चैन्नई. मद्रास हाईकोर्ट ने राजनीतिक दलों द्वारा चल रहे अन्ना विश्वविद्यालय यौन उत्पीडऩ मामले का राजनीतिकरण करने के प्रयास पर अस्वीकृति व्यक्त की है. यह टिप्पणी पट्टाली मक्कल काची (पीएमके) नेता व वकील बालू द्वारा दायर एक याचिका की सुनवाई के दौरान आई. जिसमें मामले के संबंध में वल्लुवरकोटम में विरोध प्रदर्शन की अनुमति मांगी गई थी. विरोध प्रदर्शन आयोजित करने का प्रयास करते समय पुलिस द्वारा उनकी पार्टी के कई कार्यकर्ताओं को हिरासत में लिए जाने के बाद बालू ने अदालत का दरवाजा खटखटाया.
उन्होंने कोर्ट से हस्तक्षेप करने व पुलिस को प्रदर्शन की अनुमति देने का निर्देश देने का अनुरोध किया. याचिका पर न्यायमूर्ति वेलमुरुगन ने सुनवाई की, जिन्होंने मामले के राजनीतिकरण पर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की. आप अन्ना यूनिवर्सिटी यौन उत्पीडऩ मामले का राजनीतिकरण क्यों कर रहे हैं. आप इस घृणित घटना को इस स्तर तक क्यों प्रचारित कर रहे हैं. क्या आप सुरक्षा के नाम पर प्रभावित छात्र का अपमान कर रहे हैं. उसे सुरक्षा प्रदान करना हर किसी का कर्तव्य है. न्यायमूर्ति वेलमुरुगन ने कहा कि हम सभी को इस घटना पर शर्म महसूस करनी चाहिए. बालू ने अपने बचाव में तर्क दिया कि विरोध का उद्देश्य महिला छात्रों के लिए बेहतर सुरक्षा की मांग करना था. हालांकि जस्टिस वेलमुरुगन ने सवाल उठाया कि इस तरह के मुद्दे को लिंग के आधार पर अलग क्यों किया जा रहा है. उन्होंने कहा कि क्या केवल छात्राओं को ही समस्याओं का सामना करना पड़ता है. महिलाएं कई जगहों पर पीडि़त हैं. आप महिलाओं के खिलाफ मुद्दों पर विरोध क्यों कर रहे हैं, क्या पुरुष पीडि़त नहीं हैं.
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-