्रियों को रात्रि में मासिक धर्म हो गया हो तो स्नान जरुर कर लेना चाहिए.*
*२] मासिक धर्म में : महिलाओं को मासिक धर्म में न तो माला पहननी चाहिए न माला घुमानी चाहिए और न ॐकार मंत्र जपना चाहिए. जैसे ‘हरि ॐ’ मंत्र है तो ‘हरि, हरि’ जपें, ‘ॐ नम:शिवाय’ मंत्र है तो ‘नम:शिवाय’ जपें.’ॐ ऐं नम:’ है तो ‘ऐं नम:’ जपें.*
*३] जननाशौच व मरणाशौच में : जननाशौच (संतान – जन्म के समय लगनेवाला अशौच अर्थात सूतक ) के समय प्रसूतिका स्त्री (संतान की माता ) 40 दिन तक व संतान का पिता 10 दिन तक माला लेकर जप न करें. इसी प्रकार मरणाशौच (मृत्यु के समय लगनेवाला अशौच अर्थात पातक) में 13 दिन तक माला लेकर जप नहीं किया जा सकता किंतु मानसिक जप तो प्रत्येक अवस्था में किया जा सकता है.*